
Mayhem in Libya: अफ्रीकी देश लीबिया में तूफान और बाढ़ से जो तबाही मची है, वह अभूतपूर्व है। यह एक ऐसा देश है, जहां सरकार और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी कोई चीज ही नहीं है। दर्जनों कबीले हैं और हर कबीले का किसी न किसी हिस्से पर शासन है। वर्ष 2011 के बाद से ही लीबिया में कोई प्रॉपर एडमिनिस्ट्रेशन, सरकार या कोई एक शासक नहीं है।
Mayhem in Libya: डेनियल तूफान और बाढ़ ने भयंकर तबाही
इंफोपोस्ट डेस्क
Mayhem in Libya: अफ्रीकी देश लीबिया में डेनियल तूफान और बाढ़ ने भयंकर तबाही मचा दी है। तूफान के बाद 10 हजार की आबादी वाले डेर्ना शहर के पास दो डैम टूट गए। इससे पूरा शहर तबाह हो गया है। डेर्ना शहर के मेयर के मुताबिक, मौतों का आंकड़ा काफी बढ़ सकता है।
देश में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। सिर्फ 700 शव ऐसे हैं, जिनकी शिनाख्त हो सकी है। 20 हजार से ज्यादा लोग लापता हैं। उसामा अल हुसादी नाम के एक 52 साल के ड्राइवर ने अलजजीरा को बताया कि वह अपनी पत्नी और पांच बच्चों को चार दिन से ढूंढ़ रहा है।
तुर्किये, इटली, कतर और यूएई पहुंचा रहे हैं मदद
लीबियन सिक्योरिटी फोर्स के मुताबिक, चार देश तुर्किये, इटली, कतर और यूएई बाढ़ प्रभावित इलाकों में मदद पहुंचा रहे हैं। यहां मेडिकल इक्विपमेंट्स, दवाएं और खाना पहुंचाया जा रहा है। मिस्र, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और कुवैत ने भी मदद करने की बात कही है। संयुक्तराष्ट्र, यूरोपीय संघ और अमेरिका भी इमरजेंसी फंड जारी कर रहे हैं।
पूरे डेर्ना शहर में बाढ़ की विभीषिका अभूतपर्व है। एयरपोर्ट्स तबाह हो चुके हैं। लाशों की शिनाख्त तक नहीं हो पा रही है। वहां के हेल्थ मिनिस्टर के मुताबिक, कई इलाकों में पानी में लाशें तैरती नजर आ रही हैं। कई घरों में शव सड़ चुके हैं।
समंदर में तैरती देखी गई हैं लाशें
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि समंदर में लाशें तैरती देखी गई हैं। हालात इस कदर खराब हैं कि मरने वालों को दफनाने तक की जगह नहीं बची है। लाशें सड़कों पर देखी जा सकती हैं।
अलजजीरा के मुताबिक, पोर्ट सिटी डेर्ना के पास दो डैम तूफान और बाढ़ से ये टूट गए। इनमें से एक डैम की हाइट 230 फीट थी। सबसे पहले यही डैम तबाह हुआ। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन डैम्स की 2002 से देखरेख नहीं हुई थी।
रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे 123 सैनिकों के बारे में भी पता नहीं
रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे 123 सैनिकों के बारे में भी पता नहीं चल रहा है। यही वजह है कि अब फौज भी बेबस नजर आ रही है। देश में मौजूद चुनिंदा एयरपोर्ट्स इस लायक नहीं बचे हैं कि वहां कोई हैवी या कार्गो एयरक्राफ्ट लैंड कर सके। यही वजह है कि यहां मदद पहुंचाना भी मुश्किल हो रहा है।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, लीबिया में सरकार का होना या न होना बराबर है। पश्चिमी हिस्से के त्रिपोली में एक सरकार है। मुल्क के पूर्वी हिस्से में 80% तबाही हुई है। यहां दर्जनों कबीले हैं और हर कबीले का किसी न किसी हिस्से पर शासन है। वर्ष 2011 के बाद से ही लीबिया में कोई प्रॉपर एडमिनिस्ट्रेशन, सरकार या कोई एक शासक नहीं है।
क्या जरूरतमंदों तक पहुंच पाएगी मदद?
अमेरिका, स्पेन, तुर्किये, यूएन और रेडक्रॉस यहां मदद भेज रहे हैं। लेकिन क्या ये जरूरतमंदों तक पहुंचेगी? और अगर पहुंचेगी भी तो कैसे? क्योंकि, इन्फ्रास्ट्रक्चर नाम की तो चीज ही नहीं है। और जो थी, वो भी बाढ़ में तबाह हो चुकी है।
इसी डेनियल तूफान ने पिछले सप्ताह ग्रीस, तुर्किये और बल्गारिया में तबाही मचाई थी। वहां 12 लोगों की मौत हुई थी। यह तय था कि तूफान अब लीबिया की तरफ बढ़ रहा है। पांच दिन में यहां कोई कदम उठाए ही नहीं गए। सबसे ज्यादा तबाही दो डैम टूटने से हुई। अब तीसरा भी फटने वाला है।
लीबिया के ज्यादातर शहर समुद्री किनारों पर
Mayhem in Libya: ज्यादा तबाही की एक वजह यह भी है कि लीबिया की ज्यादातर आबादी और उसके शहर समुद्री किनारों पर हैं। इसलिए जब डेनियल तूफान यहां के कोस्टल इलाकों से टकराया तो बर्बादी ज्यादा हुई।
लीबिया की यह घटना जलवायु परिवर्तन के खतरों की ओर इशारा कर रही है। मौसम भारी बदलाव देखा जा रहा है। रेगिस्तानी इलाकों में भारी बारिश हो रही है तो धरती के हरे भरे इलाकों में लू चलने के समाचार मिलते रहते हैं। दुनिया के सक्षम देशों को इसे गंभीरता से लेना होगा। समय समय पर भारत भी जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति आगाह करता रहता है। फिर भी भारत की बात पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लीबिया में तबाही को भी इससे जोड़ कर देखा जा सकता है।