New Movies: जब मानवता की बात आए तो अपनी सारी ताकत निचोड़ कर फेक देनी चाहिए। और इस परिस्थिति में जो उचित लगे, वही करना चाहिए। नई फिल्म ‘भीड़’ के जरिये कुछ यही संदेश देने की कोशिश की गई है। तभी तो फिल्म को ब्लैक एंड व्हाइट में शूट किया गया है। और यह भी संदेश दिया गया है कि त्रासदी कभी रंगीन नहीं हो सकती। आज हम उन नई फिल्मों की भी बात करेंगे, जो पिछले दिनों पत्रकारों को दिखाई गईं।
New Movies: भीड़ से ही निकल कर आता है हीरो
श्रीकांत सिंह
New Movies: कभी कभी भीड़ को हिकारत भरी नजरों से देखा जाता है। उसके साथ व्यवहार करने में मानवता को तार तार करने से भी गुरेज नहीं किया जाता। कोविड काल में ऐसे तमाम दृश्य उपस्थित हुए थे। इन्हीं दृश्यों को समेट कर बनाई गई है फिल्म भीड़। यह फिल्म शासन प्रशासन के ताकतवर अधिकारियों को आइना दिखाने में काफी सफल साबित हुई है।
फिल्म में दिखाया गया है कि हीरो वह नहीं होता है, जिसे असीम ताकत हासिल होती है। हीरो वह है जो मानवता के लिए अपनी सारी ताकत को भी दरकिनार कर देता है। और मानवता की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर देता है। अभिनेता आशुतोष राणा और राजकुमार राव के दमदार अभिनय ने तो फिल्म में जान डाल दी है।
राष्ट्रीय राजधानी में फिल्म ‘भीड़’ का प्रमोशन
New Movies: हाल ही में अभिनेता आशुतोष राणा और राजकुमार राव अपनी फिल्म ‘भीड़’ के प्रमोशन के लिए दिल्ली पहुंचे थे। यह फिल्म भारत में 2020 में आई कोविड महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन की पृष्ठभूमि पर आधारित है। अनुभव सिन्हा ने फिल्म का लेखन, निर्देशन और निर्माण किया है। फिल्म 24 मार्च को रिलीज हुई है।
फिल्म को ब्लैक एंड व्हाइट में शूट किया गया है। नई दिल्ली के इंपीरियल होटल में आयोजित प्रमोशनल कार्यक्रम में मीडिया से बातचीत में आशुतोष राणा ने फिल्म को बिना रंगों के रिलीज करने के बारे में बताया था कि ‘कोरोना के दौरान मानवता को बहुत नुकसान हुआ। यह हम सभी के लिए एक त्रासदी थी और यह कभी रंगीन नहीं हो सकती।
दर्द और दुखद अनुभवों को दिखाने की कोशिश
New Movies: उन्होंने कहा, ‘भीड़’ में हमने उस दर्द और दुखद अनुभवों को दिखाने की कोशिश की है, जिसका लोगों ने सामना किया। इसलिए हमने इसे ब्लैक एंड व्हाइट रखा। राजकुमार राव ने कहा, ‘सभी प्रोटोकॉल और दिशा निर्देशों का पालन करते हुए फिल्म को लॉकडाउन के दौरान शूट किया गया है।
उन्होंने कहा, रियलटाइम में शूटिंग करने से हमें बहुत ताकत मिली। क्योंकि हमने देखा कि कोविड के कारण सैकड़ों प्रवासी अपने गृहनगर वापस जा रहे हैं।’ यह फिल्म निश्चित तौर पर आपको कोविड काल की याद दिलाएगी। और यह सोचने के लिए मजबूर भी करेगी कि उस दौर में क्या कुछ गलत हुआ था।
रोंगटे खड़ा करता दमदार थ्रिलर जॉन विक का चैप्टर 4
New Movies: हॉलीवुड एक्शन, थ्रिलर फिल्मों के शौकीनों के लिए इस सप्ताह ऐसी फिल्म रिलीज हुई है जिसका उन्हें लम्बे अरसे से बेसब्री से इंतजार था। जॉन विक सीरीज की पिछली तीनों फिल्मों ने टिकट खिड़की पर जबर्दस्त कमाई की और समीक्षकों की भी वाह वाह जमकर बटोरी। ऐसे में सीरीज की अब जब आखिरी फिल्म यानी चेप्टर 4 को मेकर लायंस गेट और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी पीवीआर कंपनी ने शुक्रवार को रिलीज किया तो बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को पहले ही दिन टिकट खिड़की पर जबर्दस्त रिस्पॉस भी मिला।
लायंसगेट की बड़ी-टिकट वाली यह फ्रेंचाइजी, जॉन विक, वैश्विक आइकन कीनू रीव्स जैसे मंझे हुए स्टार्स के साथ बनी फिल्म में पिछली तीनों फिल्मों से कहीं ज्यादा एक्शन है। कीनू हमारे पास जॉन विक एक्शन के नए स्तर और नए हथियार भी हैं। और मसल कार वापस आ गई हैं! इस कहानी में, विंस्टन बदला लेने में उस्ताद नजर आता है।
फिल्म देखने के बाद भी याद रहते हैं सीन
फिल्म के कुछ सींस दर्शको को फिल्म देखने के बाद भी याद रहते हैं। विंस्टन और हाई टेबल के खिलाफ बदला लेने के लिए कीनू रीव्स के हत्यारे को देखने का ऑडियंस में जबर्दस्त क्रेज रहा! यह फिल्म पिछली घटनाओं से तब पर्दा उठाती है जब जॉन को मृत अवस्था में छोड़ दिया गया था। जॉन विक: चैप्टर 3 पैराबेलम, 2019 में रिलीज़ हुई थी। रीव्स के कुख्यात हत्यारे के बारे में क्या कहना है, जो अपने विश्वासपात्र विंस्टन द्वारा धोखा दिए जाने के बाद कॉन्टिनेंटल होटल के ऊपर से गिर गया।
करीब पौने तीन घंटे की फिल्म को देखने के बाद मेरा मानना है कि यह फिल्म जॉन विक फ्रेंचाइजी की लाजवाब बेहतरीन ऐसी फिल्म है, जिसे आपको मिस नहीं करना चाहिए। बेशक दो घंटे 49 मिनट लंबी है, लेकिन पिछली तीनों फिल्मों की लंबाई दो से सवा दो घंटे रही। फिल्म के डायरेक्टर चाड स्टेल्स्की की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने पहले सीन से अंतिम सीन तक खून खराबे से भरी इस फिल्म को ऐसे ट्रेक पर रखा जिसमें पूरी फिल्म में कहीं भी दर्शक खुद को स्टोरी के साथ जुड़ा रहता है। यही डायरेक्टर स्टेल्स्की की सबसे बड़ी खूबी रही।
ज्यादातर सीन डार्क लाइट में शूट
New Movies: बता दें कि चैप्टर फ्रेंचाईजी की पिछली फिल्मों का निर्देशन किया था, फिल्म के ज्यादातर सीन डार्क लाइट में शूट किए गए हैं, जो किरदारो को और ज्यादा खूंखार दिखाते हैं।
फिल्म के एक्शन दृश्यों की जितनी तारीफ की जाए कम होगी। कैन (डॉनी येन) का जवाब नहीं।अगर आपने चैप्टर सीरीज की पिछली फिल्मों को देखा है तो इस फिल्म को जरूर देखें। लायंसगेट और पीवीआर पिक्चर्स ने इस फिल्म को अंग्रेजी, हिंदी, तमिल और तेलुगू में एकसाथ रिलीज किया है।
दिल को छूती अरशद सिद्दीकी की ‘शुभ निकाह
New Movies: हिंदी सिनेमा की बात करें तो पचास के दशक से ही बॉलिवुड के मेकर्स लव जेहाद पर फिल्में बनाते रहे हैं। हिंदू-मुस्लिम जोड़ों की प्रेम कहानियों पर न जाने कितनी फिल्में बन चुकी हैं। अगर हम इस फिल्म की बात करें तो इसमें पिछली फिल्मों की तर्ज पर फिल्म का अंत हत्या या दो समुदायों के बीच बढ़ती नफरत या दंगों के साथ नहीं किया गया।
फिल्म का क्लाइमेक्स ऐसे विषयों पर बनी फिल्मों से टोटली डिफरेंट है। इतना ही नहीं, फिल्म के राइटर और डॉयरेक्टर ने पूरी ईमानदारी के साथ आउटडोर लोकेशन पर स्टार्ट टू फिनिश पूरा किया, जो फिल्म की स्टोरी की डिमांड भी थी।
स्टोरी मुन्ना लाल मिश्रा और जोया खान की
काठगोदाम और देहरादून के आसपास शूट की गई यह स्टोरी मुन्ना लाल मिश्रा और जोया खान की है। काशीपुर के एक कर्मकांडी पंडित गोविंद नामदेव का बेटा है जो इस्लामपुरा की एक अमीर मुस्लिम फैमिली की लड़की जोया खान को दिल से प्यार करता है। कुछ मुलाकातों के बाद जोया खान को यकीन हो जाता है की मुन्ना उसका सच्चा प्यार है।
दोनों का अब बस एक ही सपना है, किसी भी तरह से अपनी अपनी फैमिली को मनाना और फैमिली की रजामंदी से शुभ निकाह, विवाह करना। क्या जोया खान और मुन्ना मिश्रा अपनी अपनी फैमिली को इस शादी, निकाह के लिए राजी कर पाते हैं या नहीं?
सीमित बजट और नए कलाकारों का हुनर
डॉयरेक्टर सिद्दकी की तारीफ करनी चहिए कि उन्होंने सीमित बजट और नए कलाकारों के साथ एक ऐसी स्टोरी पर फिल्म बनाने का साहस दिखाया, जिसे बनाने से ग्लैमर इंडस्ट्री के नंबर वन प्रोडक्शन हाउस भी कतराते हैं। शुभ निकाह जैसी फ़िल्मों के माध्यम से समाज में हिंदू-मुस्लिम एकता और आपसी भाईचारे का सबूत पेश किया गया है।
मुन्ना उर्फ़ मुन्ना लाल मिश्रा और जोया ख़ान की इस प्रेम कहानी को बड़ी ही ख़ूबसूरती के साथ पेश करने की कोशिश की गई है। इस फ़िल्म की स्टोरी से सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया गया है। निर्देशक अरशद सिद्दीकी ने इस कहानी को असरदार ढंग से परदे पर उतारा है।
असरदार सब्जेक्ट पर पूरी ईमानदारी
जोया के किरदार में अक्षा पार्दसानी और मुन्ना के किरदार में रोहित विक्रम ने अच्छी एक्टिंग की है। मुन्ना मिश्रा के पिता के रोल में गोविंद नामदेव खूब जम रहे हैं। फिल्म की प्रॉडक्शन कंपनी ब्रांडेक्स एंटरटेनमेंट और अर्श संधू एंटरटेनमेंट की तारीफ करनी चाहिए कि उन्होंने एक असरदार सब्जेक्ट पर पूरी ईमानदारी से फिल्म बनाई है।
मुख्य कलाकर हैं रोहित विक्रम, अक्षा पार्दसानी, अर्श संधू और गोविंद नामदेव। लेखक निर्देशक हैं अरशद सिद्दीकी। निर्माता हैं भूपेंदर सिंह संधू, अर्पित गर्ग। प्रोडक्शन: ब्रांडेक्स एंटरटेनमेंट के साथ अर्श संधू प्रोडक्शन्स, सेंसर सर्टिफिकेट, यू, ए, अवधि: 125 मिनट।