
सी एस राजपूत
नई दिल्ली। मैं देश नहीं बिकने दूंगा, की बात करने वाले प्रधानमंत्री लगातार सरकारी संस्थानों को बेचने में लगे हैं। वे अब तक 23 सरकारी संस्थान बेच चुके हैं। वह बात दूसरी है कि उन्होंने एक भी सरकारी संस्थान बनवाया नहीं है। नोटबन्दी और जीएसटी से कमर तोड़ परेशानी अलग से दी गई। अब कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते चौपट हुए काम धंधे की वजह से लोग बर्बादी की ओर अग्रसर हैं।
किसी भी देश की पहचान उसके सरकारी संस्थाओं से होती है। निजी संस्थान तो मुनाफे के लिए खोले जाते हैं। यदि टाटा बिड़ला और अजीम प्रेम जी को छोड़ दें तो किसी पूंजीपति का रुख देश और समाज के प्रति नहीं देखा गया है। जहां तक सरकारी संस्थाओं की बात है तो इनसे देश और सरकार का रुतबा बढ़ता है। सरकार भी इन्हीं संस्थानों से जानी जाती है।
वैसे भी देश में सरकारी संस्थान नहीं होंगे तो फिर देश में सरकारों की जरूरत ही क्या पड़ेगी। निजी संस्थानों को तो पूंजीपति ही संभाल रहे हैं। फिर तो देश को भी ये पूंजीपति ही संभाल लेंगे। जब कोई सरकार या फिर उसका मंत्री किसी सरकारी संस्थान के घाटे में चलने की बात करता है तो फिर वह अपनी सरकार पर ही उंगली उठा रहा होता है।
सरकार का काम ही सरकारी संस्थाओं से राजस्व जुटाकर संसाधन जुटाना होता है। जो सरकार जितने सरकारी संस्थान लगाती है या फिर सरकारी संस्थानों को प्रॉफिट में लाती है तो वह सरकार उतनी सफल मानी जाती है। जो सरकार जितने सरकारी संस्थान बेचती है या फिर सरकारी संस्थान नहीं लगा पाती है, वह सरकार उतनी ही विफल मानी जाती है।
मोदी लगातार सरकारी विभागों को बेचने में लगी है। एयर इंडिया के बाद बीएसएनएल। देश को सबसे अधिक राजस्व व रोजगार देने वाला रेलवे लगातार निजीकरण की ओर बढ़ ही रहा है। यह काम उस व्यक्ति के नेतृत्व में हो रहा है जो अपने आप को अब तक का सबसे सफल प्रधानमंत्री मान रहा है। देशभक्ति का बखान कर रहा है।
मैं बात कर रहा हूं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। मोदी सरकार में बेरोजगारी ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। देश की जनता नोटबन्दी, जीएसटी के बाद लॉकडाउन के बाद चौपट हुए काम धंधों की वजह से परेशान है। देश के इस संकट के दौर में मीडिया सरकार की चाटुकारिता में लगा है। टाइम्स इंडिया जैसे अखबार ने अपने सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब तक का सबसे सफल प्रधानमंत्री दर्शा दिया है।
क्या राम मंदिर निर्माण का आदेश सुप्रीम कोर्ट से कराना और अनुच्छेद 370 हटवाने मात्र से नरेंद्र मोदी को अब तक का सबसे सफल प्रधानमंत्री माना जा सकता है? एक आरटीआई से आए आंकड़े के अनुसार नरेंद्र मोदी के अब तक के कार्यकाल में सबसे अधिक सरकारी संस्थान बिके हैं और लगा एक भी नहीं है।
सबसे अधिक सरकारी संस्थान इंदिरा गांधी के राज में 66 संस्थान लगे हैं। बिका एक भी नहीं है। दूसरे नम्बर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू हैं। उनके राज में 33 सरकारी संस्थान लगे हैं और बिका एक भी नहीं है। राजीव ग़ांधी के राज में 16 सरकारी संस्थान लगे थे और बिका एक भी नहीं था। लाल बहादुर शास्त्री के राज में 5 सरकारी संस्थान लगे थे और बिका एक भी नहीं था।
इसी प्रकार नरसिंह राव के राज में 16 सरकारी संस्थान लगे थे और बिका एक भी नहीं था। इमरजेंसी के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार यानी मोरारजी देसाई के राज में 9 सरकारी संस्थान लगे थे और बिका एक भी नहीं था। जिस मनमोहन सरकार का मोदी जी लगातार मजाक बनाते हैं, उन्हीं की सरकार में 23 सरकारी संस्थान लगे और 3 बिके भी।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 17 सरकारी संस्थान लगे थे और 7 बिके भी थे। मोदी ने बेचने के मामले में सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। अब तक 23 सरकारी संस्थान बेच दिए हैं और बनाया एक भी नहीं। अभी तो लगातार बिक ही रहे हैं।