
साहित्य हमारी प्रेरणा का स्रोत होता है। क्योंकि साहित्य ही इंसान में इंसानियत जगाता है। और इंसानियत ही हमारी पहचान है। इसी पहचान को बनाए रखने के लिए साहित्य से जुड़े रहना चाहिए और साहित्यकारों के जीवन से प्रेरणा भी लेते रहना चाहिए।
इस आशय के विचार देवघर के मधुपुर में राहुल अध्ययन केंद्र में व्यक्त किए गए, जहां लोग देश की तीन विभूतियों की स्मृतियों में खोए रहे। मौका था प्रसिद्ध साहित्यकार हजारी प्रसाद द्विवेदी, आरसी प्रसाद सिंह और पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा की जयंती का। तीनों विभूतियों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया गया।
मौके पर केन्द्र के संरक्षक व साहित्यकार धनंजय प्रसाद ने कहा कि आज के स्वार्थपरता के दौर में साहित्य और साहित्यकारों के बारे में सोचने की किसी को भी फुर्सत नही है। ऐसे संकट के दौर में साहित्य से ही इंसान को उचित मार्गदर्शन मिल सकता है।
इसलिए इंसान को अपनी पहचान और इंसानियत को बनाए रखने के लिए साहित्य से जुड़े रहना चाहिए। उसके लिए साहित्यकारों के जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। आधुनिकता की भाग दौड़ में लोग इन्हें भूलते जा रहे हैं। ऐसे समय में साहित्यकारों को याद करना लाजिमी है।