
बालीवुड में बायॉपिक बनाए जाने का चलन बढ़ रहा है। अभी तक केवल मशहूर खिलाड़ियों और ऐक्टर्स पर बायॉपिक बन रही थीं लेकिन रितिक रोशन की ‘सुपर 30’ के बाद भारत की महान गणितज्ञ शकुंतला देवी पर बायोपिक बनाई गई है। शकुंतला देवी की कैलकुलेशन करने की स्पीड इतनी तेज थी कि पूरी दुनिया में उन्हें ह्यूमन कंप्यूटर के नाम से जाना जाता था। उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में भी दर्ज किया गया था।
विद्या बालन (Vidya Balan) की फ़िल्म शकुंतला देवी अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। डायरेक्टर अनु मेनन की फिल्म शकुंतला देवी उनकी उपलब्धियों के साथ ही उनके व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन के संघषों को बड़े पर्दे पर दिखाने में सफल हुई है। इस फिल्म की जान हैं विद्या बालन।
शकुंतला देवी (विद्या बालन) का जन्म 4 नवंबर 1929 को बेंगलुरु में हुआ था। बगैर किसी फॉर्मल एजूकेशन के शकुंतला देवी की कैलकुलेशन की क्षमता अद्भुत थी और उनके इस हुनर को उनके पिता (प्रकाश बेलावडी) ने पहचान लिया। यूनिवर्सिटी में केवल 6 साल की उम्र में अपनी प्रतिभा दिखाने के बाद शकुंतला देवी केवल 15 साल की उम्र में अपने पिता के साथ लंदन चली गईं।
यहां से जो शकुंतला देवी का सफर तय हुआ वो कभी रुका नहीं। उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी कैलकुलेशन की क्षमता का लोहा मनवाया। शकुंतला देवी की कैलकुलेशन उस दौर में बनने वाले कंप्यूटरों जैसी थी जो कुछ ही सेकंडों में बड़ी से बड़ी संख्या को कैलकुलेट कर लेती थीं। फिल्म में शकुंतला देवी की प्रतिभा और उनकी पर्सनल लाइफ को दिखाया गया है। शकुंतला देवी की बेटी अनुपमा का किरदार सान्या मल्होत्रा निभा रही हैं जो अपनी मां से असंतुष्ट हैं।
फिल्म में शंकुतला देवी की जिंदगी को केवल गणित ही नहीं बल्कि एक महिला और मां के रूप में भी दिखाया गया है। शंकुतला देवी को एक निडर और स्वतंत्र सोच की महिला के तौर पर दिखाया गया है, जो अपनी शर्तों के हिसाब से जिंदगी जीती हैं।
फिल्म में विद्या बालन का डायलॉग मैं कभी नहीं हारती शायद कहीं शकुंतला देवी के ओवर कॉन्फिडेंस को भी दर्शाता है, जिसके कारण वह अपनी जिंदगी में इंदिरा गांधी के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ीं और बुरी तरह हारीं। इस तरह शकुंतला देवी गणित के सवाल तो आसानी से सुलझा लेती हैं लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ पूरी तरह उलझी हुई है।
फिल्म का फर्स्ट हाफ पूरी तरह से इंगेज करके रखता है जो मजेदार और एंटरटेनिंग है। विद्या बालन पूरी तरह अपने किरदार में रम गई हैं और उन्होंने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है। लंदन जाने के बाद विद्या बालन का मेकओवर जबर्दस्त तरीके से फिल्माया गया।
फिल्म में शकुंतला देवी के पति परितोष बनर्जी का किरदार जिशू सेनगुप्ता ने निभाया है और अपने किरदार में काफी अच्छे लगे हैं। अनुपमा के किरदार में सान्या मल्होत्रा और अनुपमा के पति के किरदार में अमित साध ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है।
डायरेक्टर अनु मेनन ने बेहद ईमानदार तरीके से शकुंतला देवी की जिंदगी को फिल्म में दर्शाया है। फिल्म में 1950 और 1960 के दशक को अच्छी तरह से फिल्माया गया है। फिल्म में सचिन-जिगर का म्यूजिक अच्छा है। यह केवल शंकुतला देवी की बॉयपिक नहीं बल्कि एक भरपूर मनोरंजक फिल्म है।