
Manglesh Dabral: मंगलेश डबराल की कविताओं में समय और समाज के स्पंदन के बीच जीवन-यथार्थ का बयान करने वाले काव्य बिंबों ने उस समय सबका ध्यान आकृष्ट किया था। उन्हें आठोत्तरी दशक का कवि कहा जाता है।
Manglesh Dabral: मंगलेश डबराल को काव्य पर मिला था साहित्य अकादमी पुरस्कार
राजीव कुमार झा
Manglesh Dabral: दिल्ली जाने से पहले जब लघु साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं को पढ़ना शुरू किया तो मंगलेश डबराल से भी परिचय हुआ। और उनकी कविताओं में समय और समाज के स्पंदन के बीच जीवन-यथार्थ का बयान करने वाले काव्य बिंबों ने उस समय सबका ध्यान आकृष्ट किया था।
उन्हें आठोत्तरी दशक का कवि कहा जाता है। और अरुण कमल, उदय प्रकाश के अलावा राजेश जोशी के साथ उन्हें इस दौर के उल्लेखनीय कवियों में माना जाता है। अपने काव्य संग्रह ‘घर का रास्ता’ से समकालीन हिंदी कविता में खुद को उजागर करने वाले मंगलेश डबराल को काव्य लेखन के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्रदान किया गया।
जनसत्ता के फीचर संपादक
मंगलेश डबराल जनसत्ता के फीचर संपादक के पद पर भी कार्यरत रहे और बाद में सहारा समय साप्ताहिक पत्रिका के भी संपादक बने। जनसत्ता का दफ्तर उस समय नोएडा की जगह दिल्ली के बहादुरशाह जफर मार्ग पर स्थित एक्सप्रेस बिल्डिंग में हुआ करता था।
मंगलेश डबराल की कविताएं समकालीन हिंदी कविता की भाषा, इसके शिल्प और संवेदना की रचनात्मकता को कई स्तरों पर रेखांकित करती हैं। और व्यापक संवाद के साथ गहन चिंतन की प्रवृत्ति इनके काव्य लेखन की प्रमुख विशिष्टता मानी जाती है।
कविताओं की विशेषता
जीवन के सामयिक संकटापन्न संदर्भों को मंगलेश डबराल की कविताएं खास कर जीवन के प्रामाणिक पाठ की तरह से उजागर करती हैं। महानगरीय परिवेश में तमाम तरह के सामाजिक, सांस्कृतिक बदलावों के बीच विस्मृत होते मनप्राण के सहारे जीवन की अर्थवत्ता की तलाश करती इनकी कविताएँ सदैव प्रासंगिक प्रतीत होती रहेंगी।
कविता अगर जीवन का गहरा संस्कार हमें प्रदान करती है तो समाज में संवेदना के नए धरातल पर जीवनानुभूतियों को उन्मुख करने का श्रेय भी इसे दिया जाना चाहिए। और इस दृष्टि से मंगलेश डबराल की कविताएं विलक्षण अर्थों की प्रतीति से हिंदी कविता की जीवन चेतना को विस्तार देकर इसके भाषिक सौंदर्य के धरातल को बेहद मौलिक रूप में गढ़ती दिखायी देती हैं।