Noida Stadium Katha: नोएडा स्टेडियम में 27 जुलाई से श्री राम कथा का आयोजन किया जा रहा है। जाने माने कथावाचक स्वामी रामभद्राचार्य के मुखारविंद से कथा सुनने का यह अप्रतिम अवसर है। कथा 4 अगस्त तक चलेगी। समय होगा अपराह्न तीन बजे से शाम सात बजे तक।
Noida Stadium Katha: प्राचीन शास्त्रों और दर्शन के प्रकांड विद्वान
श्रीकांत सिंह
Noida Stadium Katha: स्वामी रामभद्राचार्य प्रख्यात आध्यात्मिक मार्गदर्शक, पद्मविभूषण और जगतगुरु रामानंदाचार्य हैं। वह प्राचीन शास्त्रों और दर्शन के प्रकांड विद्वान हैं। उन्होंने दशकों के समर्पित अध्ययन और अभ्यास के जरिये भगवान राम और सनातन संस्कृति की समृद्ध धरोहर में गहरी अंतरदृष्टि प्राप्त की है।
उन्होंने न्यायालय में श्रीराम जन्मभूमि मसले की सुनवाई के दौरान विशेषज्ञ गवाह के रूप में गवाही दी थी। न्यायाधीश यह मानने के लिए मजबूर हो गए थे कि उनके समक्ष चमत्कारिक ज्ञान से लैस और भौतिक आंखों से रहित एक परम विद्वान पुरुष गवाह के रूप में उपस्थित हुआ है।
सर्वप्रिय आध्यात्मिक मार्गदर्शक
स्वामी रामभद्राचार्य के प्रवचन बहुत मनोरम होते हैं। तभी तो उन्होंने दुनियाभर में अनगिनत लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। धार्मिकता, करुणा और भक्ति के कालातीत सिद्धांतों के संप्रेषण की उनकी कला ने उन्हें एक सर्वप्रिय आध्यात्मिक मार्गदर्शक बना दिया है।
उनका प्रगाढ़ ज्ञान और शास्त्रों की गहरी समझ उनके आध्यात्मिक प्रवचन को अलौकिक बना देती है। तभी तो श्रोताओं को भगवान राम की शिक्षाओं और सद्गुणों की गहराई में उतरने का अवसर प्राप्त होता है।
कठिन जीवन, कठोर तपस्या और कर्मठ व्यक्तित्व
स्वामी रामभद्राचार्य का जन्म एक वशिष्ठगोत्रीय सरयूपारिण ब्राह्मण परिवार में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के सांडीखुर्द अब शचीपुरम गांव में 1950 में हुआ था। उनकी माता का नाम शची देवी और पिता का नाम पंडित राजदेव मिश्र है।
वह रामानंद संप्रदाय के वर्तमान चार जगतगुरु रामानंदाचार्यों में एक हैं। चित्रकूट स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान तुलसी पीठ के संस्थापक अध्यक्ष हैं। चित्रकूट में ही स्थापित जगतगुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के वह संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं।
कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया
बताते चलें कि दो मास की आयु में वह नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे। तभी से वह प्रज्ञा चक्षु हैं। अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया। फिर भी वह बहुभाषाविद हैं और 22 भाषाएं बोल लेते हैं।
तभी तो उन्होंने संस्कृत, हिंदी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में 300 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है। पांच साल की उम्र में उन्होंने श्रीमद्भगवत गीता और सात साल की उम्र में श्रीरामचरित मानस को कंठस्थ कर लिया था।
श्री राम कथा में स्वागत की उत्सुकता
श्री रामराज फाउंडेशन हनुमान सेवा न्यास के प्रमुख प्रभारी हिमांगी सिंह रघुवंशी ने श्री राम कथा में उनका हार्दिक स्वागत करने के प्रति उत्सुकता जताई है।
उनका कहना है, हमारे लिए यह अत्यंत सम्मान का विषय है कि गुरुजी अपनी दिव्य उपस्थिति से श्री राम कथा की शोभा बढ़ाएंगे। उन्होंने श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया है कि वे कथा स्थल पर पधार कर श्रद्धेय गुरु जी का स्वागत करें।