Modi’s hypocrisy: अब तक अंधभक्तों और गोदी मीडिया को मोदी सरकार की आलोचना करने वालों में देशद्रोही, नक्सली, आतंकवादी और दुर्भावनाग्रस्त व्यक्ति ही नजर आता था। इस बार आक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे कोरोना मरीजों के मामले में आम आदमी से लेकर डॉक्टरों तक के मोदी सरकार पर उंगली उठाने पर अंधभक्त कुछ शांत हुए हैं।
Modi’s hypocrisy: अंधभक्तों और गोदी मीडिया के मुंह पर भी तमाचा
चरण सिंह राजपूत
Modi’s hypocrisy: यह अंधभक्तों और गोदी मीडिया के मुंह पर भी तमाचा है कि कोर्ट भी मोदी सरकार को कोरोना से निपटने में विफल होने पर लगातार फटकार लगा रहा है। देश की राजधानी के जाने-माने बत्रा अस्पताल के प्रमुख डॉ. एससीएल गुप्ता ने तो अंग्रेजी समाचार चैनल इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से बातचीत करते हुए यहां तक कह दिया कि पता नहीं देश कौन चला रहा है? उनका कहना है कि 14 महीने से आखिरकार सरकार क्या कर रही थी?
इसे न केवल इंसानियत बल्कि देश से भी गद्दारी कहा जाएगा कि देश में गोदी मीडिया और अंध भक्तों ने ऐसा माहौल बना दिया था कि मोदी सरकार की आलोचना को देश की आलोचना करार दिया जाने लगा।
यही वजह रही कि नोटबंदी, जीएसटी, रोजी-रोटी के बड़े संकट के साथ ही कोराना का कहर झेलने के बावजूद देश में ऐसा माहौल बना रहा कि जैसे मोदी देश में कोई बड़ा करिश्मा करने जा रहे हों। देश रोटी, स्वास्थ्य, शिक्षा मांगता रहा और मोदी राफेल ले आए।
‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय’
गांवों में एक कवायत बहुत प्रचलित है कि ‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय’। यह कहावत आज मोदी सरकार पर सटीक बैठ रही है। 2014 के आम चुनाव में माना जा सकता है कि लोगों को गुजरात मॉडल पर भ्रम था।
मोदी ने लोकलुभावने वादों से लोगों को भ्रमित कर दिया था पर 2019 के आम चुनाव में मोदी सरकार की ऐसी कोई उपलब्धि नहीं थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दोबारा से सत्ता सौंपी जाती। 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार रोजी-रोटी समेत लगभग हर मामले में विफल साबित हुई थी।
हां, खोखले राष्ट्रवाद के सहारे उसने स्वयंभू हिन्दुत्व का एक बैराग जरूर देश के एक बड़े तबके में फैला दिया गया। देश के कुछ जागरूक और जिम्मेदार लोग चिल्लाते रहे कि यह व्यक्ति देश को बर्बाद कर देगा पर देश के कुछ स्वार्थी लोग मोदी को देश का उद्धारक बताते रहे।
थाली-ताली बजाओ वाले पाखंड
पिछले साल भी जब कोरोना का कहर देश पर बरपा तो देश के जिम्मेदार लोगों ने मोदी के थाली-ताली बजाओ दीया जलाओ वाले पाखंड पर काफी कुछ बोला और लिखा भी पर लोगों के मन में मोदी की अंधभक्ति ऐसे घर कर गई थी कि उन्हें मोदी का हर पाखंड भाने लगा।
गत वर्ष लोगों की प्रतिरोधक क्षमता ने कोरोना का कहर काफी हद तक झेल लिया तो गोदी मीडिया चिल्लाने लगा कि मोदी ने देश को बचा लिया। इस बार गोदी मीडिया नहीं बोल रहा है कि मोदी ने देश को मार दिया। रजत शर्मा, सुधीर चौधरी, दीपक चौरसिया जैसे स्वयंभू बड़े पत्रकारों का काम बस मोदी को जस्टिफाई करना रह गया।
देश के बुद्धिजीवियों में भी एक वर्ग मोदी सरकार का प्रवक्ता बन गया। लोगों की अंधभक्ति और मीडिया की मोदी भक्ति का असर रहा कि मोदी सरकार ने कोरोना से बचने के कारगर इंतजाम नहीं किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने अहंकार में डूबे रहे।
किसान और मजदूर की बर्बादी
उल्टे किसान और मजदूर की बर्बादी की कहानी उन्होंने नये किसान कानून बनाकर व श्रम कानून में संशोधन कर कोरोना की आड़ में ही लिख दी। बल्कि जब कोरोना के कहर और अक्सीजन की कमी से लोग बड़े स्तर पर मरने लगे तब भी प्रधनामंत्री नरेंद्र मोदी बंगाल में चुनाव प्रचार का ड्रामा करते रहे। गृह मंत्री अमित शाह ने तो ऐसे संकट के समय में यहां तक कह दिया कि चुनाव प्रचार का अधिकार उन्हें संविधान ने दिया है।
ऐसा लग रहा है कि देश की एजेंसियां भी गैर जिम्मेदाराना रवैये में बहुत आगे निकल गई हैं। जब देश कोरोना कहर से जूझ रहा है ऐसे में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में प्रधानमंत्री आवास के निर्माण को तमाम एजेंसियो ने हरी झंडी दे दी है।
यह प्रोजेक्ट 13 हजार करोड़ का बताया जा रहा है। यह अपने आप में दिलचस्प है कि देश में आक्सीजन नहीं है और इस प्रोजेक्ट को 2024 के आम चुनाव से पहले तैयार हो जाना है। काम न रुके, इसलिए कोरोना काल में भी इसे आवश्यक कार्यों में शामिल किया गया है।
मोदी क्या कर रहे हैं?
पर्यावरण मंत्रालय ने जानकारी दी है कि पर्यावरण मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी ने 13 हजार 450 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के लिए सभी ज़रूरी मंजूरी दे दी है। माहौल को डाईवर्ट करने में माहिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब कोरोना कहर को चीन की ओर घुमाने में लग गए हैं।
गोदी मीडिया दिखाने लगा है कि कैसे चीन भारत की तबाही पर जश्न मनाने लगा है। अरे भाई चीन ही क्यों? अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन सभी देश मौके का फायदा उठाएंगे। विश्व गुरु बनने का सपना लेकर पूरी दुनिया में घूमने निकले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या कर रहे हैं?
गरीब जनता के खून-पसीने की कमाई पर फकीर प्रधानमंत्री पूरे विश्व का भ्रमण कर आए। एक धेले का काम विदेश से नहीं किया गया। गत कोरोना काल में चीन से 400 से ऊपर कंपनियां देश में लगा रहे थे। उत्तर प्रदेश में तो ऐसा माहौल बना दिया गया था कि जैसे अब उत्तर प्रदेश की बेरोजगारी खत्म हो जाएगी।
कहां है आत्मनिर्भरता?
कहां हैं स्मार्ट सिटी? कहां हैं स्मार्ट विलेज? कहां स्किल इंडिया? कहां है आत्मनिर्भरता? एक व्यक्ति देश को मूर्ख बनाता रहा और लोग बनते रहे? देश में न्यायपालिका को प्रभावित कर राम मंदिर निर्माण का फैसला दिलवा दिया। जम्मू-कश्मीर में 370 हटवा दी तो लोगों को ऐसा लगने लगा कि अब देश को और किसी चीज की जरूरत नहीं है।
Modi’s hypocrisy: रोजी-रोटी, स्वास्थ्य, शिक्षा, किसान, मजदूर जैसे बुनियादी मुद्दे गौण कर दिये गये। लोग हिन्दू-मुस्लिम की चासनी चाटते रहे। चुनावों में भी लोग बुनियादी मुद्दे भूल जाते हैं। खोखले राष्ट्रवाद के चक्कर में आकर देश की बर्बादी देख रहे हैं। निजीकरण को देश का एक बड़ा तबका देश के विकास के रूप में देख रहा है। आज देख रहे हैं न। निजी अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली में अंतर। काश लोग अब भी चेत जाएं।