
आर के तिवारी
अंधभक्ति कितनी घातक होती है, उसका एक जीता जागता उदाहरण सामने आया है। हुआ यह कि एक हैकर ने पीएम मोदी का व्यक्तिगत ट्विटर अकाउंट हैक कर लिया और उसके जरिये कोविड-19 रिलीफ फंड के लिए डोनेशन में बिटक्वॉइन देने की अपील कर दी। बाद में यह पता चल जाने पर भी कि ये एक साइबर हमला है, हैकरों के पास लोगों ने एक लाख डॉलर से ज़्यादा रकम ट्रांसफ़र कर दी।
दरअसल, क्रिप्टोकरेंसी के सिरों को पकड़ पाना बहुत मुश्किल काम होता है और साइबर अपराधी इन खातों को फ़ौरन ख़ाली कर देते हैं। मोदी की पर्सनल वेबसाइट का ट्विटर अकाउंट हैक करने वाले का नाम जॉन विक है। इस हैकर के ट्वीट्स डिलीट कर दिए गए हैं।
हैकर ने पीएम मोदी की पर्सनल वेबसाइट के टि्वटर अकाउंट पर एक मैसेज में लिखा, मैं आप लोगों से अपील करता हूं कि कोविड-19 के लिए बनाए गए पीएम मोदी रिलीफ फंड में डोनेट करें। एक और ट्वीट में हैकर ने लिखा, यह अकाउंट जॉन विक ने हैक किया है। हमने पेटीएम मॉल हैक नहीं किया है।
बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पर्सनल वेबसाइट के ट्विटर अकाउंट के 25 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। ट्विटर ने कहा है कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी वेबसाइट का ट्विटर अकाउंट हैक कर लिया गया था। इस अकाउंट से लगातार कई ट्वीट किए गए, जिनमें लोगों से एक राहत कोष के लिए क्रिप्टोकरेंसी से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष में डोनेशन देने की अपील की गई।
ट्विटर के मुताबिक, इस बात का पता चलने पर खाते की सुरक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठाए गए हैं। ट्विटर के एक प्रवक्ता ने कहा, हम स्थिति की जांच कर रहे हैं। वैसे यह कोई नया मामला नहीं है। कुछ समय में दुनिया की कई नामी हस्तियों के ट्विटर अकाउंट हैक किए गए हैं, जिनमें अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, बिल गेट्स और टेस्ला कंपनी के संस्थापक एलन मस्क के अकाउंट शामिल थे।
दो महीने पहले ट्विटर ने कहा था, नामी शख़्सियतों के 130 अकाउंटों पर साइबर हमला हुआ है, मगर हमलावर बहुत कम ही खातों का कंट्रोल हासिल कर सके। इसके बाद संघीय जांच एजेंसी एफ़बीआई को जाँच के लिए बुलाया गया था। तब हैकरों ने इन अकाउंटों में सेंध इसलिए लगाई क्योंकि वे ट्विटर के इटर्नल डमिनिस्ट्रेशन टूल्स तक पहुंच गए थे।
दरअसल, ये नई व्यवस्था की एक खामी है कि लोग पहले जहां नेताओं से सीधे रूबरू होते थे और पत्रकार प्रेस कान्फ्रेंस के जरिये नेताओं के विचार जनता तक पहुंचाते थे। लेकिन अब जनता और नेता के बीच में सोशल मीडिया आ गया है। हमारे नेता जनता से सीधे नहीं जुड़ेंगे तो सोशल मीडिया पर भरोसा कर लोग भटकाव के शिकार होते रहेंगे।