कुमाऊं विवि की रामगढ़ स्थित महादेवी वर्मा सृजन पीठ में डिजिटल माध्यम से साहित्यिक गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं। इसी क्रम में कथा और उपन्यासकार दिनेश कर्नाटक ने कहानी को कैसे समझें विषय पर चर्चा कर अपनी नई कहानी सिसौंड़े झपेक का पाठ किया।
उन्होंने कहा कि साहित्य को समृद्ध करने में कहानी विधा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। समाज और उसमें हो रहे बदलाव हिंदी कहानी का अहम हिस्सा रहे हैं। बदलते समय के साथ कहानियों के विषय और शिल्प में भी बदलाव आया है, लेकिन कहानी कभी भी अपने उद्देश्य से नहीं भटकी है। वह सदा से समाज को आईना दिखाने का काम करती आ रही है।
पीठ निदेशक प्रो. शिरीष कुमार मौर्य ने कहा कि कोराना काल में पीठ फेसबुक लाइव के जरिये संभावनाशील युवा एवं प्रतिष्ठित साहित्यकारों की रचनाओं के पाठ एवं वैचारिक विमर्श आयोजित करा रही है।
मौके पर शोध अधिकारी मोहन रावत, महेश पुनेठा, रमेश पंत, संतोष तिवारी, कस्तूर लाल तागरा, मनोहर चमोली, रमेश द्विवेदी, डा. बरखा रौतेला, बीना जोशी, शिव प्रकाश त्रिपाठी, अजय पांडे, बीना फुलोरिया, चंद्रशेखर पाटनी, शीला पुनेठा, अरविंद मौर्य मौजूद रहे।