श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। कृषि सुधार विधेयकों पर केंद्र सरकार की फजीहत के बाद उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के प्रति नरम हुई है। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है। उस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
अभी एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क और अन्य उपकर लिए जाते हैं। इस विधेयक की व्यवस्था से न तो किसान संतुष्ट हैं और न ही विपक्षी नेता। देश भर में इसके विरोध की लहर सी पैदा हो गई है।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों को लुभाने के प्रयास में लगे हैं। उन्होंने भारतीय किसान यूनियन को आश्वासन दिया है कि यूपी में एमएसपी से नीचे प्राइवेट मंडियां खरीद नहीं कर सकेंगी।
मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन के प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में उनके कालिदास मार्ग स्थित आवास पर मुलाकात की। मुख्यमंत्री से हुई वार्ता के दौरान बकाया गन्ना भुगतान, गन्ने का मूल्य बढ़ाए जाने और भूमि अधिग्रहण के मुद्दे शामिल रहे।
मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि नए सत्र की शुरुआत से पहले किसानों का गन्ना भुगतान करा दिया जाएगा। परियोजनाओं के निर्माण में अधिगृहीत जमीन पर कब्जा लेने के लिए फसल काटने के लिए किसानों को पर्याप्त समय दिया जाएगा। उधर, भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि बिलों के विरोध में 25 सितंबर को चक्का जाम किया जाएगा।
बुधवार को भाकियू प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से कहा कि आज प्रदेश का किसान नकदी के भारी संकट से जूझ रहा है। गन्ना किसान का भुगतान न होने से किसानों के सामने काफी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। पिछले दो वर्षों से गन्ना मूल्य न बढ़ने के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है, जिसके चलते गन्ना किसानों को घाटा हो रहा है।
इसलिए गन्ने का मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए। यूपी गन्ना आपूर्ति और खरीद का विनियमन अधिनियम, 1953 की धारा 17 (3) के संदर्भ में ब्याज माफ करने का अधिकार गन्ना आयुक्त में निहित है। इस नियम को समाप्त किया जाए।
बिजली विभाग की गलती के कारण हजारों ग्रामीण उपभोक्ता बिल संशोधन के लिए चक्कर लगाते रहते हैं। गलत बिल भेजने वालों पर कार्रवाई की जाए। प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में निजी नलकूप एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बिजली बिलों में भारी वृद्धि हुई है, जिसे कम किया जाना आवश्यक है।
किसान सम्मान निधि का लाभ प्रदेश के सभी किसानों को नहीं मिल पा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा संसद में पास किए गए तीन कृषि विधेयकों के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य को भी कानून बनाया जाए।
भूमि अधिग्रहण अवार्ड में कानून के विरुद्ध बिना फसल का मुआवजा दिए मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, मिर्जापुर, सहारनपुर, शामली में किसानों की तैयार फसलों को नष्ट कर दिया गया। ऐसा करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। किसानों को नष्ट की गई फसलों का मुआवजा दिलाया जाए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों को आश्वस्त किया कि गन्ना भुगतान नए सत्र के संचालन से पहले करा दिया जाएगा। भूमि अधिग्रहण में फसल काटने का अवसर दिया जाएगा। अन्य सभी जायज मांगें पूरी कर दी जाएंगी।