
Nancy Pelosi Taiwan Visit: चीन ने अमेरिका को चेतावनी दी थी कि अगर अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी ताइवान की यात्रा करती हैं तो अमेरिका को इसका ख़मियाज़ा भुगतना होगा। फिर भी नैंसी पेलोसी को ताइवान जाने से कोई नहीं रोक सका। इससे विश्व पटल की राजनीति गरमा गई है।
Nancy Pelosi Taiwan Visit: सैनिक कार्रवाई कर सकता है चीन
आईपी न्यूज डेस्क
Nancy Pelosi Taiwan Visit: दरअसल, अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद नैन्सी पलोसी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के बाद अमेरिका की तीसरी सबसे ताक़तवर नेता हैं। उनकी यात्रा से चीन बौखलाया हुआ है। उसने पेलोसी के ताइवान पहुंचने के बाद फिर अमेरिका को धमकी दे डाली।
एजेंसी की खबरों में कहा गया है कि चीन ने टारगेटेड मिलिट्री एक्शन लेने की बात कही है। लेकिन यह साफ नहीं किया गया कि चीन किन टारगेट पर सैन्य कार्रवाई की धमकी दे रहा है। इसके पहले अमेरिका, ताइवान और चीन तीनों ने अपनी फौजों को जंग के लिए तैयार रहने को कहा था। तीनों देशों ने फौज के लिए हाईअलर्ट भी जारी कर दिया था।
ताइवान पर दावे प्रति दावे के बीच बढ़ा तनाव
वास्तव में चीन स्व-शासित ताइवान को अपना एक प्रांत मानता है। इसलिए चीन सैन्य हस्तक्षेप भी कर सकता है। दूसरी ओर, ताइवान ख़ुद को एक आज़ाद मुल्क मानता है। लेकिन अमेरिका ने चीन की धमकियों की कोई परवाह नहीं की। अमेरिकी नेवी और एयरफोर्स के 24 एडवांस्ड फाइटर जेट्स ने नैंसी के प्लेन को एस्कॉर्ट किया।
यहां तक कि चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने पिछले दिनों कहा था कि पेलोसी का प्लेन ताइवान की तरफ गया तो उसे उड़ाया जा सकता है। चीनी एयरफोर्स के एयरक्राफ्ट पेलोसी के विमान को घेर लेंगे। इतनी सारी धमकियों के बावजूद उनका अमेरिका पर कोई असर नहीं पड़ा। आखिर ऐसी क्या बात है, जो अमेरिका ताइवान में इतनी रुचि दिखा रहा है?
चीन नहीं चाहता सीधा टकराव
‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की रिपोर्ट की बात करें तो शुरुआत में कुछ झिझक दिखाने के बाद अब जो बाइडेन प्रशासन ने चीन से सीधे निपटने के लिए तैयारी कर ली है। तभी तो पेलोसी के एयरक्राफ्ट को रोकने की हिम्मत चीन नहीं कर पाया।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ने सिर्फ धमकी दी थी। ऐसी कोई हिमाकत वह नहीं करेगा जिससे अमेरिका से सीधा टकराव तय हो जाए। इसकी वजह यह है कि इस क्षेत्र में अब अमेरिका भी बेहद ताकतवर हो चुका है।
ताइवान-अमेरिका दोस्ती पर गर्व
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन और अन्य सांसदों से मिलीं। उन्होंने ताइवान की संसद को संबोधित भी किया और कहा, हम दुनिया के सबसे स्वतंत्र समाजों में एक होने के लिए ताइवान की सराहना करते हैं। क्योंकि कोरोना से लड़ाई में ताइवान ने मिसाल कायम की है। हमें ताइवान-अमेरिका दोस्ती पर गर्व है।
उधर, इस दौरे से भड़की चीन की सेना ने चेतावनी दी है कि हम हर उकसावे का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करन में सक्षम हैं। इन दो देशों के बीच का विवाद काफी पुराना है। 1949 से ही चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है तो ताइवान का कहना है कि वह एक आजाद देश है।
इन देशों के बीच विवाद दूसरे विश्व युद्ध के बाद से शुरू हुआ। साल 1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। उसके बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आकर बस गए। यही वह साल था जब चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा।