Peasant movement: किसान इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। और मोदी सरकार की हेकड़ी निकालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। किसानों को मूर्ख बनाने में लगी मोदी सरकार के लिए यह आंदोलन सबक सिखाने वाला होगा।
Peasant movement: मोदी सरकार के सभी दांव-पेंच पस्त
चरण सिंह
नई दिल्ली। Peasant movement: मोदी सरकार के नए किसान कानूनों के खिलाफ दिल्ली बोर्डरों पर डटे किसान आरपार के मूड में हैं। उन पर दमनात्मक नीति अपनाकर भले ही मोदी सरकार उनकी आवाज को दबाने में लगी हो। भले ही सरकार की गोदी मीडिया किसान आंदोलन को बदनाम करने में लगी हो। भले ही सरकार ने आईटी सेल को लगा दिया हो। और किसान आंदोलन को खालिस्तानी समर्थक बताया जा रहा हो।
Peasant movement: भले ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर नए किसान कानूनों को किसानों के लिए क्रांतिकारी बताते हुए आंदोलन को भटकाने का प्रयास कर रहे हों। पर किसान इस बार मोदी सरकार की हेकड़ी निकालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। कानूनों को वापस कराने के लिए दिल्ली को घेरने आए विभिन्न प्रदेशों के किसान अपनी बात मनवाए बिना किसी भी सूरत में मानने को तैयार नहीं।
किसानों के आक्रामक तेवर
ये किसानों के आक्रामक तेवर ही हैं कि मोदी सरकार के सभी दांव-पेंच उनके हौसले के सामने पस्त होते नजर आ रहे हैं। किसानों को मूर्ख बनाने में लगी मोदी सरकार के लिए यह आंदोलन सबक सिखाने वाला होगा। जिद्दी स्वभाव के कारण उल्टे-सीधे फैसले में लेने में लगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतनी आसानी से मानने वाले नहीं हैं।
ऐसी स्थिति में किसान आंदोलन के लंबा खिंचने के आसार हैं। ऐसे में विपक्ष में बैठे राजनीतिक संगठनों का किसान आंदोलन को समर्थन मिलना आंदोलन को और मजबूती दे रहा है। अगले साल बंगाल, असम, तमिलनाडु, केंद्र शासित पुडूचेरी के साथ केरल और 2022 में उत्तर प्रदेश प्रदेश के विधानसभा चुनावों के कारण किसान आंदोलन मोदी सरकार के लिए गले की फांस बन रहा है।
लोकसभा चुनाव होगा प्रभावित !
आंदोलन के लंबा चलने पर 2024 में लोकसभा चुनाव प्रभावित होने की आशंका भी भाजपा को सता रही होगी। वैसे भी दिल्ली में केजरीवाल सरकार किसानों के स्वागत में खड़ी हो गई है। और आंदोलन के उग्र होने का जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताते हुए कांग्रेस ने किसान आंदोलन को खुला समर्थन दे दिया है।
जिस तरह से डंडे के जोर पर किसान आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया गया। उससे हरियाणा और पंजाब ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसान आक्रोश में हैं। दिल्ली से लगते पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में दिल्ली पहुंच रहे हैं। सरकार के किसानों की आवाज को अनसुना करने पर पंजाब-हरियाणा और यूपी के किसानों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है।
दिल्ली का मेन हाईवे बंद करने की चेतावनी
किसानों ने मोदी सरकार को दिल्ली का मेन हाईवे जाम कर आवाजाही पूरी तरह से बंद कर देने की चेतावनी दी है। किसानों के इस ऐलान से दिल्ली पुलिस के अफसरों में खलबली मच गई हैं। अलग-अलग राज्यों से दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे किसानों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने जिस तरह से उन पर पानी की बौछारें, आंसू गैस छोड़ी और उन पर लाठियां बरसाई। उससे आंदोलन उग्र हो गया है।
ठंड के मौसम में पानी की बौछारें भी किसानों के हौसले को कम नहीं कर पा रही हैं। किसानों के तेवर आरपार की लड़ाई को बयां कर रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का दिल्ली पहुंचने से रोके जाने के प्रयास को लेकर जिस तरह से मोदी सरकार पर निशाना साध कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार की वजह से देश का किसान और जवान आमने-सामने खड़ा है। वह भी आंदोलन को मजबूती दे रहा है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य के खत्म होने का डर
दरअसल, नए कृषि कानूनों से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के खत्म होने का डर है। अब तक किसान अपनी फसल को अपने आसपास की मंडियों में सरकार की ओर से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य बेचते रहे हैं। इस नए कानून में किसान कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को मंजूरी दी है।
इससे किसानों में भ्रम की स्थिति है। उन्हें लगता है कि अब उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा। हालांकि केंद्र सरकार एमएसपी जारी रखने का दावा कर रही है। पर बिल में इस बात की चर्चा नहीं है। इसलिए किसान इसे लिखित में चाहते हैं। सरकार यह तो कह रही है कि देश में कहीं भी मंडियों को बंद नहीं होने दिया जाएगा। पर यह बात नए कानून में जोड़ी नहीं गई है। यही वजह है कि किसानों ने आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया है।
टिकैत के समर्थन से आंदोलन को मजबूती
हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ ही जिस तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से राकेश टिकैट ट्रैक्टरों के काफिले के साथ दिल्ली में किसानों को समर्थन देने का दम भरा है। उससे किसान आंदोलन को और मजबूती मिल रही है। और हरियाणा—पंजाब के किसानों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का साथ मिलना मोदी सरकार के लिए परेशानी बढ़ाने वाला है।
बता दें कि दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर कई राज्यों के किसानों का जमावड़ा लगा हुआ है। मोदी सरकार ने किसानों को बुराड़ी जाने की अनुमति दे दी है। पर किसान बुराड़ी ग्राउंड नहीं, रामलीला मैदान या फिर जंतर-मंतर तक जाना चाहते हैं।