स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय जगदीश प्रसाद जाखेटिया के पुत्र राकेश जाखेटिया ने 40 वर्ष प्रवासी बिजनौरी के रूप में राजधानी दिल्ली में अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जो आनंद का अनुभव किया, उस पर एक विस्तृत चर्चा की वरिष्ठ पत्रकार सी एस राजपूत ने।
दिल्ली में 40 वर्षों के प्रवास के दौरान आपने क्या अनुभव किया?
1977 में वर्धमान कॉलेज बिजनौर से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरठ और लखनऊ होते हुए 1980 में रोजगार की तलाश एवं अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए मुझे दिल्ली आना पड़ा। अपने पूज्य पिताजी के अच्छे संपर्कों से विश्व प्रसिद्ध टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप में सहज रोजगार मिल गया। फिर क्या था शिक्षित, अनुभवी, ईमानदार व्यक्तियों के संपर्क में आने का सिलसिला जो शुरू हुआ वह आज तक चला आ रहा है।
नौकरी के साथ और नौकरी के बाद में जो भी समय मिलता, अच्छे संपर्कों के कारण जीवन बदलते देखा। साहित्यिक, राजनीतिक, सामाजिक और व्यावसायिक सभी गतिविधियों का एक साथ आनंद लेने का सौभाग्य मिला। चाय पर चर्चा-सामने वाले को समझना, उसके अनुरूप अपने को ढालना और फिर उसमें आनंद की अनुभूति लेना मुझे लगता है उससे जीवन में मैने बदलाव होते देखा।
ईश्वर की असीम अनुकंपा मुझे जीवन में लक्ष्य निर्धारित होने के बाद उसकी प्राप्ति के लिए ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा। रोजगार के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक, शैक्षणिक एवं पारिवारिक सभी क्षेत्र के व्यक्तियों के साथ एक ही समय में सभी के संपर्कों में रहने का अवसर मिला।
आपका सामाजिक क्षेत्र का अनुभव कैसा रहा?
मुझे लगता है कि आनंद मेरे खून में रहा। मैं जब भी किसी के संपर्क में आता था तो उससे कुछ न कुछ सीख कर उठता था। वो समस्या, फिर समस्या का निवारण कैसे ढूंढता है? मुझे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न गुरुओं से मार्ग दर्शन मिला।
सामाजिक क्षेत्र में श्री नरेंद्र लखोटिया, बिजनेस के क्षेत्र में स्वर्गीय श्री एस पी सिंह ‘वेदी’, फाउंडर-ब्रिटिश स्कूल ऑफ लैंग्वेज, पत्रकारिता के क्षेत्र में स्वर्गीय साहू रमेश चंद जैन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर टाइम्स ऑफ इंडिया ग्रुप, परिवार के रूप में पिता स्वर्गीय जगदीश प्रसाद जाखेटिया एवं ससुर स्वर्गीय सतीश चंद जी माहेश्वरी एवं भाई बहनों से असीम प्यार मिला।
इन सबकी शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद से गलत कार्य करने से डरता रहा। मैने हमेशा डॉक्टर्स ( सफेद कोट) एडवोकेट (कालाकोट) पुलिस (खाकी वर्दी) से दूर रहने का प्रयास किया। बिजनौर मित्र मंडल के माध्यम से मुझे अनेक व्यक्तियों के संपर्क में आने और उनसे कुछ सीखने का सौभाग्य मिला।
संस्था के संस्थापक स्वर्गीय राम कुमार अग्रवाल जी एवं संस्था के अध्यक्ष स्वर्गीय राकेश शर्मा जी एवं प्रमुख प्रेरणा श्रोत श्री प्रमोद अग्रवाल जी (रामा पेपर मिल), श्री आनंद चौहान जी (एमिटी यूनिवर्सिटी परिवार), पदम श्री अवार्ड ई श्री सुभाष कश्यप जी ( भारतीय संविधान विशेषज्ञ), पदम श्री अवार्ड ई डॉक्टर एम वली जी (पूर्व राष्ट्रपति स्वास्थ्य सलाहकार), श्री मंगू सिंह जी ( मैनेजिंग डायरेक्टर-दिल्ली मेट्रो), पूर्व दिल्ली विधायक एवं पूर्व वाइस प्रेसिडेंट एनडीएमसी श्री करण सिंह तंवर जी, मैनेजिंग ट्रस्टी-भारतीय ज्ञानपीठ साहू अखिलेश जैन जी, स्वर्गीय कामरेड रूपचंद जी, पूर्व मेंबर ऑफ पार्लियामेंट और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जयप्रकाश अग्रवाल जी, कृषि वैज्ञानिक श्री मदन मोहन जी माहेश्वरी, इंजी. श्री अवधेश अग्रवाल-सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन से सेवानिवृत्त, एवं अनेक डॉक्टर, एडवोकेट, पत्रकार मित्र और इंजीनियर आदि सभी क्षेत्र के व्यक्तियों के संपर्क में आने से मुझे अत्यधिक निस्वार्थ ऊर्जा का अनुभव हुआ। जिसके कारण आज मैं स्वस्थ, व्यस्त एवं मस्त हूं।
राजनीतिक जीवन के बारे में क्या सोचते हैं?
मैंने अनेक चुनाव लड़े और उसमें सफलता भी प्राप्त की। दि टाइम्स ऑफ इंडिया एंप्लाइज थ्रिफ्ट एवं क्रेडिट सोसाइटी का चुनाव जीतकर कई बार मंत्री पद पर कार्य करने का सौभाग्य मिला।बदलते हुए परिवेश में शॉर्टकट मेथड से पावर एवं उससे धन उपार्जन के लिए मैं अपने को कहीं भी फिट नहीं कर पाया। फिर भी यदि मुझे वरिष्ठ सहयोगियों ने राजनीति में मेरी योगिता और अनुभव के अनुसार मुझे योग्य पाया तो मैं स्वीकार करने में संकोच नहीं करूंगा।
विभिन्न न्यूज़ चैनल पर वार्ता करने का कैसा रहा अनुभव?
मुझे बिजनौर की खुशबू श्रीमती राजपूत बिजनौर मित्र मंडल के होली महोत्सव के सफल आयोजन उपरांत दिल्ली से रेडियो पर एक घंटा के लिए लाइव साक्षात्कार की व्यवस्था कराई। उस समय तो मन में काफी डर था। उसके उपरांत मुझे अपने प्रिय अनुज आशीष माहेश्वरी की प्रेरणा से टीवी पर लाइव शो में अर्थशास्त्री के रूप में, पत्रकार के रूप में, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपने विचार रखने का अवसर मिलता रहा।
बिजनौरी काव्य मंच के पीछे की क्या लक्ष्य रहा?
बिजनौर मित्र मंडल की अपार सफलता को देखते हुए जनपद बिजनौर के देश-विदेश में सभी मित्रों के सहयोग से साहित्य प्रेम को उजागर करना है। अभी तक 2 महीने में 50 से ज्यादा कवि मित्र इसमें रुचि दिखा चुके हैं और सभी का आपस में संवाद प्रारंभ हो चुका है। इसकी सफलता के पीछे नजीबाबाद से वरिष्ठ कवि प्रदीप डेजी एवं धामपुर से दिल्ली में कुमार श्री शिवेंद्र की प्रमुख भूमिका है।
बिजनौर के अतिरिक्त राष्ट्रहित में हित में आपकी क्या भूमिका है?
कोविड-19 नामक कोरोना महामारी के दौरान इससे संबंधित उपयोगी वस्तुओं को न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध कराना, हरित क्रांति में सहयोग देना, उद्योगों में पावर सेविंग एवं मॉनिटरिंग के लिए सहभागिता पर कार्य करना है।
अनुभवों के आधार पर युवा पीढ़ी को क्या संदेश देना चाहेंगे?
ईश्वर की अनुकंपा, परिवार का सहयोग और आपकी राष्ट्रहित में सोच बहुत कुछ बदलाव ला सकती है। संबंधित क्षेत्र के अनुभवी व्यक्तियों की संगत से जीवन में आनंद की अनुभूति होगी और सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा।