
Misuse of ED: ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय की कार्य प्रणाली पर विपक्ष तो शुरू से सवाल उठाता रहा है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट को भी ईडी पर संदेह होने लगा है। संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और अब के कविता को दिल्ली शराब घोटाले में जमानत देते समय अदालत ने जो टिप्पणी की है, उससे इस जांच एजेंसी की साख पर बट्टा लग गया है। यही नहीं, पीएम मोदी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
Misuse of ED: अब ED को सहन करना संभव नहीं
इंफोपोस्ट डेस्क
Misuse of ED: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौर में जिस तरह ईडी और सीबीआई ने विपक्ष के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर धावा बोला है, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां यह बताने लगी हैं कि अब इतना ज्यादा सहन करना संभव नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और ट्रायल कार्ट के फैसलों पर भी कड़ी टिप्पणी की है। अब हाईकोर्ट को न्याय के बुनियादी सिद्धांतों का पाठ पढ़ाना पड़ रहा है। ईडी की वजह से कोर्ट को इतना कुछ करना पड़ रहा है। यह सब कुछ आप के सामने हो रहा था और अब सब कुछ आप के सामने बाहर आने लगा है।
मार्च में के कविता को दिल्ली शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया। पांच महीने जेल में रहने के बाद 27 अगस्त को उन्हें जमानत मिल पाई है। तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी और भारत राष्ट्र समिति नेता के कविता को भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के मामलों में गिरफ्तार किया गया था। बी आर गवई और जस्टिस के विश्व नाथन की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। इस खंडपीठ ने ईडी और सीबीआई की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा, कुछ आरोपियों को सरकारी गवाह बनाए जाने का आधार सही नहीं लगता।
अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना ही चाहिए
जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना ही चाहिए। जो व्यक्ति दोषी नजर आता है, उसे गवाह बना दिया जाता है। कल आप किसी को भी अपनी मर्जी से उठा कर गवाह बना देंगे? आप किसी भी आरोपी को चुन कर गवाह नहीं बना सकते। यह किस प्रकार की निष्पक्षता है? क्या यही उचित निष्पक्षता और विवेक है? वैसे यह गवई के कथन का विकल अनुवाद नहीं है। दिल्ली शराब घोटाले में ईडी ने जिसे गिरफ्तार किया, उनमें से कई को गवाह बना दिया। और गवाह बनाते ही उन्हें जमानत मिल गई। उनकी गवाही पर दूसरे लोगों को जेल भेज दिया गया।
गवाहों वाली बात इस केस में बहुत ही महत्वपूर्ण है। क्योंकि इसे सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा जा रहा है। जब संजय सिंह के मामले में सुनवाई हो रही थी, तब भी सुप्रीम कोर्ट में उनके वकील ने यही कहा था। अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क रखा था कि जिस गवाह के बयान पर संजय सिंह को गिरफ्तार किया गया था, उसने अपने नौ बयानों में संजय सिंह का नाम ही नहीं लिया था। संजय सिंह से पैसे की कोई बरामदगी नहीं हुई। अब वही गवाह दिनेश अरोड़ा सरकारी गवाह बन गया। ईडी ने अपनी आपत्तियां हटा लीं तो अगस्त 2023 में दिनेश अरोड़ा को जमानत मिल गई। उस समय कोर्ट ने कहा था, ईडी स्मार्ट बन रही है।
शरद रेड्डी को भी सरकारी गवाह बनते ही मिली माफी
Misuse of ED: यही नहीं, अरविंदो फार्मा के शरद रेड्डी को भी सरकारी गवाह बनते ही माफी दे दी गई। और उसे भी जमानत मिल गई। उसकी कंपनी ने भाजपा को 55 करोड़ रुपये का चंदा दिया। संजय सिंह का यह पुराना बयान गवाहों के संदर्भ में फिट बैठता है। उन्हीं के शब्दों में, मोदी जी कहते हैं किसी भ्रष्टाचारी को छोड़ूंगा नहीं। पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में जितने भी भ्रष्टाचारी हैं, उन सबको अपनी पार्टी में शामिल करूंगा।
संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और के कविता इन तीनों की जमानत में कई बातों की समानता है। कोर्ट ने कहा, कई महीने हो गए हैं। चार्जशीट दायर हो चुकी है। और मुकदमा लंबा चलने वाला है। इसलिए अब जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। एडिशनल सॉलीसिटर जनरल एस वी राजू ने कुछ देर बाद बहस करना बंद कर दिया। कहा, वे निर्देश लेना चाहते हैं, लेकिन अदालत ने सुनवाई स्थगित करने से इनकार कर दिया। और आदेश लिखवाना शुरू कर दिया।