
लखनऊ। तकनीकी क्षेत्र के लोगों की भी रुचि साहित्य के प्रति होती है। या यूं कहें कि उनका कलात्मक विषयों की ओर रुझान ज्यादा होता है। क्योंकि विज्ञान के नीरस तथ्यों में खोए रहने से उनका मन उचट जाता है और उनका रुझान स्वाभाविक रूप से साहित्य की ओर हो जाता है।
इस बात को प्रदेश के सबसे पुराने इंजीनियरिंग संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) ने समझा है। वहां विद्यार्थियों ने अपने बीच ही भावी इंजीनियरों को हिंदी साहित्य से जोड़ने और सोशल स्किल विकसित करने की पहल शुरू की है।
मकसद है कि भावी इंजीनियर जब डिग्री लेकर निकलें तो सिर्फ किताबी कीड़े बनकर न रह जाएं। उनकी सोशल स्किल अच्छी हो, वे समाज से जुड़ें और उसके लिए काम भी करें। इसी को ध्यान में रखकर आईईटी के विद्यार्थियों ने दो-तीन साल पहले अपना क्लब ‘एक्सेलसियर’ बनाया था, जो स्टूडेंट्स को साहित्य से भी जोड़ने के लिए उनकी क्षमता विकसित कर रहा है।
इसके लिए क्लब समय-समय पर वाद-विवाद, सृजनात्मक लेखन, भाषण, ग्रुप डिस्कशन, कविता पाठ जैसी साहित्य से जुड़ी प्रतियोगिताएं करवाता है। यह क्लब साहित्य से जुड़े लोगों का एक मंच है, जहां युवा अपना हुनर दिखाते हैं। समय-समय पर प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों को इसके लिए तैयार भी किया जाता है।
इसमें उन युवाओं को मेंटर के रूप में रखा जाता है जो हिंदी बैकग्राउंड से आते हैं और उनका इस पर अच्छा नियंत्रण होता है। ये न सिर्फ अन्य युवाओं को लिखना-पढ़ना बताते हैं, बल्कि उनकी पूरी कोचिंग करते हैं।
इसके साथ यहां के युवा समय-समय पर आईआईएम, आईआईटी, बीएचयू में होने वाली साहित्य से जुड़ी प्रतियोगिताओं में शामिल होते हैं और पुरस्कार भी जीतते हैं। क्लब समन्वयक मो. फैसल व जयेंद्र नाथ पांडेय का कहना है, हम हर साल नए सदस्य बनाते हैं। उनका चयन भी लेख परीक्षण और इंटरव्यू से होता है। इसके बाद हम हर सप्ताह 15 दिन में वैश्विक व राष्ट्रीय नीतियों आदि पर वाद-विवाद प्रतियोगिता करवाते हैं।