Padmini Ekadashi: पद्मिनी एकादशी व्रत के पालन से व्यक्ति सभी प्रकार के यज्ञों, व्रतों और तपस्चर्या का फल प्राप्त कर लेता है। व्रत की कथा कुछ इस प्रकार है। त्रेता युग में एक परम पराक्रमी राजा कीर्तवीर्य था। उसके कई रानियां थीं परंतु किसी से राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। संतान प्राप्ति की कामना से राजा रानियों के साथ तपस्या करने चल पड़े। पर उनकी तपस्या सफल न रही। रानी ने देवी अनुसूया से उपाय पूछा। देवी ने उन्हें मल मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने के लिए कहा। इस प्रकार उन्होंने पद्मिनी एकादशी का व्रत रखा।
व्रत की समाप्ति पर भगवान प्रकट हुए और वरदान मांगने के लिए कहा। रानी ने भगवान से कहा, प्रभु आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मेरे बदले मेरे पति को वरदान दे दीजिए। भगवान ने तब राजा से वरदान मांगने के लिए कहा। राजा ने भगवान से प्रार्थना की, आप मुझे ऐसा पुत्र प्रदान करें जो सर्वगुण सम्पन्न हो। भगवान तथास्तु कह कर विदा हो गए। और कुछ समय के बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया जो कीर्तवीर्य अर्जुन के नाम से जाना गया। कालान्तर में यह बालक अत्यंत पराक्रमी राजा हुआ, जिसने रावण को भी बंदी बना लिया था।