
Peasant Movement2: राकेश टिकैत की अगुआई में फिर किसान आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है। उत्तर प्रदेश के मेरठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों में भारतीय किसान यूनियन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता धरना दे रहे हैं। यहां तक कि किसानों ने धरना स्थल पर ही जन्माष्टमी पर्व मनाया। लखीमपुर खीरी हत्याकांड के बाद गिरफ्तार निर्दोष किसानों की रिहाई की मांग इस आंदोलन के जरिये उठाई जा रही है। जानते हैं कि किसानों की खास मांगें क्या हैं?
Peasant Movement2: भाकियू कार्यकर्ताओं का प्रदेश भर में धरना
आईपी न्यूज डेस्क
Peasant Movement2: भारतीय किसान यूनियन यानी भाकियू कार्यकर्ताओं का पूरे प्रदेश में धरना और प्रदर्शन जारी है। मुजफ्फरनगर, हापुड़, मेरठ, बागपत, सहारनपुर, शामली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में दो दिन से धरना चल रहा है। तभी तो भाकियू के धरने को ध्यान में रखते हुए लोकल इंटेलिजेंस यूनिट अलर्ट हो गई है।
उधर, खबर मिली है कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसान नेता राकेश टिकैत के खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे हैं। राकेश टिकैत ने एक टीवी इंटरव्यू में लखीमपुर के लोगों को कथित तौर पर गुंडा कह दिया था। इसी से लोगों का गुस्सा भड़क उठा है।
किसान आंदोलन को ऑक्सीजन देने की कोशिश
राकेश टिकैत अपने आंदोलन को ऑक्सीजन देने की कोशिश में सरकार और प्रशासन के खिलाफ लखीमपुर में आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन अब उनको आंदोलन स्थल पर ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है। राकेश टिकैत का यह आंदोलन लखीमपुर खीरी के तिकुनिया कांड में मारे गए किसानों को न्याय दिलाने के लिए है।
सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ एक बार फिर वह धरने की रणनीति पर उतर गए हैं। अपने बयान के बाद उन्हें विरोध झेलना पड़ा है। तभी तो वह सफाई देते नजर आ रहे हैं। मेरठ में धरना देने वालों में मोनू ढिंडाला, सुशील कुमार पटेल, रविंद्र दौरालिया, छोटू गेझा, राजकुमार करनावल, सुशील पटेल, हर्ष, चाहल, जगत सिंह राठी, प्रशांत समेत अन्य शामिल रहे।
किन मांगों के समर्थन में एकजुट हुए किसान?
लखीमपुर खीरी जिले के तिकोणिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या करने की साजिश रचने के मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए जाने की मांग किसान कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि टेनी को गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए।
दूसरी मांग है कि लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जिन किसानों को निर्दोष होते हुए भी जेल में बंद किया है, उनको फौरन रिहा किया जाए। उन पर मढ़े गए केस भी वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों और घायल किसानों को मुआवजा दिया जाए।
एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए
सभी फसलों के ऊपर स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों के आधार पर सी-2 +50% के फार्मूले से एमएसपी की गारंटी का कानून बनाया जाए। दरअसल, केंद्र सरकार की ओर से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर गठित कमेटी और उसका घोषित एजेंडा किसानों की मांगों के विपरीत है। इसलिए इस कमेटी को रद्द कर सभी फसलों की खरीद एमएसपी पर होने की गारंटी के लिए समिति का गठन दोबारा किया जाए।
किसान आंदोलन के दौरान केंद्र शासित प्रदेशों और अन्य राज्यों में जो केस किसानों पर लादे गए, सभी तुरंत वापस लिए जाएं। जनविरोधी बिजली बिल 2022 को भी वापस लिया जाए। इस प्रकार आंदोलनकारी किसान 2024 के आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि राजनैतिक घेरेबंदी के बीच सरकार किसान आंदोलन की समस्या से कैसे निपटती है।