NITI Aayog: नीति आयोग की बैठक में नीतीश कुमार का न जाना तो आम बात रही है। अक्सर वह इस बैठक से किनारा करते रहे हैं। क्योंकि हर बार बैठक में न जाने का कोई न कोई कारण मीडिया के प्लेटफार्म पर आ ही जाता था। इस बार उनका नीति आयोग की बैठक में न जाना एक सवाल बन कर रह गया है। विपक्ष का आरोप है कि विशेष राज्य का दर्जा न मिलने से नाराज सीएम नीतीश कुमार ने नीति आयोग की बैठक से खुद को अलग रखा।
NITI Aayog: आरजेडी ने कहा, नीति आयोग नहीं, भाजपा आयोग
इंफोपोस्ट डेस्क
NITI Aayog: राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने आरोप लगाया कि आखिर किस मुंह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीति आयोग की बैठक में जाते। लाख मांगने और काफी कोशिश करने के बाद विशेष राज्य का दर्जा मिला तो नहीं? केंद्र सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। इस बार नीति आयोग में जब जाने की बारी आई तो निराशा के कारण वह बैठक में उपस्थित नहीं हुए। बेकार में समय क्यों खराब करते नीतीश कुमार?
नीतीश कुमार नई दिल्ली में मई 2023 को आयोजित नीति आयोग की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। तब यह कारण सामने आया कि नीति आयोग की बैठक में शामिल होने से पहले ही नीतीश कुमार ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की बात कह चुके थे। तब विरोध स्वरूप पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तर्ज पर सीएम नीतीश कुमार ने भी नीति आयोग की बैठक से किनारा कर लिया था।
नीतीश कुमार 2022 में भी कोरोना के कारण बैठक में नहीं पहुंचे
NITI Aayog: अगस्त 2022 में आयोजित नीति आयोग की बैठक में सीएम नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए थे। लेकिन तब कहा गया था कि इस बार नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना से उबरे थे और फिलहाल अपनी कमजोरी से वे जूझ रहे हैं। वो चाहते थे कि नीति आयोग की बैठक में उनका प्रतिनिधित्व उपमुख्यमंत्री करें। इससे पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के लिए पीएम मोदी की ओर से आयोजित रात्रिभोज और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे।
दूसरी तरफ जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि इस बार बिहार के दो उपमुख्यमंत्रियों ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा चार केंद्रीय मंत्री नीति आयोग के सदस्य पहले से ही हैं। ये सभी लोग बिहार के संदर्भ में बात अच्छी तरह से रखेंगे। और बिहार के विकास को ले कर जो प्रस्ताव रखा जाएगा, वह मिलेगा भी।
क्यों चर्चा में है नीति आयोग की बैठक
नीति आयोग की बैठक आज काफी चर्चा में है। इसकी वजह यह है कि इंडिया गठबंधन ने नीति आयोग की बैठक का बायकाॅट किया है। जिन प्रदेशों में बीजेपी की सरकार नहीं है, उनके मुख्यमंत्रियों ने यह कहते हुए बैठक का बहिष्कार किया कि बजट में उन राज्यों की उपेक्षा हुई है, जहां बीजेपी की सरकार नहीं है। इंडिया गठबंधन का कहना है कि केंद्र सरकार ने उन राज्यों के साथ बदला ले रही है जिन्होंने चुनाव में बीजेपी का साथ नहीं दिया।
नीति आयोग की बैठक में गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में सिर्फ ममता बनर्जी शामिल हुईं, जो एक तरह से विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर रही थीं। लेकिन बैठक के बाद वे भी नाराज नजर आईं और कहा कि बंगाल के साथ अन्याय हुआ है। मुझे अपनी बात रखने का समय नहीं दिया गया। तमिलनाडु, झारखंड, कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों के बैठक का बहिष्कार करने पर बीजेपी ने कड़ी आपत्ति जताई और इसे केंद्र-राज्य संबंधों के लिए खतरनाक बताया है।
योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया नीति आयोग
नीति आयोग भारत सरकार की ओर से गठित एक नया संस्थान है जिसे योजना आयोग के स्थान पर बनाया गया है। 1 जनवरी 2015 को इस नए संस्थान के सम्बन्ध में जानकारी देने वाला मंत्रिमंडल का प्रस्ताव जारी किया गया। यह संस्थान सरकार के थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है और उसे निर्देशात्मक एवं नीतिगत गतिशीलता प्रदान करता है। नीति आयोग, केन्द्र और राज्य स्तरों पर सरकार को नीति के प्रमुख कारकों के सम्बन्ध में प्रासंगिक महत्वपूर्ण एवं तकनीकी परामर्श उपलब्ध कराता है।
इसमें आर्थिक मोर्चे पर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय आयात, देश के भीतर, साथ ही साथ अन्य देशों की बेहतरीन पद्धतियों का प्रसार नए नीतिगत विचारों का समावेश और विशिष्ट विषयों पर आधारित समर्थन से सम्बन्धित मामले शामिल होते हैं। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कान्त हैं। नीति आयोग के सदस्यों में विवेक देवराय, वीके सारस्वत, रमेश चन्द्र और विनोद पाल शामिल हैं। योजना आयोग और नीति आयोग में मूलभूत अन्तर है कि इससे केन्द्र से राज्यों की तरफ चलने वाले एक पक्षीय नीतिगत क्रम को एक महत्वपूर्ण विकासवादी परिवर्तन के रूप में राज्यों की वास्तविक और सतत भागीदारी से बदल दिया गया है।
योजना तैयार करने के लिए तंत्र विकसित करता है नीति आयोग
नीति आयोग ग्राम स्तर पर विश्वसनीय योजना तैयार करने के लिए तंत्र विकसित करता है और इसे उत्तरोत्तर उच्च स्तर तक पहुंचाता है। आयोग राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, प्रैक्टिशनरों और अन्य हितधारकों के सहयोगात्मक समुदाय के जरिये ज्ञान, नवाचार, उद्यमशीलता सहायक प्रणाली बनाता है। इसके अतिरिक्त आयोग कार्यक्रमों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता निर्माण पर बल देता है।
सरकार का संस्थागत ढांचा विकसित और परिपक्व हुआ है। इससे कार्यक्षेत्र में विशेषज्ञता विकसित हुई है जिसने संस्थाओं को सौंपे गए कार्यों की विशिष्टता बढ़ाई है। नियोजन की प्रक्रिया के संदर्भ में शासन की ‘प्रक्रिया’ को शासन की ‘कार्यनीति’ से अलग करने साथ ही साथ उसे ऊर्जावान बनाने की जरूरत है। शासन संरचना के संदर्भ में हमारे देश की जरूरतें बदली हैं। ऐसे में एक ऐसे संस्थान की स्थापना की आवश्यकता है जो सरकार के दिशात्मक और नीति निर्धारक थिंक टैंक के रूप में कार्य करे।
किन उद्देश्यों के लिए बनाया गया नीति आयोग
NITI Aayog: राष्ट्रीय उद्देश्यों को दृष्टिगत रखते हुए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं, क्षेत्रों और रणनीतियों का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करने के लिए नीति आयोग की जरूरत महसूस की गई। नीति आयोग का विजन बल प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को ‘राष्ट्रीय एजेंडा’ का प्रारूप उपलब्ध कराना है।
सशक्त राज्य ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। इस तथ्य की महत्ता को स्वीकार करते हुए राज्यों के साथ सतत आधार पर संरचनात्मक सहयोग की पहल और तंत्र के माध्यम से सहयोगपूर्ण संघवाद को बढ़ावा नीति आयोग के जरिये दिया जाता है। आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि जो क्षेत्र विशेष रूप से उसे सौंपे गए हैं उनकी आर्थिक कार्य नीति और नीति में राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों को शामिल किया गया है। समाज के उन वर्गों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है, जिन तक आर्थिक प्रगति से उचित प्रकार से लाभान्वित ना हो पाने का जोखिम होगा।