#Lakhimpur Kheri Violence: छह घंटे की लंबी पूछताछ के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्र को हिरासत में ले लिया गया है। उन पर प्रदर्शनकारी किसानों को अपने वाहन से कुचल कर मार देने का आरोप है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अजय मिश्र को पद से हटाया जाता है या नहीं।
#Lakhimpur Kheri Violence: … जरा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी
इंफोपोस्ट डेस्क
#Lakhimpur Kheri Violence: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को आठ लोगों की हत्या के बाद हिंदी फिल्म मेरा नाम जोकर का एक गीत ऐ भाई जरा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी प्रासंगिक हो उठा है। क्योंकि सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर लौट रहे किसानों को पीछे से वाहन से कुचलकर मार दिया गया। इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी के पुत्र आशीष मिश्र को बनाया गया था।
इस घटना के वीडियो सामने आए तो व्यापक प्रदर्शन हुए। तमाम विपक्षी नेताओं को हिरासत में लेकर लखीमपुर खीरी जाने से रोक दिया गया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की गिरफ्तारी देश दुनिया में खासी चर्चा का विषय बनी रही। उससे जहां केंद्र सरकार की बहुत किरकिरी हुई, वहीं कांग्रेस को पुनर्जीवित होने का मौका मिल गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी
#Lakhimpur Kheri Violence: किसी भी विषय पर कभी चुप न रहने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर विपक्ष ने तीखे सवाल दागे तो केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी को पद से न हटाए जाने को लोकतंत्र की हत्या करार दिया गया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यहां तक कह दिया कि किसानों ही नहीं, देश के लोकतंत्र को भी कार के टायर से रौंदा जा रहा है।
यह भी बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कोटे से आते हैं, जिनसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का काफी विरोध है। और इसी संदर्भ में शाह पर पक्षपात के आरोप लगे। तभी तो इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि इस घटना का आदित्यनाथ योगी को जहां लाभ मिला है, वहीं केंद्र सरकार की हरकतों से 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को झटका लगने का अंदेशा जताया जा रहा है।
राजनीतिक दबाव में क्राइम ब्रांच पहुंचा आशीष मिश्र
लगातार छुपम छुपाई का खेला करने के बाद आखिर आशीष मिश्र क्राइम ब्रांच पहुंचा और उससे छह घंटे तक लंबी पूछताछ की गई। इससे पहले पिता पुत्र मीडिया के समक्ष गुमराह करने वाली बातें करते रहे। मीडिया का एक गुट भ्रामक खबरें प्लांट करता रहा। इस संदर्भ में दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबार का दावा करने वाले दैनिक जागरण प्रबंधन की तो बहुत ज्यादा किरकिरी हुई। तभी तो दैनिक जागरण की प्रतियां जलाए जाने की भी तस्वीरें सामने आईं।
मजिस्ट्रेट के समक्ष नौ सदस्यीय टीम के तीखे सवालों को आशीष मिश्र झेल नहीं पाया। उसके परस्पर विरोधी बयानों के आधार पर क्राइम ब्रांच ने उसे हिरासत में ले लिया है। फिर भी यह आशंका जताई जा रही है कि जब तक अजय मिश्र उर्फ टेनी को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री पद से हटाया नहीं जाएगा, तब तक हिंसा में मारे गए किसानों को न्याय नहीं मिलेगा।
लखीमपुर हिंसा में कौन लोग मारे गए?
लखीमपुर हिंसा में मरने वालों में आंदोलनकारी, पत्रकार और भाजपा कार्यकर्ता शामिल हैं। मृतकों की शिनाख्त पुलिस ने कर ली है। जिला प्रशासन ने इलाके में धारा 144 लागू कर दी थी।
मरने वालों में रमन कश्यप (स्थानीय पत्रकार), दलजीत सिंह (32) पुत्र हरजीत सिंह-नापपारा, बहराइच (किसान), गुरविंदर सिंह (20) पुत्र सत्यवीर सिंह-नानपारा, बहराइच (किसान), लवप्रीत सिंह (20) पुत्र सतनाम सिंह-चौखडा फार्म मझगईं (किसान), छत्र सिंह पुत्र अज्ञात (किसान), शुभम मिश्र पुत्र विजय कुमार मिश्र, शिवपुरी (बीजेपी नेता), हरिओम मिश्र पुत्र परसेहरा, फरधान (अजय मिश्र का ड्राइवर), श्यामसुंदर पुत्र बालक राम सिंघहा, कलां सिंगाही (बीजेपी कार्यकर्ता)।
लखीमपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या अपराध नहीं?
बता दें कि लखीमपुर हिंसा में भारतीय जनता पार्टी के दो कार्यकर्ताओं और अजय मिश्र के ड्राइवर को भी गुस्साई भीड़ ने पीट पीटकर मार दिया था। भाजपा नेता इनकी हत्या में शामिल लोगों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे।
लेकिन भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं की लिंचिंग को वह गलत नहीं मानते। उन्होंने कहा कि वह एक्शन का रिएक्शन था, उसके पीछे कोई साजिश नहीं थी, इसलिए हम उसे गलत नहीं मानते हैं। जिन्होंने लखीमपुर खीरी में भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर हत्या की उन्होंने तो प्रदर्शनकारियों के ऊपर एसयूवी कार चढ़ाए जाने की प्रतिक्रिया में ऐसा किया।
भविष्य में भी सामने आ सकती है हिंसा की पुनरावृत्ति
जाहिर है कि भाजपा नेताओं की ओर से भड़काई गई इस हिंसा की पुनरावृत्ति भविष्य में भी देखने को मिल सकती है। ऐसा हो भी रहा है। हरियाणा के ऐलनाबाद में भी एक प्रदर्शनकारी को भाजपा नेता के वाहन से कुचले जाने का समाचार आ चुका है। मौका था, विधानसभा उपचुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी गोविंद कांडा के पर्चा भरने का। किसानों ने कांडा का विरोध किया और भाजपा के झंडे जला डाले।
दरअसल, भाजपा के खिलाफ देश व्यापी आक्रोश सातवें आसमान पर है। कारण, पहला यह कि केंद्र सरकार किसानों पर तीन खेती कानून थोप रही है, जिसका वे विरोध कर रहे हैं। दूसरा यह कि कुछ वरिष्ठ भाजपा नेता हिंसा भड़काने वाले बयान दे रहे हैं, जिसके हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र उर्फ टेनी ज्वलंत उदाहरण हैं। उनके बयानों के वीडियो सोशल मीडिया पर छाए रहे।
निष्कर्ष
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व यदि अपने नेताओं के जहरीले बयानों पर लगाम नहीं लगाएगा, तो आने वाले दिनों में चुनावी हिंसा और भड़केगी। पूरी भाजपा इस भ्रम को फैलाने में लगी है कि तीन खेती कानूनों का विरोध मुट्ठीभर किसान कर रहे हैं। लेकिन किसान एक ऐसा व्यापक मुद्दा बन चुका है, जो भाजपा के हिंदू एजेंडे पर भारी पड़ रहा है। भाजपा इस तथ्य को समझने में जितनी देरी करेगी, उसे उतना ही राजनीतिक नुकसान होना तय है। तभी तो पीएम मोदी की लोकप्रियता ढलान पर है। प्रदर्शनकारी किसानों के लिए तो यही कहा जा सकता है, ऐ भाई जरा देख के चलो, आगे ही नहीं पीछे भी। इस संदर्भ में आप क्या सोचते हैं, कमेंट करके जरूर बताएं।