आर के तिवारी
मुंबई। महानगर से सटे वसई विरार की सड़कों की हालत सवाल उठाती है कि क्या यह वही मुंबई है, जहां से बुलेट ट्रेन चलनी है। महानगरों के उपनगर भी काफी स्मार्ट शहर होते हैं, लेकिन वसई विरार के हालात इस धारणा को बदलने के लिए पर्याप्त हैं।
पैसे डकार कर विकास न किए जाने से वसई-विरार के लोगों को क्या दिक्कत हो रही है, इस पर एक नजर डालते हैं। इस साल के बंद के दौरान खस्ताहाल सड़कों पर वाहन चालकों का दम निकल जाता है। अत्यधिक बारिश ने वसई शहर की सड़कों को सचमुच चौपट कर दिया है।
तालाबंदी के दौरान भूख से तड़प रहे लोगों ने गड्ढों को लेकर नगर निगम प्रशासन पर गुस्सा निकाला। क्योंकि नगर निगम सीमा में कोरोना के प्रकोप को नियंत्रित करने में विफल रहा है। अब सड़कों में गड्ढों की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। लोगों ने मांग की है कि सड़कों की मरम्मत के लिए नगरपालिका प्रशासन को पहल करनी चाहिए।
सड़कों में गड्ढों को भरने के लिए एक बार पहल भी की गई थी। लेकिन गड्ढों को रेत पाउडर, पत्थर और लेपित से भरा गया था। मूसलाधार बारिश ने गड्ढों में बजरी को बिखेर दिया। बिखरी हुई बारीक बजरी से साइकिल चालक फिसल कर गिर जाते हैं।
वसई के पूर्व में एवरशाइन सिटी, रेनजंका, चिंचपाड़ा, गोलानी, वलिव, नवजीवन, वासिफाटा की मुख्य सड़कों में विशाल गड्ढे हैं। इन गड्ढों में हर दिन वाहन टकराते हैं। गड्ढों से दोपहिया वाहनों को सबसे ज्यादा खतरा होता है।
तुलिंज से पेल्हार सोपारा फाटा की ओर जाने वाले तुलिंज टोलनाका, संतोष भुवन, बावसेत पाड़ा, गोवराई पाड़ा, धाणिवबाग, वाकनपाड़ा, नेशनल होटल के समीप, गोवराई पाड़ा से वालिव पुलिस स्टेशन मार्ग, तुलिंज राधा कृष्ण होटल से विजय नगर होते नागिनदास पाड़ा, मोरे गांव आटोरिक्शा स्टैंड से लगायत मोरेगांंव तालाब, रेंज ऑफिस चौराहे से वालिव पुलिस स्टेशन मार्ग, गोखिवरे तालाब से एवरसाईन मार्ग, तुलिंज पुलिस स्टेशन से सेंट्रल पार्क होते हुए ओस्तवाल नगरी, प्रगति नगर मार्ग पूरी तरह खस्ताहाल हैंं।
प्रतिदिन इस मार्ग से अधिकारियों का आवागमन होता है, लेकिन किसी की नजर इन गड्ढों पर नहीं पड़ती। परिणाम स्वरूप इन रास्तों से गुजरने वाले दर्जनों वाहन चालक प्रतिदिन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैंं। उधर, मनपा यानी महानगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि बरसात के कारण सड़क पर नए गड्ढे हो जा रहे हैंं जिन्हेंं भरने का कार्य किया जा रहा है। इसके बावजूद जिन स्थानों की जानकारी मिल रही है वहां कर्मचारियों को भेजकर गड्ढों को भरने का काम हो रहा है।
सत्यमेव जयते फाउंडेशन अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह (राज) ने कहा कहा है कि वसई-विरार क्षेत्र में गड्ढे में सड़क या सड़क में गड्ढे, इसको समझ पाना मुश्किल है। कांग्रेस कार्यकर्ता कैफ खान का कहना है कि वसई-विरार में सड़कों की दुर्दशा के लिए मनपा और स्थानीय सत्ताधारी पार्टी दोनों ही जिम्मेदार हैंं।
सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाले मैटेरियल का निरीक्षण नहीं होता। हर वर्ष पैंचवर्क कर सड़कोंं को सजाया जाता है, जो पहली बारिश में ही सत्ताधारी और प्रशासन को मुंह चिढ़ाती नजर आती हैं। इन लोगों ने कभी भी जनता की सुविधा पर ध्यान नहीं दिया, जिसका खामियाजा यहां के लोग भुगत रहे हैं।
मुंबई में एक बार रात भर बारिश से कई जगहों पर पानी भर गया। यहां तक कि लोकल ट्रेनों के पहिए भी थम गए। मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में लगातार बारिश की वजह से कई इलाकों में पानी भर गया। सड़क और रेल यातायात पर बुरा असर पड़ा है। कई जगहों पर लोकल ट्रेनें बंद कर दी गईं। वहीं कुछ लंबी दूरी की ट्रेनों की रफ्तार पर भी असर पड़ा।
कुल मिला कर यही साबित हुआ है कि नेता सत्ता की सियासत में मशगूल रहते हैं। उन्हें आम जनता के सुख दुख और उनकी समस्याओं से कोई सरोकार नहीं होता। उनका तो एक मात्र लक्ष्य होता है, चुनाव जीतना और पैसे बनाना। सत्ता की सियासत नेता को कितना खुदगर्ज बना देती है, इसका एक बड़ा उदाहरण वसई विरार बना है।