Non Fiction Writing: नॉन फिक्शन राइटिंग यानी बिना किसी चाशनी और चाँद सितारों की बात किए यथार्थ को लिखना। पिछले कुछ वर्षों में इस तरफ लोगों का झुकाव काफी बढ़ा है।
Non Fiction Writing: कल्पनाशीलता से परे है नॉन फिक्शन राइटिंग
इंफोपोस्ट न्यूज
Non Fiction Writing: तीसरे दिन सातवें ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल नोएडा में ‘द चेंजिंग फेस ऑफ़ नॉन फिक्शन राइटिंग’ पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। साहित्य अकादमी के डिप्टी सेक्रेटरी कुमार अनुपम, लेखिका संध्या सूरी, लेखक डॉ. विवेक गौतम, लेखक डॉ. प्रेम जंमेजय और मारवाह स्टूडियो के निदेशक डॉ. संदीप मारवाह ने भाग लिया।
डॉ. संदीप मारवाह ने कहा, नॉन फिक्शन राइटिंग का मतलब है, बिना किसी चाशनी में डूबे और बिना किसी चाँद सितारों की बात किए यथार्थ को लिखना। पिछले कुछ वर्षों में लोगों का इस तरफ झुकाव काफी बढ़ा है। क्योंकि आज नॉलेज और प्रतिस्पर्धा का ज़माना है।
अब कैसी किताबें पढ़ते हैं लोग?
अब लोग कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बिज़नेस और सिनेमा की किताबें खूब पढ़ते हैं। उपन्यास की बात करें तो मधुकर उपाध्याय की लिखी 1857 के ग़दर पर लिखी गई किताब को जो भी पढ़ता है, उसे ख़त्म करके ही रखता है। या फिर अरुंधति राय की नर्मदा पर लिखी किताब में उन्होंने पूरी कला का निचोड़ रख दिया है। तभी तो लाग इससे बंधे रहते हैं।
डॉ. प्रेम जन्मेजय ने कहा, बिना बदलाव के प्रगति संभव नहीं है। यह भी एक बदलाव ही है कि इतनी दूर होकर हम आपस में बात कर रहे हैं। इसी तरह किसी भी पुस्तक या उसकी रचना को हम उस समय के राजनीतिक, पारिवारिक या सामाजिक पहलू से अवगत होते हैं।
आज हम यथार्थवादी ज्यादा
विवेक गौतम ने कहा कि समाज, देशकाल और परिस्थिति किसी भी रचना के लिए बहुत महत्व रखती है। हम रामायण, महाभारत या मुगलकाल के लेखन की बात करें तो उसमे काल्पनिकता का पुट ज्यादा नज़र आता है। वर्तमान की बात करें तो आज हमारा लेखन, चिंतन बदल गया है। आज हम यथार्थवादी ज्यादा हो गए है।
इस मौके पर एएएफटी के छात्रों की स्टिल फोटोग्राफी की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जिसमें यूएनएसीसीसी के ग्लोबल चेयरमैन डॉ. रजत शर्मा, वर्ल्ड स्पोर्ट्स एलायंस के सेक्रेटरी जनरल डॉ. ज़ाहिद हक़, आईंएचआरपीएस की गुडविल एम्बैस्डर जेना चंग, लेखक सुशील भारती, लेखिका डॉ. रेखा राजवंशी और लेखिका श्यामली राठौर ने भाग लिया।