जन्माष्टमी पर आपने सुना होगा कि ‘स्मार्त’ व ‘वैष्णव’ पर्व अलग-अलग दिन मनेगा,अक्सर पंचांग या कैलेण्डर में भी व्रतादि तिथियों के आगे ‘स्मार्त’ व ‘वैष्णव’ लिखा देखा होगा। सामान्य जन के मन में सदैव यह जिज्ञासा रहती है कि वे किस श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। आज हम आपको इस संबंध में शास्त्रोक्त जानकारी देने जा रहे हैं।
सामान्यत: शिव को अपना ईष्ट मानने वाले ‘शैव’, शक्ति अर्थात् दुर्गा को अपना ईष्ट मानने वाले ‘शाक्त’ व विष्णु को अपना ईष्ट मानने वाले ‘वैष्णव’ कहलाते हैं। शास्त्रानुसार जिन साधकों ने किसी सम्प्रदाय विशेष के आचार्य से गुरुदीक्षा लेकर कण्ठी, माला, तिलक का नियम लेकर शंख, चक्र अंकित करवाए हों वे सभी ‘वैष्णव’ के अन्तर्गत आते हैं और सभी आस्तिक व पंचोदेवोपासक ‘स्मार्त’ श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं। सरल भाषा में सभी गृहस्थ जो पंच देवों की उपासना करते हैं वे ‘स्मार्त’ कहलाते हैं।