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आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 463 मिलियन यानी 46.3 करोड़ से ज्यादा है। कहा जाता है कि डायबिटीज होने पर आलू का सेवन बंद कर देना चाहिए, क्या ये बात बिल्कुल सही है। आलू को अन्य फाइबर युक्त सब्जियों जैसे सेम के साथ पकाने पर यह पाचन प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करेगा और ब्लड शुगर के स्तर में बढ़ोत्तरी को भी रोक देगा। डायबिटीज रोगी गिलोय का नियमित सेवन करें, तो उनका शुगर कंट्रोल हो सकता है।
हाई ब्लड शुगर लेवल को डायबिटीज़ यानी मधुमेह कहते हैं। अगर इसकी जांच न की जाए, तो इससे त्वचा और आंखों से जुड़ी परेशानियों से लेकर ब्रेन स्ट्रोक और नर्वस सिस्टम से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं।
दरअसल, डायबिटीज़ एक तरह से चयापचय (मेटाबॉलिक) में ख़राबी की अवस्था है। ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करके नुकसान से बचा जा सकता है। हाइपरग्लाइसीमिया होने पर शुरुआत में नज़रें धुंधली हो सकती हैं और अगर इस पर ध्यान न दिया जाए, तो आगे चलकर कैटरेक्ट (मोतियाबिंद) हो सकता है। आंख को प्रभावित करने वाली इस गंभीर स्थिति को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहते हैं। इसमें आंखों के रेटिना ख़राब होने लगते हैं।
अगर आप नियमित तौर पर आंखों की जांच करवाते हैं, तो ज़्यादातर समस्याओं का पता शुरुआत में ही लग सकता है। इसका इलाज फ़ोटोकोएगुलेशन या सर्ज़री से किया जाता हैं। आंखों से जुड़ी तकलीफ़ों से बचने के लिए शुगर लेवल का संतुलन और ब्लड प्रेशर का सही प्रबंधन ज़रूरी है।
डायबिटीज़ में स्किन इंफ़ेक्शन यानी त्वचा से जुड़ा संक्रमण आम बात है, जिसे सबसे ज़्यादा अनदेखा किया जाता है। डायबिटीज़ से प्रभावित 30% लोगों में त्वचा संक्रमण (बैक्टीरियल/फ़ंगल)(2) होता है जिसमें शुष्क त्वचा, स्किन टैग्स (त्वचा में उभार) और काले चकत्ते पड़ना शामिल है। इसे हम सेबोरिक केरेटोसिस के नाम से भी जानते हैं।
नहाते समय त्वचा में किसी भी तरह के बदलाव पर ध्यान दें और शुरुआत में ही इसके इलाज के लिए डॉक्टर से मिलें। लंबे समय से डायबिटीज़ होने की वजह से आपके हाथों-पैरों की संवेदनशीलता कम होने लगती है। इसलिए इसे अनदेखा न करें और जांच ज़रूर कराएं। ब्लड शुगर पर ध्यान देने और सफ़ाई बरतने से त्वचा संबंधी समस्या से बचा जा सकता है।
किडनी से जुड़ी बीमारियों के पीछे डायबिटीज़ मुख्य वजह है। खास तौर पर किडनी के फ़ेल होने के मामलों में टाइप 2 डायबिटीज़ से प्रभावित 7% लोगों में डायबिटीज़ की पहचान होने से पहले ही किडनी की बीमारी की शुरुआत का पता चल जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ट्राइग्लिसराइड और लो एचडीएल को इनके पीछे खास तौर पर ज़िम्मेदार पाया गया है।
नियमित जांच (जैसे कि, प्रोटीन के लिए पेशाब की जांच) से शुरुआत में ही इसकी पहचान करने में मदद मिलती है। अच्छे खान-पान और एक्सरसाइज़ से कोलेस्ट्रॉल लेवल (लिपिड प्रोफ़ाइल) को ठीक किया जा सकता है।अगर आप स्मोकिंग (धूम्रपान) से बचते हैं, तो किडनी में ख़ून के फ़्लो को ठीक बनाए रखने में मदद मिलती है।
हाइपरग्लाइसिमिया के साथ ही, मधुमेह ग्रस्त लोगों में हाई कोलेस्ट्रॉल या हाई ब्लड प्रेशर होने की संभावना होती है। ऐसे में ख़ून की नसें सख्त़ हो सकती हैं, जिससे हार्ट अटैक (दिल का दौरा) या दिल से जुड़ी दूसरी तकलीफ़ें या स्ट्रोक हो सकता है। जिन्हें डायबिटीज़ नहीं उनके मुक़ाबले डायबिटीज़ वाले लोगों में स्ट्रोक का ख़तरा ज़्यादा होता है।
आप कई तरीकों से ह्रदय से जुड़ी परेशानियों और स्ट्रोक के ख़तरे को कम कर सकते हैं। जैसे अच्छी तरह ब्लड शुगर लेवल को मैनेज करके, धूम्रपान से बचकर, शराब पीने में ज़्यादा से ज़्यादा कमी लाकर, सेहतमंद खान-पान से, एक्सरसाइज़ और ब्लड प्रेशर लेवल को अच्छी तरह मैनेज करके।
डायबिटीज रोगी रोजाना सुबह गिलोय का जूस पिएं तो उनका ब्लड शुगर कंट्रोल रहेगा। आयुर्वेद में जिन पौधों को सबसे ज्यादा गुणकारी माना जाता है, उनमें गिलोय भी एक है। गिलोय को कुछ आयुर्वेदाचार्य ‘अमरता की जड़ी’ भी कहते हैं। गिलोय के सेवन से इम्यूनिटी बढ़ती है और संक्रमण का खतरा कम होता है। यही कारण है कि वर्तमान कोरोना वायरस महामारी के समय में गिलोय का महत्व पहले से अधिक बढ़ गया है।
डायबिटीज को बढ़ावा देने वाले मुख्य कारक हैं-खराब लाइफस्टाइल, अस्वस्थ खानपान की आदत और खराब पर्यावरण। ये तीनों समस्याएं पिछले 30-40 सालों में तेजी से उभरी हैं क्योंकि इंसानों ने मशीनों का प्रयोग ज्यादा शुरू कर दिया है और मेहनत कम कर दी है। खानपान में भी प्राकृतिक चीजों के बजाय प्रॉसेस्ड फूड्स का चलन बढ़ा है। यही कारण है कि डायबिटीज की समस्या पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ी है।
गिलोय में हाइपोग्लाइसेमिक गुण होते हैं, जिसके कारण ये शरीर के ग्लूकोज के स्तर को कम करता है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के एक अध्ययन में पाया गया है कि गिलोय एक बेहतरीन एंटी-डायबिटिक औषधि है, जो इंसुलिन की कार्यक्षमता को दोगुना कर देती है। यही कारण है कि डायबिटीज रोगी गिलोय का सेवन करें, तो वो हेल्दी लाइफस्टाइल जी सकते हैं।
अगर आप डायबिटीज रोगी हैं या फिर डायबिटीज का शिकार हो जाते हैं तो आपको अपनी डाइट से कुछ खाद्य पदार्थों को बाहर करने की जरूरत होती है, जिसमें से एक है आलू। स्टार्च युक्त सब्जी के रूप में मशहूर और पूरी दुनिया में पर्याप्त मात्रा में पाया जाने वाला आलू कई संस्कृतियों का एक मुख्य भोजन है, जो अचानक अनहेल्दी माना जाने लगा है। यह सामान्य रूप से भी आपको ठीक लग सकता है क्योंकि आलू में मौजूद हाई कार्बोहाइड्रेट की मात्रा के कारण बहुत से डॉक्टर इसे बेस्ट फूड की श्रेणी से बाहर कर चुके हैं।
लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि डायबिटीज रोगियों को आलू का सेवन पूरी तरह से बंद कर देना चाहिए? अगर आपको भी आलू बेहद पसंद है लेकिन ब्लड शुगर बढ़ने के डर से आप इसका सेवन नहीं कर रहे हैं तो इस दुविधा को दूर कर देते हैं।
जब भी हम कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं तो हमारा शरीर इसे ग्लूकोज नाम के एक साधारण शुगर में बदल देता है। ग्लूकोज के अणु फिर हमारे रक्त प्रवाह में प्रवेश करते हैं और हमारे ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन करता है। इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है, जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में प्रवेश करने और ऊर्जा के रूप में सेवन करने की अनुमति देता है।
डायबिटीज रोगी बहुत अधिक इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाते हैं इसलिए ग्लूकोज के अणु कोशिका में प्रवेश करने और रक्त में बने रहने में विफल साबित होते हैं, जिसके कारण ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए बरसों से सुनी जा रही बात कि आलू मधुमेह रोगियों के लिए खतरनकार साबित होता है दरअसल ऐसा है नहीं।
भले ही ये एक स्टार्ची फूड हो लेकिन एक मधुमेह रोगी अभी भी एक स्वस्थ आहार के हिस्से के रूप में आलू का आनंद ले सकता है। उन्हें बस अपने पाचन योग्य कार्ब सेवन को सीमित करना होगा। इसके अलावा, आलू फाइबर से समृद्ध होता है, जो आपका पेट अधिक समय तक फुल रखने में मदद कर सकता है। यह जिंक, मैंगनीज, पोटेशियम, आयरन, विटामिन बी और विटामिन सी जैसे पोषक तत्वों से भी भरा होता है।
अपने कार्ब सेवन को नियंत्रित करने के लिए हमेशा उबले हुए, ग्रिल्ड और आलू के थोड़े से भुने रूप को प्राथमिकता देनी चाहिए। आलू में मध्यम से उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) होता है। लेकिन जीआई अकेले ही ब्लड शुगर के स्तर पर भोजन के प्रभाव को नहीं बढ़ाता है। बल्कि आपका पोर्शन कंट्रोल भी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाता है।
अगर आप आलू से प्यार करते हैं और उन्हें अपने आहार में शामिल करना चाहते हैं तो यह अलग बात है। लेकिन अगर आप स्वस्थ विकल्पों की तलाश कर रहे हैं तो ये कुछ सब्जियां हैं जो आपके लिए एक हेल्दी विकल्प साबित हो सकती हैं। इनमें शकरकंद, ब्रोकली, गाजर, गोभी, शिमला मिर्च, पालक और अन्य पत्तेदार साग और टमाटर शामिल हैं।