Jyotiraditya: राहुल गांधी ने कहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में होते तो मुख्यमंत्री बन गए होते। उनके इस बयान की काफी चर्चा है। उसी के आधार पर कयास लगाए जा रहे हैं कि सिंधिया घर वापसी पर विचार कर सकते हैं।
Jyotiraditya: राहुल के बयान के बाद अटकलें तेज
विजया पाठक
Jyotiraditya: वर्षों पुरानी कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण किए एक वर्ष हो गया है। देखा जाए तो इस पूरे एक वर्ष में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वह सब कुछ पा लिया है, जिसकी शर्त के साथ उन्होंने कांग्रेस को धोखा देकर भाजपा का दामन थामा था।
उनके इस कदम से 15 महीने की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। और सिंधिया मोदी—शाह का राग आलापने लगे थे। खैर, बीते दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर दिया गया बयान काफी चर्चा में है।
सिंधिया भाजपा में जाकर बैक बेंचर
राहुल गांधी ने कहा है कि सिंधिया भाजपा में जाकर बैक बेंचर हो गए हैं। कांग्रेस में होते तो आज मुख्यमंत्री होते। राहुल गांधी के इस बयान के बाद सियासी हलचलें तेज हो गई हैं। अब लोग इस बात का अंदाजा भी लगाने लगे हैं कि आखिर इतने दिन बाद राहुल गांधी को सिंधिया की याद क्यों आई?
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में कुछ उलटफेर देखने को मिल सकते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा में अपनी अहमियत समझ आ गई है। वह यहां डूबता हुआ सूरज साबित हो रहे हैं। इसलिए आने वाले दिनों में सिंधिया कांग्रेस का रुख कर सकते हैं।
सिंधिया परिवार की फितरत
ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है कि सिंधिया परिवार की फितरत ही एक दल से दूसरे दल की तरफ कूच करना रही है। उनके पिता स्व. माधवराव सिंधिया ने भी यही किया था और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आने वाले दिनों में यही कदम उठा सकते हैं।
सिंधिया भली भांति जानते हैं कि बीजेपी में शिवराज सिंह चौहान के बाद मुख्यमंत्री पद के कई प्रमुख दावेदार हैं। ऐसे में महज 20-21 विधायकों की टोली के साथ सिंधिया का मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री बनना महज एक सपने जैसा है।
राजस्थान में नहीं गली भाजपा की दाल
इसलिए कहीं न कहीं उन्होंने कांग्रेस की ओर रुख करने का मन बना लिया है। आपको याद होगा कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस का तख्तापलट करने के बाद राजस्थान में भी भाजपा ने तख्ता पलट का प्रयास किया था। लेकिन सिंधिया के दोस्त और राजस्थान के नेता सचिन पायलट ने अपने इरादे बदल दिए और वे कांग्रेस के साथ ही बने रहे।
फलस्वरूप उन्हें राजस्थान का उपमुख्यमंत्री बना दिया गया। लेकिन सिंधिया को न तो उपमुख्यमंत्री का पद मिला और न ही मंत्री का। वे महज राज्यसभा सीट से संसद में जाकर अपना किसी तरह से अस्तित्व बचाए हुए हैं। इसलिए वो दिन दूर नहीं जब सिंधिया सचिन पायलट की तरह अपने इरादे बदल दें। क्योंकि आखिरकार दोनों ही बहुत अच्छे मित्र भी हैं।