
श्रीकांत सिंह
जयपुर। राजस्थान में चल रहे सियासी ड्रामे ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। क्या राजभवन का घेराव करने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजद्रोह के अपराधी हैं। क्या प्रदेश में इससे पहले भी किसी ने राजभवन का घेराव किया था। क्या गहलोत पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। क्या कानून के पास इन सवालों का जवाब है।
दरअसल, राजस्थान में जारी राजनीतिक घटनाक्रम के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) की राजस्थान इकाई का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार शाम राज्यपाल कलराज मिश्र से मिला। उसने राजस्थान में अराजकता का वातावरण पैदा होने की बात करते हुए राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा। बीजेपी ने राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि ‘मुख्यमंत्री की राजभवन के घेराव की धमकी आईपीसी की धारा 124 का स्पष्ट उल्लंघन है।’
क्या कहता है कानून
धारा 124 ए के तहत उन लोगों पर कार्रवाई की जाती है, जो देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाते हैं या इस तरह की गतिविधि में लिप्त रहते हैं। दरअसल, यह एक राजद्रोह का कानून है, जो 124 ए के तहत आता है। इस धारा के अंर्तगत कोई व्यक्ति जब देश की एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ इस धारा के तहत कार्रवाई की जाती है।
भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर साधा निशाना
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिला। राजभवन के बाहर बीजेपी नेताओं ने राज्य में बीते दो दिन के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कहा कि कांग्रेस ने राजभवन को धरने एवं प्रदर्शन का अखाड़ा बना दिया।
नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ‘जनता द्वारा राजभवन को घेरने’ संबंधी बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि सीएम द्वारा राजभवन को सुरक्षा प्रदान करने की असमर्थता व्यक्त करने का जो बयान दिया गया, वह सीधा-सीधा जहां राजभवन को आतंकित करने का प्रयास है, वहीं भारतीय दंड संहिता की धारा 124 का स्पष्ट उल्लंघन है। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि अंतरविरोध से घिरी सरकार की लड़ाई सड़क पर आ गई है।
भैरोंसिंह शेखावत ने भी दिया था राजभवन में धरना
राजभवन में इस तरह के धरना-प्रदर्शन की स्थिति इससे पहले 3 दिसंबर 1993 में उस समय बनी थी, जब विधानसभा चुनाव में 95 सीटें लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद भाजपा के भैरोंसिंह शेखावत को सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया गया था। शेखावत ने राजभवन में धरना दिया तो तत्कालीन राज्यपाल बलि राम भगत ने सरकार बनाने का न्योता दिया।
राजभवन में नारेबाजी पर राज्यपाल नाराज
विधायकों के शुक्रवार दोपहर में बाड़ाबंदी से राजभवन पहुंचकर नारेबाजी करने पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने नाराज़गी जताई। राज्यपाल ने कहा, “एकाएक विशेष सत्र नहीं बुला सकते। कोरोना के फैलाव को देखते हुए विचार-विमर्श जरूरी है। विधिक राय भी ले रहे हैं, तब कोई फैसला करेंगे।” इस दौरान विधायक वहीं डटे रहे।
राज्यपाल ने सीएम से बात की और 6 आपत्तियां जताते हुए पहले उनका निस्तारण करने को कहा। इसके बाद सीएम गहलोत ने धरना खत्म किया। फिर विधायक दल की बैठक हुई। राज्यपाल की आपत्तियों पर क्या तय हुआ, इसकी जानकारी नहीं दी गई। सभी विधायक फिर बाड़े में लौट गए।
“महामहिम! सत्र बुलाइए, हमारे पास बहुमत है”
अपने विधायकों के जत्थे के साथ राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा-“हमेशा विपक्ष सत्र बुलाने की मांग करता है, लेकिन यहां हम कर रहे हैं। हम कह रहे हैं कि हम सेशन बुलाएंगे, अपना बहुमत सिद्ध करेंगे, कोरोना पर बहस करेंगे, लॉकडाउन में जो तकलीफ हुई है, उस पर बहस करेंगे, पूरे हाउस को हम लोग विश्वास में लेंगे। फिर सत्र क्यों नहीं बुलाया जा रहा है। राज्यपाल पर ऊपर से दबाव है। हमारी सरकार पूरी तरह से बहुमत में है।”