Intervention Organization: सावित्री बाई फुले ने महिलाओं और दलितों को जागरूक करने के लिए उल्लेखनीय कार्य किए थे। उनकी जयंती के अवसर पर दखल संगठन ने महिलाओं और ट्रांस जेंडर की आवाज उठाने के लिए राजनैतिक दलों को मांग पत्र सौंपने का अभियान शुरू किया है।
Intervention Organization: महिलाओं और ट्रांस जेंडर की आवाज उठाने के लिए दखल
अंकित तिवारी
Intervention Organization: सोना राजभर विधानसभा अध्यक्ष, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष सोना राजभर और बसपा उपाध्यक्ष बरखा गुप्ता को जनघोषणा पत्र सौंपा गया। इस अवसर पर कहा गया कि सावित्री बाई इक्कीसवीं सदी में भी एक प्रेरक व्यक्तित्व हैं। हम संकल्प करते हैं कि सावित्री बाई के सपने का समाज बनाएंगे।
विधानसभा चुनावों के माहौल में दख़ल संगठन काफी सक्रिय है। तभी तो संगठन की ओर से महिला और ट्रांस नागरिकों के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। इन मुद्दों को राजनीति के केंद्र में लाने की कोशिश की जा रही है। उसके लिए राजनीतिक दलों को महिला एवं ट्रांस नागरिकों के लिए 21 सूत्री जनघोषणा पत्र सौंपा जा रहा है।
चुनाव घोषणा पत्र में शामिल की जाएं मांगें
संगठन ने मांग की है कि पार्टी मांगों को चुनाव के घोषणा पत्र में शामिल करे। ताकि घोषणा पत्र में उठाए गए पहलुओं पर प्राथमिकता से काम हो सके। तभी महिला और ट्रांसजेंडर की बुनियादी समस्याओं का समाधान हो पाएगा। और समाज में भागीदारी का उन्हें समान अवसर मिल पाएगा। घोषणा पत्र देने का कार्य संगठन के सदस्यों द्वारा किया गया।
घोषणा पत्र में शामिल कराने के लिए जिन मुद्दों पर जोर दिया जा रहा है, उनकी सूची काफी लंबी है। महिलाओं और ट्रांसजेंडर के विरुद्ध यौन उत्पीड़न, बलात्कार, एसिड अटैक जैसी घटनाओं में दोषियों के विरुद्ध जांच और मुकदमे पर फैसला चार माह के अंदर दिए जाने की मांग की गई है। शासन, प्रशासन, सत्ता और जन प्रतिनिधियों के विरुद्ध शिकायतों की जांच तीव्र गति से मजिस्ट्रेट स्तर की स्वतंत्र कमेटी से कराई जाए।
आरोपितों को न दिया जाए चुनाव में टिकट
बलात्कार, हत्या और यौन शोषण के आरोपितों को विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियां टिकट न दें। बच्चों, ट्रांसजेंडर और महिलाओं से जुड़ी शिकायतो को देखने वाली ग्राम, वार्ड, थाने, स्कूल कॉलेजों और जिले से ले कर प्रदेश देश तक की समितियों की भूमिका का मूल्यांकन किया जाए।
शिकायत निवारण के लिए विशाखा समिति, महिला एवं बाल आयोग और कार्य स्थलों पर सामाजिक कार्यकर्ता से संबंधित सभी पदों, महिला पुलिस और ज्यूडिशियल अफसर जज की नियुक्ति अविलंब की जाए।
सभी पुलिसकर्मियों की हर स्तर पर जेंडर और बाल अधिकारों, मानवाधिकारों संबंधी प्रशिक्षण एवं परीक्षा अनिवार्य की जाए। मीडिया हाउसों की ओर से कॉरपोरेट रेस्पॉसिबिलिटी के फंड से अभियान चला कर जनजागृति के संगठित प्रयास किए जाने को अनिवार्य किया जाए।
निर्भया फंड का पारदर्शी और सार्थक उपयोग हो
निर्भया फंड का पारदर्शी और सार्थक उपयोग किया जाना सुनिश्चित किया जाए। नई शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा पाठ्यक्रम में जेंडर संबंधी समझदारी लाने वाले पाठ शामिल किए जाएं। यदि कोई भी सरकारी कर्मचारी, नेता या व्यक्ति स्वयं अपने विरुद्ध चल रहे मुकदमों, शिकायतों को पद और सत्ता का लाभ ले कर स्वयं समाप्त करने का दोषी हो तो उसे पद से मुक्त किया जाए।
दुष्कर्म मामले में पीड़िता और उसके परिवार को पूर्ण सुरक्षा मिले। सार्वजनिक स्थानों पर ट्रांसजेंडर और महिलाओं के लिए अलग से पर्याप्त और साफ सुथरे प्रसाधन कक्ष बनाए जाएं।
लोकसभा, राज्यसभा, राज्यों की सभी विधानसभाओं और विधान परिषदों में कम से कम 33 प्रतिशत स्थान महिलाओ के लिए आरक्षित किए जाने के लिए कानून बनाया जाए।
विधानसभा चुनावों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए हों
विधानसभा चुनावों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओ के लिए सुनिश्चित जाएं। सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में कम से कम 33 प्रतिशत आरक्षण महिलाओं को दिया जाए। पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को मिले अधिकारों का व्यावहारिक अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।
बालिकाओं के लिए स्नातक तक की उच्च गुणवत्ता की मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता, स्कूलों पर नियुक्त महिला रसोइयों को कम से कम 6000 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिए जाने की व्यवस्था हो। उन्हें नियमित किए जाने के लिए कानून बनाया जाए।
विधवा, वृद्धा और दिव्यांग पेंशन कम से कम पांच हजार रुपये प्रतिमाह की जाए
विधवा, वृद्धा और दिव्यांग पेंशन कम से कम पांच हजार रुपये प्रतिमाह की जाए। समान काम का समान वेतन या श्रम मूल्य महिलाओं को मिले। ग्राम पंचायत स्तर पर मातृ शिशु कल्याण केंद्र की स्थापना की जाए। निम्न आय वर्ग की महिलाओं और बच्चियों को मुफ्त सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराई जाए।
जन घोषणा पत्र सौंपने वालों में डॉक्टर प्रियंका चतुर्वेदी, मैत्री, डॉक्टर इंदु पांडेय, नीति और शालिनी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। संगठन के इस अभियान का देश की राजनीतिक पार्टियों पर कितना असर होगा, यह तो चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही पता चल पाएगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि जन घोषणा पत्र के प्रति कितनी रुचि दिखाई जाती है।