इंफोपोस्ट न्यूज, नई दिल्ली। बड़ा भंडार मिलने से ईरान के पास अनुमति से 10 गुना ज़्यादा यूरेनियम इकट्ठा हो गया है। इस पर संयुक्तराष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते के तहत ईरान जितना संवर्धित यूरेनियम रख सकता है, उससे 10 गुना से भी अधिक यूरेनियम उसके पास हो गया है।
इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) ने कहा है कि ईरान के पास एनरिच किए गए यूरेनियम का भंडार अब 2,105 किलो हो गया है, जबकि 2015 के समझौते के तहत यह 300 किलोग्राम से अधिक नहीं हो सकता था।
ईरान ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि उसने यूरेनियम संवर्धन के लिए नए और उन्नत तकनीक वाले सेंट्रीफ़्यूज उपकरणों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। सेंट्रीफ़्यूज को हिंदी में अपकेंद्रण यंत्र कहा जाता है। इसका इस्तेमाल यूरेनियम के रासायनिक कणों को एक-दूसरे से अलग करने के लिए किया जाता है।
संवर्धन के बाद इसका उपयोग परमाणु ऊर्जा या फिर परमाणु हथियारों को विकसित करने के लिए भी किया जा सकता है। ईरान लंबे समय से इस बात पर ज़ोर देता है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ़ शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।
ईरान ने जुलाई 2019 में 2015 के परमाणु समझौते के तहत यूरेनियम उत्पादन की तय सीमा को तोड़ेने की घोषणा की थी। उसने आईएईए के पर्यवेक्षकों को अपने दो पूर्व संदिग्ध परमाणु ठिकानों में एक की जांच करने की इजाज़त दे दी थी।
अब एजेंसी ने कहा है कि वह इसी महीने दूसरे ठिकाने से भी सैंपल लेगी। पिछले साल ईरान ने जान बूझकर और खुलकर 2015 में हुए परमाणु समझौते के वादों का उल्लंघन शुरू कर दिया था। इस परमाणु समझौते पर ईरान के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, जर्मनी, फ़्रांस और चीन ने भी दस्तख़त किए थे।
ईरान ने 2019 में अनुमति से अधिक यूरेनियम का संवर्धन शुरू कर दिया था। हालांकि, यह परमाणु हथियार बनाने के लिए ज़रूरी स्तर से काफ़ी कम था। परमाणु हथियार बनाने के लिए ईरान को 3.67 प्रतिशत संवर्धित 1,050 किलो यूरेनियम की ज़रूरत होगी। लेकिन अमेरिका के एक समूह ‘आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन’ का कहना है कि बाद में इसे 90 प्रतिशत और संवर्धित करना होगा।
कम संवर्धित तीन से पांच प्रतिशत घनत्व वाले यूरेनियम के आइसोटोप U-235 को ईंधन की तरह इस्तेमाल करके बिजली बनाई जा सकती है। हथियार बनाने के लिए जो यूरेनियम इस्तेमाल होता है, वह 90 प्रतिशत या इससे अधिक संवर्धित होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ईरान चाहे भी, तो भी उसे एनरिचमेंट की प्रक्रिया पूरी करने में लंबा समय लगेगा। पिछले सप्ताह ईरान ने कहा था कि उसने ‘सद्भाव’ में हथियार पर्यवेक्षकों को अपने ठिकानों की जांच करने दी है, ताकि परमाणु सुरक्षा से जुड़े मसलों का समाधान किया जा सके।
अब इस अंतरराष्ट्रीय निगरानी एजेंसी ने एक बयान जारी करके कहा है कि ईरान ने एजेंसी के पर्यवेक्षकों को सैंपल लेने दिए हैं। इन नमूनों की एजेंसी के नेटवर्क की प्रयोगशालाओं में जांच होगी। ईरान ने पिछले साल अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते की शर्तों का पालन करना बंद कर दिया था। उसने यह क़दम अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से इस समझौते से हटने का एलान करने के बाद उठाया था।