prayers in front of fire: मिट्टी, पानी, आग, आकाश और वायु से बना है शरीर । पूजा में इन पांचों तत्वों का प्रयोग होता है। जिस पूजा में आग का प्रयोग होता है, उसे हवन कहते हैं।
prayers in front of fire: क्या हवन से शुद्ध होती है वायु?
सत्य ऋषि
prayers in front of fire: जब भी कोई पदार्थ जलाया जाता है तो कार्बन पैदा होता है। क्या कार्बन से वायु शुद्ध हो सकती है? लेकिन शास्त्र विशेषज्ञों का मानना है कि हमारे शरीर में भी कार्बन तत्व पाया जाता है। इसलिए हवन से कार्बन तत्व की पूर्ति होती है।
वैज्ञानिक आधार की बात करें, तो हवन से उत्पन्न कार्बन डाईआक्साइड पेड़ पौधों के लिए आवश्यक है। पेड़ पौधे कार्बन डाईआक्साइड का अवशोषण कर आक्सीजन बनाते हैं। इसलिए हमें हवन से सीधे आक्सीजन नहीं मिलती। आक्सीजन पेड़ पौधों से मिलती है। फिर भी हवन वायुमंडल में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में उपयोगी हो सकता है।
हवन यज्ञ का पौराणिक आधार
हिंदू धर्म में तमाम परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं। उन्हीं में एक है हवन यज्ञ। रामायण और महाभारत काल में भी हवन यज्ञ का उल्लेख मिलता है। आखिर हवन यज्ञ क्या है? वास्तव में, अग्नि के माध्यम से ईश्वर की उपासना प्रक्रिया को हवन यज्ञ कहते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार हवन यज्ञ से सकारात्मकता पैदा होती है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, हवन यज्ञ के बिना कोई भी पूजा या मंत्र जप पूर्ण नहीं हो सकता। हवन हिंदू धर्म में शुद्धिकरण का एक कर्मकांड है। हवन के जरिये आस पास की बुरी शक्तियों के प्रभाव को कम किया जाता है। कुंड में अग्नि के माध्यम से देवताओं को हवि यानी भोजन पहुंचाने की प्रक्रिया ही हवन यज्ञ है।
हवन यज्ञ का वैज्ञानिक आधार
हवन यज्ञ का वैज्ञानिक आधार क्या है? दरअसल, नवरात्र हो या दीपावली हर पूजा के बाद हवन करने का नियम है। इसके पीछे आमतौर पर धार्मिक कारण माना जाता है। लेकिन इसका एक बड़ा वैज्ञानिक कारण भी है। यज्ञ के समय जलाई जाने वाली सामग्री रोग उपचार के काम भी आती है।
सामान्य तौर पर जलाई गई अग्नि के अपने परिणाम हैं। उससे वस्तु, व्यक्ति और उपकरणों को गरम किया जा सकता है। लेकिन यज्ञ अग्निहोत्र में जगाई गई आंच से व्यक्ति कई रोगों से भी मुक्त हो सकता है। यह अग्नि उसके लिए रक्षा कवच का काम करती है।
ओहिजनबर्ग यूनिवर्सिटी (म्यूनिच) के शोध अनुसंधान में लगे अर्नाल्ड रदरशेड ने कहा है कि यज्ञ से इतने रोगों का उपचार किया जा सकता है कि इस विधि को यज्ञोपैथी कहा जा सकता है।
पांच तत्वों में तत्त्वों में अग्नि विशेष
सृष्टि के सभी तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश के विभिन्न संयोजनों से बने हैं। जगत का ही एक अंश होने के कारण मनुष्य भी इन्हीं पांच तत्त्वों से बना है। इन तत्त्वों में अग्नि विशेष है।
जहां एक ओर अन्य सभी तत्त्व प्रदूषित हो सकते है, वहीं अग्नि को दूषित नहीं किया जा सकता।हमारे ऋषि अग्नि की इस विशेषता से भली भांति परिचित थे। और इसीलिए हवन और दूसरे सभी वैदिक कर्मों में अग्नि का विशेष महत्त्व होता है।
क्या हवन मात्र एक कर्मकांड है? नहीं, ऐसा नहीं है। हवन एक योगी के लिए दिव्य शक्तियों से वार्तालाप का माध्यम है। जिस प्रकार इस संसार में पृथ्वी, जल, वायु व आकाश प्रदूषित हो जाते हैं, उसी प्रकार से मानव शरीर में भी इन तत्त्वों का प्रदूषित होना संभव है। यह प्रदूषण मनुष्य को पतन अथवा विकृति की ओर धकेलता है।
कैसे जानें कि मनुष्य के तत्व प्रदूषित हैं?
मनुष्य में इन तत्त्वों के प्रदूषण का पता लगाना सरल है। पृथ्वी तत्त्व के दूषित होने से व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठित पद और भव्य जीवन शैली जैसी सुविधाएं पाने की इच्छाएं बेलगाम होने लगती हैं। जब जल तत्त्व दूषित होता है तो अप्राकृतिक काम इच्छा जागृत होने लगती है।
वैदिक शास्त्र अपनी स्वाभाविक इच्छाओं का दमन करने के लिए नहीं कहता। अग्नि तत्त्व को दूषित नहीं किया जा सकता। योग और सनातन क्रिया की साधना से साधक अग्नि तत्त्व के अनुकूल स्तर बनाए रख सकता है। इसलिए हवन यज्ञ समाज में बेहतर स्थिति पाने का एक महत्वपूर्ण साधन है।