बालक रूप में भगवान कृष्ण की पूजा बहुत लोकप्रिय है। ज्यादातर लोगों को बाल कृष्ण बहुत प्यारे लगते हैं। उन्हें माखन का भोग लगाना बहुत फलदायी होता है। वे माखन और मिश्री से शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। उन्हें प्यार से माखनचोर भी कहा जाता है। लेकिन वे इसका बुरा नहीं मानते। उनकी पूजा के लोकप्रिय होने का यह एक बड़ा कारण है।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर तो हर घर में बाल गोपाल की पूजा की धूम होती है। उनके लिए झूले सजाए जाते हैं। लेकिन बाल गोपाल की पूजा में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है। सुबह जल्दी उठने के बाद सबसे पहले बाल गोपाल की पूजा करनी चाहिए और उन्हें भोग लगाना चाहिए। बाल गोपाल की पूजा में प्रयोग की जाने वाली सभी सामग्रियों का शुद्ध होना जरूरी है।
इसलिए पूजा के बर्तन को जरूर साफ करें। बाल गोपाल को साफ जल और गंगाजल से प्रतिदिन स्नान जरूर करवाना चाहिए। स्नान करवाने के बाद चंदन का टीका लगाएं। बाल गोपाल के कपड़ों को रोजाना बदलें।
इसके अलावा दिन के अनुसार अलग-अलग रंग वाले परिधान ही पहनाएं। जैसे सोमवार को सफेद, मंगलवार को लाल, बुधवार को हरा, बृहस्पतिवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी, शनिवार को नीला और रविवार को लाल पोशाक पहनाए जाने का विधान है।
लड्डू गोपाल को मक्खन, मिश्री और तुलसी के पत्ते बहुत पसंद हैं। इसलिए भोग में रोजाना इसे जरूर शामिल करें। रोजाना लड्डू गोपाल के श्रृंगार में उनके कान की बाली, कलाई में कड़ा, हाथों में बांसुरी और मोरपंख जरूर होना चाहिए। श्रृंगार के बाद सबसे पहले भगवान गणेश की आरती उतारें फिर लड्डू गोपाल की।
आरती के बाद अपने हाथों से उन्हें भोग लगाएं, झूला झूलाएं और फिर झूले में लगे परदे को बंद करना न भूलें। सुबह और शाम के दोनों वक्त लड्डू गोपाल की आरती और भोग लगाना जरूरी होता है। शुभ अवसर और त्योहार पर उन्हें नए कपड़े और पकवान का भोग जरूर लगाएं।
बाल गोपाल की पूजा और भोग लगाए बिना खाना नहीं खाना चाहिए। उन्हें भोग लगाने के बाद भोजन प्रसाद बन जाएगा। घर में बाल गोपाल हैं तो मांस-मदिरा का सेवन, गलत व्यवहार और अधार्मिक कार्यों से बचना चाहिए।
रात को सोने से पहले बाल गोपाल को सुलाने के बाद ही सोएं। होली, राखी, दीपावली, महाशिवरात्रि, रामनवमी और जन्माष्टमी जैसे प्रमुख त्योहार पर इनकी विशेष रूप से पूजा करें। इन विधियों से की गई बाल गोपाल की पूजा अधिक फलदायी होती है।