Premchand: समाज का यथार्थ चित्र खींचने वाला साहित्यकार जब अपनी रचनाओं में आदर्श का मिश्रण कर देता है तो उसका महत्व और बढ़ जाता है। तभी तो मुंशी प्रेमचंद को शीर्षस्थ कालजयी उपन्यासकारों में एक माना जाता है।
Premchand: समाज का यथार्थ चित्र खींचने वाला साहित्यकार
हीरालाल प्रसाद, मोतिहारी
Premchand: हिन्दी साहित्य जगत में एक से एक लेखक हुए हैं। परन्तु मेरे छात्र जीवन से पत्रकारिता जीवन तक मेरा सबसे प्रिय मनोनीत लेखक मुंशी प्रेमचंद जी हैं। मनोनीत लेखक क्यों? मनोनीत लेखक वहीं हो सकता है, जिसकी रचनाओं का प्रभाव समाज पर कहीं अधिक पड़ता हो।
समाज की मूल-प्रवृत्तियों को पहचान कर सर्वजन की भाषा में सबके मनोनुकूल साहित्य का निर्माण करनेवाला लेखक ही मनोनीत हो पाता है।और इन सारी बातों से मुंशी प्रेमचंद का लेखन लैस रहा है।
प्रेमचंद के साहित्य में लेखन का मकसद
समाज का यथार्थ चित्र खींचने वाला साहित्यकार जब अपनी रचनाओं में आदर्श का मिश्रण कर देता है तो उसका महत्व और बढ़ जाता है। साहित्य का मुख्य उद्देश्य है पाठकों का मनोरंजन और आदर्श स्थापना। उसकी उपयोगिता व्यावहारिक जीवन में भी हो सके तो कहना ही क्या?
मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं से दोनों उद्देश्यों की पूर्ति होती है। इसलिए मुंशी प्रेमचंद हमारे छात्र जीवन से लेकर आज तक हमारे आदर्श मनोनीत लेखक हैं। वह शीर्षस्थ कालजयी उपन्यासकारों में एक हैं।
ग्रामीण और शहरी जीवन को अच्छी तरह समझा
उन्होंने ग्रामीण और शहरी जीवन को अच्छी तरह समझा और उसका अनुभव भी किया था। दोनों ही प्रकार के जीवन का उन्होंने अत्यंत स्वाभाविक और यथार्थ चित्रण अपनी कृतियों में किया है।
उनकी कथा का मुख्य उद्देश्य था ग्रामोत्थान, भेद-भाव निवारण और समाज-सुधार। यही कारण है कि उनका यथार्थवाद आदर्शोन्मुखी दिखाई देता है। उन्होंने अपनी सूक्ष्मदर्शिता और कलात्मकता के बल पर उपन्यास और कहानियों के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किया।
दीनहीन किसान प्रेमचंद की कहानियों के नायक
उन्होंने उपेक्षित और दीनहीन किसानों को अपने उपन्यास में नायक के रूप में ग्रहण किया। जातिगत और वर्गगत अच्छाइयों बुराइयों का वर्णन करके समाज का सहज रूप उपस्थित किया।
मुंशी प्रेमचंद ने 350 से अधिक कहानियां, नौ उपन्यास, चार नाटक, चार निबंध, पांच जीवनियाँ, छह बालोपयोगी किताबें और सात अनुवाद की शानदार पुस्तकों की रचना की।
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद
मुंशी प्रेमचंद उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। सूक्ष्म दृष्टि, मर्मस्पर्शी चित्रण, सर्वजन-प्रिय भाषा, भाव और शैली के कारण प्रेमचंद सदैव आदर और सम्मान के साथ याद किए जाएंगे।
उनकी रचनाओं से मनोरंजन, ज्ञान और उपदेश एक साथ मिलता है। अतः हिन्दी में मुंशी प्रेमचंद जी का नाम सदैव अमर रहेगा।