MLA Dr Rajeshwar Singh: नेता कोई भी हो, उसके समर्थक और विरोधी जरूर होते हैं। लेकिन डॉक्टर राजेश्वर सिंह के साथ ऐसा नहीं है। वह तो सभी के चहेते हैं। केंद्रीय मंत्री हो या उत्तर प्रदेश का मंत्री, विधायक हो या कोई प्रशासनिक अधिकारी, सभी उन्हें दिलोजान से चाहते हैं। यह बात तब सामने आई, जब उनकी माता जी की तेरहवीं के मौके पर उनके निवास पर वीआईपी लोगों का तांता लग गया।
MLA Dr Rajeshwar Singh: नेता, अधिकारी, पत्रकार और आम जनता की संवेदना
श्रीकांत सिंह और आरएस चौहान की रिपोर्ट
लखनऊ। MLA Dr Rajeshwar Singh: भाजपा विधायक डॉक्टर राजेश्वर सिंह की माता जी के तेरहवीं संस्कार में परिजनों के अलावा उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, बीजेपी संगठन महामंत्री सुनील बंसल, उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह, अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल, रामपुर खास विधायक आराधना मिश्रा ‘मोना’, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्ण, समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव, लोक गायिका मालिनी अवस्थी, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह, पूर्व विधायक शंकरी सिंह सहित तमाम राजनेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों ने शिरकत की।
उत्तर प्रदेश में सरोजनीनगर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह की मां तारा सिंह का आगरा में 24 मई को निधन हो गया था। रविवार 5 जून को लखनऊ के आशियाना स्थित आवास पर तेरहवीं संस्कार का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दौरान देशभर की कई बड़ी राजनीतिक और सामाजिक हस्तियां भी मौजूद रहीं। 10 हजार से अधिक लोगों ने उनकी माता को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में आए लोगों को गीता की प्रति भेंट की गई।
इससे पहले पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनके आवास पर पहुंच कर उनकी मां के पार्थिव शरीर पर पुष्पार्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी डॉ राजेश्वर सिंह की माता के निधन पर दुःख जताया था। पत्रकार आरएस चौहान, श्रीकांत सिंह और शैलेश सिंह भी तेरहवीं के मौके पर राजेश्वर सिंह के निवास पर पहुंचे थे।
मुठभेड़ में महारत, 13 एनकाउंटर के जरिये बना ली थी पहचान
राजेश्वर सिंह ने एक के बाद एक 13 एनकाउंटर को अंजाम दिया। उन्होंने खूंखार और कट्टर अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में बड़ी शिद्दत से काम किया। उत्तर प्रदेश पुलिस ज्वाइन कर 14 महीने में ही उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी। काम के दम पर ही उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ और ‘साइबर जेम्स बॉन्ड’ कहा जाने लगा था।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए और कांग्रेस को मुश्किल में डालने वाले प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक रहे राजेश्वर सिंह यूपी के सुल्तानपुर जिले के पखरौली के मूल निवासी हैं। उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स, धनबाद से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट की डिग्री हासिल की। उन्होंने लॉ और ह्यूमन राइट्स में भी डिग्री ली है।
राजेश्वर सिंह ने सुलझाए थे कई महत्वपूर्ण मामले
दरअसल, वह 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी रहे हैं। लखनऊ में डिप्टी एसपी के रूप में तैनाती के दौरान उन्हें इनकाउन्टर स्पेशलिस्ट माना जाता था। वर्ष 2009 में राजेश्वर सिंह प्रतिनियुक्ति पर ईडी में चले गए थे। वहां भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण केस साल्व किए थे।
उन्होंने अगस्त 2021 में वॉलेंटियरी रिटायरमेंट यानी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। वह प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के संयुक्त निदेशक रहे हैं। कभी वह उत्तर प्रदेश पुलिस में एनकाउंटर स्पेशिलिस्ट के रूप में जाने जाते रहे। लेकिन अब उनकी पहचान एक सर्वमान्य नेता की है।
तकरीबन 3000 करोड़ रुपये के असेट्स को किया सीज
वह 1996 बैच के पीपीएस अधिकारी हैं। वर्ष 2009 में राजेश्वर सिंह प्रतिनियुक्ति पर ईडी में चले गए थे। वहां भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण केस साल्व किए। अपने कार्यकाल के दौरान अफेंडर्स के तकरीबन 3000 करोड़ रुपये के असेट्स को सीज किया।
उनके नेतृत्व में ईडी ने 2जी स्पैक्ट्रम स्कैम में 223 करोड़, रेड्डी मामले में 1000 करोड़, एयरसेल-मैक्सिस मामले में 750 करोड़, मधु कोड़ा मामले में तकरीबन 300 करोड़ के असेट्स सीज किए।
अधिकारियों से सुसज्जित है पारिवारिक पृष्ठभूमि
पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें, तो इनके एक भाई और एक बहन इनकम टैक्स कमिश्नर हैं। बहनोई राजीव कृष्ण आईपीएस हैं और आगरा ज़ोन के एडीजी हैं। इनके दूसरे बहनोई वाई पी सिंह भी आईपीएस थे और उन्होंने भी वीआरएस ले लिया था।
राजेश्वर सिंह के पिता भी पुलिस विभाग में थे और डीआईजी के पद से रिटायर हुए थे। राजेश्वर सिंह की पत्नी लक्ष्मी सिंह भी आईपीएस अधिकारी हैं। राजेश्वर सिंह माइनिंग इंजीनियरिंग में बीटेक हैं लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद पुलिस सेवा के लिए पद हासिल कर लिया।
चिदंबरम को पिलाया पानी, सहारा प्रमुख को भिजवाया जेल
कांग्रेस की यूपीए सरकार में वर्ष 2010 से 2018 तक हुए कामनवेल्थ गेम में हुए घोटाले और कोल डिपो के आवंटन में हुई अनियमितता की जांच भी इन्हीं ने की थी। अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर डील में हुई अनियमितता के मामले में तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कीर्ति चिदम्बरम का नाम शामिल होने का मामला आया था। कार्रवाई इन्होंने ही की थी।
मई 2011 में सिंह ने सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय, पत्रकार उपेंद्र राय और सुबोध जैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। राजेश्वर ने शिकायत की थी कि रॉय के साथ उपेंद्र और सुबोध जैन 2जी स्कैम में उनकी जांच में हस्तक्षेप कर रहे हैं। इस जांच के दायरे में सहारा ग्रुप के भी कुछ सौदे थे। कोर्ट ने 2013 में माना था कि इनके खिलाफ केस बनता है। इसके बाद उन्हें नोटिस जारी किया गया था।
सहारा इंडिया न्यूज नेटवर्क और उसके सहयोगी संस्थान
सहारा इंडिया न्यूज नेटवर्क और उसके सहयोगी संस्थानों को सिंह से संबंधित किसी भी स्टोरी या प्रोग्राम के प्रकाशन और प्रसारण से रोक दिया गया था। सहारा प्रमुख को हाउसिंग फाइनेंस के नाम पर लोगों से गैर-कानूनी तरीके से 24 हजार करोड़ लेने के आरोप में जेल भेजा गया था। सहारा समूह की दो कंपनियों ने गैर-कानूनी तरीके से निवेशकों से यह पैसा जमा किया था।
साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों से जुटाई गई रकम को सेबी के एस्क्रो अकाउंट में जमा करने को कहा था। जब सहारा ऐसा नहीं कर पाए तो उन्हें जेल भेज दिया गया था। उधर, मुख्यमंत्री रहे ओम प्रकाश चौटाला, मधु कोड़ा और जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ भी वह जांच का भी हिस्सा रहे।
MLA Dr Rajeshwar Singh: अपने एक लम्बे समय की प्रवर्तन निदेशालय लखनऊ में तैनाती के बाद भी राजेश्वर सिंह की सेवा की अवधि में 12 साल बचे थे। लेकिन वीआरएस लेकर उन्होंने देश सेवा का व्रत ले लिया। आज उनके मधुर व्यवहार का हर कोई कायल है।