Mahashtami: कन्या पूजन से पुण्य की प्राप्ति होती है। और यह दिन साक्षात् देवी रूप में कन्याओं के आविर्भाव के बारे में बताता है। देश की करोड़ों कन्याएं सचमुच देवी के समान ही हैं।
Mahashtami: दुर्गा सप्तशती में देवी की कथा का सुंदर वर्णन
राजीव कुमार झा
Mahashtami: दुर्गा सप्तशती में देवी की कथा का सुंदर वर्णन है। और इसमें नवरात्र के आठवें दिन को महाष्टमी कहा गया है। नवरात्र में महाष्टमी को अत्यंत पावन और पवित्र बताया गया है।
इस दिन महागौरी के रूप में तपस्या करते पार्वती को शिव ने प्रसन्न होकर दर्शन दिया था। शिव को वर रूप में पाने की कामना को लेकर पार्वती की कठोर तपश्चर्या से उनका शरीर गौर वर्ण का हो गया था।
इसी दिन शिवे सर्वार्थ साधिके के रूप में हिंदू धर्म चिंतन में शिव और शक्ति के सामंजस्य से जीवन साधना की संस्कृति के रूप में धर्म का अस्तित्व उजागर हुआ। महाष्टमी का त्योहार नारी जीवन संस्कृति और इसमें विवाह-परिवार की सामाजिक परंपरा के आदर्श को चरितार्थ करता है।
कन्या पूजन से पुण्य की प्राप्ति
इस दिन कन्या पूजन से पुण्य की प्राप्ति होती है। और यह दिन साक्षात् देवी रूप में कन्याओं के आविर्भाव के बारे में बताता है। देश की करोड़ों कन्याएं सचमुच देवी के समान ही हैं।
उनके सम्मान से संस्कृति का उत्थान संभव है। धर्म के रूप में संस्कृति और जीवन के अर्थ में प्रकृति के दर्शन और इसके नियमन का यह त्योहार पावन है। इस दिन कन्याओं का पूजन किया जाता है और आदर से उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है।
दरअसल, नवरात्रि हिंदुओं का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान शक्ति/देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवां दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है।
नवरात्रि वर्ष में चार बार
नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ़, अश्विन मास में प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों-महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और महाकाली के नौ स्वरूपों की पूजा होती है।
उनके नाम और स्थान क्रमशः इस प्रकार हैं— नंदा देवी योगमाया (विंध्यवासिनी शक्तिपीठ), रक्तदंतिका (सथूर), शाकम्भरी (सहारनपुर शक्तिपीठ), दुर्गा (काशी), भीमा (पिंजौर) और भ्रामरी (भ्रमराम्बा शक्तिपीठ) नवदुर्गा कहते हैं।