
Nitish Kumar Vs RCP Singh: आरसीपी सिंह यानी राम चंद्र प्रसाद सिंह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा कर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा धमाका किया है। जानेंगे कि कौन हैं आरसीपी सिंह और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के क्या राजनीतिक मायने हैं।
Nitish Kumar Vs RCP Singh: करीबी पर तीर चला नीतीश ने दिया बड़ा संदेश
श्रीकांत सिंह
Nitish Kumar Vs RCP Singh: यूपी कैडर के आईएएस रहे आरसीपी सिंह ने 11 साल पहले प्रशासनिक सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेने के बाद काफी सधे कदमों से मोदी कैबिनेट तक पहुंचने का सफर तय किया। कभी केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव रहे आरसीपी सिंह राज्यसभा सदस्य रहे हैं। उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बेहद करीबी माना जाता है।
दरअसल, जिस केंद्र सरकार के इशारे पर प्रवर्तन निदेशालय देश भर में छापे मार रहा है, उसी केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके नेता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा दिए जाएं और वह भी सहयोगी दल के शीर्ष नेता की ओर से तो मामला गंभीर हो जाता है। आरसीपी सिंह का मामला कुछ ऐसा ही है। क्योंकि यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ईडी या सीबीआई आरसीपी सिंह पर कोई कार्रवाई करेगी या पिक और चूज की ही नीति पर चलती रहेगी।
नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के हैं आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह को जनता दल यू में नीतीश के बाद दूसरे नंबर का नेता माना जाता है। पिछले दिनों सीएम नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा तो उत्तराधिकारी के तौर पर आरसीपी सिंह ही उनकी पसंद थे। जेडीयू की नीतियों को बनाने और कई बड़े फैसलों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वह नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के ही रहने वाले हैं।
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे आरसीपी सिंह पिछले 23 वर्षों यानी 1998 से सीएम नीतीश कुमार के साथ हैं। वह लंबे समय तक सीएम नीतीश कुमार के प्रधान सचिव के रूप में काम करते रहे हैं। 1996 में वह केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव हुआ करते थे। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार में जब नीतीश कुमार रेल मंत्री बने तो 1998 में उन्होंने आरसीपी सिंह को अपना विशेष सचिव बनाया। तब से वह लगातार नीतीश कुमार के साथ रहे। नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा तो कमान आरसीपी सिंह को ही सौंप दी।
यह राजनीतिक रूप से कितनी गंभीर बात?
इन हालात में आप समझ सकते हैं कि नीतीश कुमार अपने इतने करीबी और केंद्रीय मंत्री रह चुके आरसीपी सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं, तो यह राजनीतिक रूप से कितनी गंभीर बात हो सकती है। कह सकते हैं कि नीतीश कुमार ने सीधे भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से पंगा ले लिया है। इसके विस्तार में जाने से पहले आरसीपी सिंह के बारे में कुछ और समझ लेते हैं।
आरसीपी सिंह ने 2010 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। सरकारी सेवा छोड़ने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा में भेज दिया। इस वक्त जेडीयू से राज्यसभा के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने उच्च शिक्षा की पढ़ाई जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू से की है। वह मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर के रहने वाले हैं।
उनका जन्म 6 जुलाई 1958 को हुआ था। नालंदा जिले के हुसैनपुर से हाईस्कूल की पढ़ाई की। पटना साइंस कॉलेज से उन्होंने बीए, इतिहास (ऑनर्स) की डिग्री हासिल की। 1982 में उनकी शादी गिरिजा देवी से हुई और उन्होंने 1984 में यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी पाई। आरसीपी सिंह की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी लिपि सिंह भी 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं। वह बिहार में ही तैनात हैं।
आरसीपी सिंह की संपत्तियों का मांगा हिसाब
दरअसल, अब नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के बीच खड़ी अदृष्य दीवार एकाएक दिख गई है। जेडीयू ने आरसीपी सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनकी कमाई गई संपत्तियों का हिसाब मांगा है। जेडीयू के इस नोटिस में आरसीपी सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। तभी तो आरसीपी सिंह की मुश्कलें बढ़ने लगी हैं। नोटिस नालंदा जिले के जेडीयू प्रखंड अध्यक्ष के आरोप पर भेजा गया है।
जेडीयू के बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की ओर से ये जवाब-तलब किया गया है। साल 2013-2022 तक प्रॉपर्टी अर्जित करने का आरोप है। इसमें नालंदा जिले के दो प्रखंडों में खरीदी गई 40 बीघा जमीन भी शामिल है। जमीन को दान में लेने का आरोप भी आरसीपी सिंह पर लगा है। इन संपत्तियों का चुनावी हलफनामे में जिक्र नहीं किया गया था। पार्टी का आरोप है कि जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने इस बात को छिपाए रखा। जेडीयू ने यहां तक आरोप लगाया है कि आरसीपी सिंह ने अपनी पत्नी के नाम में हेरफेर कर जमीन खरीदी है।
बिहार से आ रही है किस बात की आहट?
आरसीपी सिंह जेडीयू के कोटे से दो बार राज्यसभा भेजे गए थे। उसके बाद उन्हें केंद्र में इस्पात मंत्री बनाया गया था। आरसीपी सिंह की इच्छा एक बार और केंद्रीय मंत्री बने रहने की थी। इसके लिए उन्होंने काफी प्रयास भी किए, मगर पार्टी के भीतर उनके लिए माहौल खराब हो चुका था। लिहाजा इस बार जेडीयू की ओर से खीरू महतो को राज्यसभा भेज दिया गया। इसके बाद से उनके दिन खराब चलने लगे। अब ये नया मामला जमीन का आया है।
चर्चा है कि नीतीश कुमार शीघ्र ही बड़ा धमाका करने वाले हैं। राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद से उनकी नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। उससे भी बड़ी बात यह है कि राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि शीघ्र ही बिहार में समाजवादी सरकार बनेगी। दूसरी बड़ी बात यह बताई जा रही है कि इस बार नीति आयोग की बैठक में बिहार से कोई नहीं जाएगा। आरसीपी सिंह पर जो आरोप लगाए गए हैं, उसकी चर्चा हम कर ही चुके हैं। जनता दल यूनाइटड के राष्ट्रीय अध्यक्ष लल्लन सिंह ने तो गठबंधन के भविष्य पर ही सवाल उठा दिया है।
दरअसल, इस समय नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं से मिलना जुलना भी बंद कर दिया है। नीतीश कुमार भाजपा से नाराज हैं या वह अपनी महत्वाकांक्षा की कोई नई चादर बुन रहे हैं। जबकि जातीय जनगणना कराए जाने की उनकी जिद को भी भाजपा ने मान लिया था। आरसीपी सिंह पर आरोप लगाकर नीतीश कुमार ने एक नजीर पेश करने की कोशिश की है कि वह भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति पर चल रहे हैं। कहने की जरूरत नहीं है कि भ्रष्टाचार के मामले में लालू की सजा से सहानुभूति की वर्षा होने लगी है। ऐसे में लालू को अपनाने में बुराई ही क्या है? क्या ऐसा नहीं लगने लगा है कि नीतीश कभी भी पाला बदल सकते हैं?