
Jagdamba Temple: स्वर्ण कलश से सुशोभित बिहार के बड़हिया शहर का जगदंबा मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। मंदिर में संध्याकाल के बाद पुरुषों का प्रवेश वर्जित है।
Jagdamba Temple: आस्था का केंद्र है बिहार के बड़हिया शहर का जगदंबा मंदिर
राजीव कुमार झा
लखीसराय, बिहार। नवरात्र में यहां छोटे-बड़े मंदिरों में देवी दुर्गा की पूजा, आराधना श्रद्धा से संपन्न होती है। शास्त्रों में देवी दुर्गा के अनेक रूपों का वर्णन है। उनके बाला रूप का विशेष महत्व है।
जिले में स्थित बड़हिया पुराना शहर है। और यहां का जगदंबा मंदिर प्रसिद्ध है। बाला त्रिपुरसुंदरी देवी की विशेष पूजा होती है। आसपास के गांवों के अलावा दूरदराज के शहरों से भी रोजाना सैकड़ों दर्शनार्थियों का आगमन होता है।
भक्तों के हृदय में माता जगदंबा के प्रति असीम आस्था है। मंदिर के ईंटों से बने पुराने ढांचे को बीस पच्चीस साल पहले भव्य और विशाल रूप प्रदान कर इसे संगमरमर की पट्टिकाओं से सुशोभित कर दिया गया था।
मंदिर का शिखर स्वर्ण कलश से सुशोभित
इस मंदिर का शिखर स्वर्ण कलश से सुशोभित है। और यह दूर से ही देवी बाला त्रिपुरसुंदरी की महिमा के आलोक से सबको अवगत कराता है। इस मंदिर के संस्थापक श्रीधर ओझा को माना जाता है। यहं गंगातट पर कई सालों की साधना के बाद उन्हें देवी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ था।
जगदंबा मंदिर में बाला देवी त्रिपुर सुंदरी की मिट्टी की पिंडिकाओं की पूजा होती है। इस मंदिर में संध्याकाल के बाद पुरुषों का प्रवेश निषिद्ध है। कुछ साल पहले बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यहां भक्त श्रीधर सेवाश्रम की स्थापना की गई।
यहां साधु महात्माओं के प्रवचन के अलावा जरूरतमंदों के लिए चिकित्सा शिविर का भी आयोजन किया जाता है। उससे तमाम जरूरतमंद लोग लाभ उठाते हैं। भक्तों के कदम खुद ब खुद इस मंदिर की ओर चल पड़ते हैं। क्योंकि आस्था उन्हें दूर दूर से खींच लाती है।