
नई दिल्ली। देश की नई शिक्षा नीति में शिक्षा व्यवस्था के अलावा शिक्षकों की योग्यता पर भी फोकस किया गया है। पूरे देश में ‘एक जैसे शिक्षक और एक जैसी शिक्षा’ पॉलिसी पर काम किया जाएगा। अयोग्य शिक्षकों को हटाया जाएगा। B.Ed कोर्स में बड़े बदलाव किए गए हैं ताकि जितने भी नए शिक्षक नियुक्त हों, वे नई शिक्षा नीति के अनुरूप स्टैंडर्ड के हों।
नई शिक्षा नीति के अनुसार शासकीय शिक्षकों के लिए नेशनल लेवल का स्टैंडर्ड तैयार होगा। टीचर्स के लिए अगले दो साल के भीतर न्यूनतम डिग्री बीएड तय होगी, जो उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक से चार साल की होगी। ये एमए के बाद एक साल और इंटरमीडिएट के बाद चार साल की होगी। यानी, यदि 12वीं का स्टूडेंट टीचर बनना चाहता है तो वह सीधे B.Ed में एडमिशन ले सकता है।
शिक्षा नीति में वर्ष 2022 तक नेशनल काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (NCTE) को टीचर्स के लिए एक समान मानक तैयार करने को कहा गया है। ये पैरामीटर नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड फॉर टीचर्स कहलाएंगे। यह कार्य जनरल एजुकेशन काउंसिल के निर्देशन में पूरा करेगी।
सरकार ने कहा है कि साल 2030 तक सभी बहुआयामी कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पठन पाठन के कोर्स को संस्थानों के अनुरूप अपग्रेड करना होगा। साल 2030 तक शिक्षकों के लिए न्यूनतम डिग्री बीएड होगी, इसकी अवधि चार साल हो जाएगी। बीएड के लिए कुछ इस तरह से व्यवस्था की जाएगी। बीएड की दो साल की डिग्री उन ग्रेजुएट छात्रों को मिले जिन्होंने किसी खास सब्जेक्ट में चार साल की पढ़ाई की हो।
चार साल की ग्रेजुएट की पढ़ाई के साथ एमए की भी डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बीएड की डिग्री एक साल में ही प्राप्त हो जाएगी, लेकिन इसके जरिये विषय विशेष के शिक्षक बन पाएंगे।
बीएड प्रोग्राम में शिक्षा शास्त्र की सभी विधियों को शामिल किया जाएगा। इसमें साक्षरता, संख्यात्मक ज्ञान, बहुस्तरीय अध्यापन और मूल्यांकन को विशेष रूप से सिखाया जाएगा। टीचिंग मेथड में टेक्नोलॉजी को खास तौर पर जोड़ा जाएगा।
के. कस्तूरीरंगन कमेटी की उन सभी सिफारिशों को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूर किया है जिसमें शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार की बात कही गई थी। इसमें सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की थी।
कमेटी की उन सिफारिशों को भी मान लिया गया है जिसमें स्तरहीन शिक्षक-शिक्षण संस्थानों को बंद करने की बात कही गई थी। अब सभी शिक्षण तैयारी/ शिक्षा कार्यक्रमों को बड़े बहुविषयक विश्वविद्यालयों/ कॉलेजों में स्थानांतरित करके शिक्षक शिक्षण के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बदलाव का भी प्रस्ताव है। इसके अलावा 4-वर्षीय एकीकृत चरण वाले विशिष्ट बी.एड. कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को अंततः न्यूनतम डिग्री की योग्यता प्राप्त हो सकेगी।
देश में एक जैसे शिक्षक और एक जैसी शिक्षा को आधार बनाकर इस समिति की सिफारिशाें को लागू किया गया है। अब विद्यालयों में स्थानीय ज्ञान और लोक विद्या जैसी जानकारियों के लिए स्थानीय पेशेवरों को अनुबंध पर लिया जा सकता है।