महाराष्ट्र में भाजपा एक बार फिर सत्ता को लपक लेना चाहती है। पार्टी 23 नवंबर, 2019 के उस घटनाक्रम से सतर्क है, जिसमें देवेंद्र फडणवीस ने अजीत पवार के समर्थन से शपथ ले ली थी, लेकिन 80 घंटों के अंदर सरकार चली गई थी। अब शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र की उद्धव सरकार संकट में है। कहा जा रहा है कि लोकतंत्र को रिजार्ट में कैद कर लिया गया है।
महाराष्ट्र में अपने अपमान को भूली नहीं है भाजपा
श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे 26 विधायकों के साथ सूरत के एक होटल में जमे हुए हैं। तभी तो महाविकास अघाड़ी की सरकार पर संकट छाया हुआ है। फिर भी भाजपा संभलकर खेलने के मूड में है। क्योंकि वह महाराष्ट्र में अपने अपमान को भूली नहीं है।
यही वजह है कि भाजपा फिलहाल वेट ऐंड वॉच के मूड में है। खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने भी इंतजार करने की बात कही है। उन्होंने दावा किया है कि एकनाथ शिंदे 35 विधायकों के साथ चले गए हैं। यह भी कहा कि भाजपा अविश्वास प्रस्ताव की मांग नहीं करेगी।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव नतीजों के करीब एक महीने बाद भाजपा-राकांपा गठबंधन की सरकार ने शपथ ग्रहण कर लिया था। इस घटनाक्रम ने देश के राजनीतिक हलके को चौंका दिया था। महाराष्ट्र में खुद शरद पवार 1978 में ऐसी उठापटक के सूत्रधार रहे।
मुख्यमंत्री पद मांगने पर शिवसेना से दूर हो गई थी भाजपा
दरअसल, 2019 का विधानसभा चुनाव बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर लड़ा था। बीजेपी ने 105, एनसीपी 54, कांग्रेस 44 और शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की थी लेकिन शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद की मांग रख दी थी। इसके बाद यह गठबंधन टूट गया था।
इस प्रकार महाराष्ट्र में 2019 से शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा के गठबंधन महाविकास अघाड़ी की सरकार है। महाराष्ट्र की सियासत में लगातार इस प्रकार की उथल-पुथल होती रहती है। कभी 5 साल में 3 बार सीएम बदले जाते हैं तो कभी धुर-विरोधी पार्टियां मिलकर सरकार बना लेती हैं। अब फिर शिवसेना में बगावत के बाद महाराष्ट्र की उद्धव सरकार संकट में है।
महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार की अहमियत
महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा क्षत्रप शरद गोविंद राव पवार एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने पचास साल से लगातार राजनीति में अपनी अहमियत और महत्व को बरकरार रखा है। पूरे देश की नजरें फिर उनकी ओर घूम गई हैं। वह नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष हैं।
राज्यसभा में शरद पवार की शख्सियत इतनी बड़ी है कि महराष्ट्र की राजनीति उनके इर्द गिर्द घूमती ही है। चाहे वह सत्ता में हों या फिर उससे बाहर लेकिन पवार की पावर पॉलिटिक्स हर पार्टी समझती है।
पवार सूबे की सियासत के साथ पवार क्रिकेट की सियासी पिच के भी धुरंधर हैं। मुंबई क्रिकेट काउंसिल के अध्यक्ष पद पर वह दस साल से भी ज्यादा समय तक बने रहे। साल 2005 से 2008 तक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और साल 2010 से 2012 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल के मुखिया भी रहे।
क्षेत्रवाद के गर्भ से जन्मी राजनीतिक पार्टी शिवसेना
महाराष्ट्र के स्थानीय लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाला एक व्यक्ति राजनीति के क्षितिज पर उभरा जिसने अपनी एक अलग पहचान बनाई। हम बात कर रहे हैं बाला साहेब ठाकरे की। उन्होंने 19 जून 1966 को राजनीतिक पार्टी शिवसेना का गठन किया, जिसका प्रभाव अभी भी महाराष्ट्र तक सीमित है।
बाला साहेब ठाकरे वैसे तो कार्टूनिस्ट थे जो राजनीतिक विषयों पर तीखे कटाक्ष करते थे। अब उनके पुत्र उद्धव ठाकरे पार्टी के प्रमुख हैं। शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष बाण है, लेकिन पार्टी का प्रतीक चिन्ह बाघ है। पार्टी ने 1989 में भाजपा के साथ गठबंधन किया था। वैचारिक समानता के कारण इसे सबसे पुराना गठबंधन माना गया।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे कोई चुनाव लड़े बिना कैसे मुख्यमंत्री बन गए, यह एक दिलचस्प वाकया है। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी ने उद्धव को नेता चुन लिया था। उन्हें राजनीतिक विरासत पिता बाला साहेब ठाकरे से मिली थी। उद्धव शिवसेना से मुख्यमंत्री बनने वाले तीसरे नेता हैं। इससे पहले मनोहर जोशी और नारायण राणे मुख्यमंत्री पद संभाल चुके हैं।
देश का सबसे धनी और समृद्ध राज्य है महाराष्ट्र
महाराष्ट्र देश के दक्षिण मध्य में स्थित है। इसकी गिनती देश के सबसे धनी और समृद्ध राज्यों में की जाती है। महाराष्ट्र शब्द संस्कृत का है जो दो शब्दों से मिलकर बना है। महा और राष्ट्र। इसका अर्थ होता है महान देश। यह नाम यहां के संतों की देन है।
इसकी राजधानी मुंबई है जो देश का सबसे बड़ा शहर और देश की आर्थिक राजधानी भी है। यहां का पुणे शहर भी देश के बड़े महानगरों में गिना जाता है, जो देश का छठवां सबसे बड़ा शहर है। महाराष्ट्र की जनसंख्या 2011 में 11 करोड़ से अधिक थी। विश्व में सिर्फ़ ग्यारह ऐसे देश हैं, जिनकी जनसंख्या महाराष्ट्र से ज़्यादा है।
महाराष्ट्र का निर्माण पहली मई, 1960 को मराठी भाषी लोगों की मांग पर की गई थी। यहां मराठी भाषा ज्यादा बोली जाती है। मुंबई, अहमदनगर, पुणे, औरंगाबाद, जालना, भोकरदन, कोल्हापुर, नाशिक, नागपुर, ठाणे, शिर्डी, मालेगांव, सोलापुर, अकोला, लातुर, उस्मानाबाद, अमरावती और नांदेड अन्य मुख्य शहर हैं।
मौसम में परिवर्तन से रुक गई थी खेती
ऐसा माना जाता है कि एक हजार ईसा पूर्व में महाराष्ट्र में खेती होती थी। उस समय मौसम में अचानक परिवर्तन आया और कृषि रुक गई थी। ईसापूर्व पांच सौ वर्ष के आसपास बम्बई (प्राचीन नाम शुर्पारक, सोपर) एक महत्वपूर्ण पत्तन बनकर उभरा था।
यह सोपर ओल्ड टेस्टामेंट का ओफिर था या नहीं, इस पर विद्वानों में विवाद है। प्राचीन 16 महाजनपद, महाजनपदों में अश्मक या अस्सक का स्थान आधुनिक अहमदनगर के आसपास है। सम्राट अशोक के शिलालेख भी मुम्बई के निकट पाए गए हैं।