श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। भयंकर बेरोजगारी और देश की आर्थिक बदहाली पर चुप्पी टूटने लगी है। दिल्ली हिंसा मामले में पूरक आरोप पत्र के जरिये सीपीएम नेता सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयति घोष, डीयू के प्रोफेसर व सामाजिक कार्यकर्ता अपूर्वानंद और डॉक्यूमेंट्री मेकर राहुल रॉय को दंगों का सह-साजिशकर्ता बताए जाने पर नेताओं ने सत्ता और भाजपा के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया है।
येचुरी ने ट्वीट कर कहा है कि दिल्ली पुलिस की अवैध और गैर-कानूनी हरकतें भाजपा के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व के चरित्र को दर्शाती हैं। भाजपा विपक्ष के सवालों और शांतिपूर्ण प्रदर्शन से डरने लगी है। यही वजह है कि सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है।
येचुरी के मुताबिक, संविधान सीएए जैसे भेदभाव वाले कानूनों के विरुद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार देता है। इसलिए गलत का विरोध करना हमारी जिम्मेदारी भी है। हम विपक्ष का काम जारी रखेंगे। भाजपा सरकार अपनी हरकतों से बाज नहीं आई तो जैसे हमने आपातकाल को हराया था, उसी प्रकार इस आपातकाल से भी निपट लेंगे।
सीपीएम नेता ने इस बात पर ध्यान आकर्षित किया है कि मोदी सरकार न सिर्फ संसद में सवालों से डरती है, बल्कि प्रेस कॉन्फ्रेंस तक करने से घबराती है। आरटीआई का जवाब तक देने से कतराने लगी है। चाहे मोदी का निजी फंड हो या अपनी डिग्री दिखाने की बात, इस सरकार की सभी असंवैधानिक नीतियों और असंवैधानिक कदमों का विरोध जारी रहेगा।
येचुरी ने पूछा है कि जहरीले भाषण देने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। 56 लोग दिल्ली की हिंसा में मारे गए। जहरीले भाषणों का वीडियो है, उन पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? सरकार ने तो आदेश दे रखा है कि किसी भी तरह से विपक्ष को लपेटा जाए। यही है मोदी और भाजपा का असली चेहरा, चरित्र, चाल और चिंतन।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने नामजद लोगों को एकजुट होने की सलाह दी और कहा, यह नृशंसता से भी बदतर है। मैं आरोप पत्र में नामजद लोगों के साथ पूरी तरह से एकजुटता प्रकट करता हूं। वे असली देशभक्त हैं, सत्ता के धोखेबाज नहीं।
इस संदर्भ में रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि अगर सच बोलना अपराध है, अगर घृणा को उजागर करना अपराध है, अगर दंगाइयों का विरोध करना अपराध है, अगर सही का साथ देना अपराध है तो फिर हम सभी को आरोप-पत्र में नामजद कर जेल भेज दिया जाए।