Rishi Sunak: ऋषि सुनक ब्रिटेन से ज्यादा भारतीय समाज में रच बस गए हैं। क्योंकि वह विश्व पटल पर अर्थव्यवस्था और हिंदुत्व के सूत्रधार के रूप में छा गए हैं। आज ब्रिटेन की जरूरत बेहतर अर्थव्यवस्था है तो भारत के लिए हिंदुत्व सर्वोपरि। भारतीय मूल के सुनक ब्रिटेन में अल्पसंख्यक हैं तो भारत की बहुसंख्यक जनता के लिए रोल मॉडल। उनकी चमक के आगे उन विश्वस्तरीय नेताओं की चमक फीकी लगने लगी है, जो दुनिया को हिंदुत्व की राह दिखा रहे थे।
Rishi Sunak: अमीरी पर हिंदुत्व और मजबूत नेतृत्व का तड़का
श्रीकांत सिंह
Rishi Sunak: किसकी किस्मत कब पलट जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। आज हम भारतीय मूल से संबंधित एक ऐसे साधारण परिवार के युवक की कहानी से रूबरू होंगे जो अमीर तो बना ही, अब अंग्रेजों पर शासन भी करेगा। वही अंग्रेज जिनके क्रूर शासन का सामना भारत के लोगों को एक लंबे समय तक करना पड़ा था। हम बात कर रहे हैं ऋषि सुनक की, जो अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करेंगे। ब्रिटेन के बारे में कहा जाता है कि उसके राज्य में कभी सूर्यास्त नहीं होता था। क्योंकि उसने दुनिया के तमाम देशों को गुलाम बना रखा था। उन्हीं देशों में भारत भी था।
लेकिन यह सब कैसे हुआ? बड़ी दिलचस्प कहानी है। दरअसल, ऋषि सुनक के पिता यशवीर का जन्म अफ्रीकी देश केन्या में हुआ था और उनकी मां उषा तंजानिया में पैदा हुई थीं। उनके दादा दादी अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में पैदा हुए थे। यशवीर 1960 के दशक में अपने बच्चों के साथ पूर्वी अफ्रीका से ब्रिटेन चले गए। उनके पिता यशवीर एक सामान्य चिकित्सक थे और उनकी मां उषा एक फार्मासिस्ट थीं, जो एक स्थानीय फार्मेसी चलाती थीं।
ऋषि सुनक की कहानी में बड़ा मोड़
Rishi Sunak: ऋषि सुनक की कहानी में तब एक बड़ा मोड़ आया, जब उनका कॉलेज की एक लड़की से प्रेम हो गया और बाद में दोनों ने शादी कर ली। यह लड़की कोई और नहीं, इंफोसिस के सहसंस्थापक अरबपति एन आर नारायणन मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति है। इतने बड़े औद्योगिक घराने में विवाह होने के बाद सुनक की किस्मत चमक गई। तभी तो आज उनके पास ब्रिटेन के राज घराने से भी ज्यादा संपत्ति है।
हाउस ऑफ कॉमन्स में सुनक सबसे अमीर व्यक्ति माने जाते हैं। उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी यूरोप की सबसे धनी महिलाओं में शामिल हैं। इस दंपति के पास 15 मिलियन पाउंड की अचल संपत्ति है। चार घर हैंं। दो लंदन में, एक यॉर्कशायर में। एक घर लॉस एंजिल्स में भी है। केंसिंग्टन में पांच बेडरूम वाले घर की कीमत सात मिलियन पाउंड है। इस चार मंजिले घर में एक गार्डन भी है।
ब्रिटेन की राजनीति में पावरफुल नेता
Rishi Sunak: ये तो रही एक साधारण परिवार से सुनक के अमीर बनने की कहानी। वह ब्रिटेन की राजनीति में इतने पावरफुल नेता कैसे बने? कैसे वह देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुंच पाए? इसी रोचक दास्तान पर वह आज कल दुनिया भर में चर्चा का विषय बने हैं। उनकी चर्चा इस बात पर भी हो रही है कि भारतीय मूल के साथ हिंदू संस्कारों का सम्मान करने वाले सुनक की वजह से ब्रिटेन के साथ भारतीय विदेश नीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
ऋषि सुनक का ब्रिटेन में राजनीतिक कैरियर तब शुरू हुआ जब वह 2015 के यूके के आम चुनाव के बाद रिचमंड यॉर्क संसदीय क्षेत्र से सांसद चुन लिए गए। यही नहीं, 13 फरवरी 2020 को वह वित्त मंत्री भी बन गए थे। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्हें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। वह फरवरी 2020 से राजकोष के चांसलर के रूप में भी काम कर रहे थे।
जब पहली बार यूके की संसद में कदम तब रखा
Rishi Sunak: ऋषि ने अक्टूबर 2014 में पहली बार यूके की संसद में कदम तब रखा, जब पूर्व सांसद विलियम हेग ने अगला आम चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी। ऋषि को रिचमंड के लिए कंजर्वेटिव एमपी उम्मीदवार चुना गया। अगले वर्ष, यानी 2015 में सुनक ने रिचमंड से यूके का आम चुनाव लड़ा और 36.5 प्रतिशत मतों के बहुमत से जीत हासिल कर ली।
एक सांसद के रूप में सुनक ने 2015 से 2017 तक पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों की चयन समितियों के सदस्य के रूप में काम किया। 2017 के आम चुनावों में, ऋषि सुनक को रिचमंड यॉर्क के सांसद के रूप में 19 हजार 550 मतों के बड़े बहुमत के साथ फिर से चुना गया। उन्होंने 9 जनवरी 2018 से 24 जुलाई 2019 तक राज्य के संसदीय अवर सचिव का पद संभाला। उनके कार्यों को देखते हुए उन्हें 24 जुलाई 2019 को प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्रेजरी का मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया था।
जब बड़े अंतर के साथ जीत की हैट्रिक बना दी
Rishi Sunak: 2019 के आम चुनावों में, उन्हें फिर से सांसद चुना गया और उन्होंने 27 हजार 210 मतों यानी 47.2 प्रतिशत के एक बड़े अंतर के साथ जीत की हैट्रिक बना दी। ऋषि के फलते फूलते राजनीतिक करियर में एक और पदोन्नति तब शामिल हो गई, जब राजकोष के पूर्व चांसलर साजिद जाविद ने नाटकीय रूप से अपने पद से इस्तीफा दे दिया और 13 फरवरी 2020 को उन्हें ब्रिटेन का वित्तमंत्री बना दिया गया।
कोविड महामारी के बीच, सुनक ने अपना पहला बजट 11 मार्च 2020 को पेश किया। जैसे ही महामारी ने एक वित्तीय प्रभाव पैदा किया, सुनक ने 30 बिलियन यूरो के अतिरिक्त खर्च की घोषणा कर दी। उन्होंने 12 बिलियन यूरो कोविड के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए आवंटित किया था।
कर्मचारियों के लिए वेतन सब्सिडी योजना की घोषणा
Rishi Sunak: 17 मार्च 2020 को, उन्होंने व्यवसायों के लिए आपातकालीन सहायता में 330 बिलियन यूरो और कर्मचारियों के लिए वेतन सब्सिडी योजना की घोषणा की। तीन दिन बाद, उन्होंने नौकरी प्रतिधारण योजना की घोषणा की। लेकिन इस पर गंभीर प्रतिक्रिया मिली क्योंकि लगभग एक लाख लोग इसके लिए पात्र ही नहीं थे।
इस योजना को 30 सितंबर 2021 तक बढ़ा दिया गया था। मार्च 2021 के बजट में, सुनक ने घोषणा की कि वित्त वर्ष 2020-2021 में घाटा बढ़कर 355 बिलियन पाउंड हो गया है, जो कि पीकटाइम में सबसे अधिक है। उन्होंने कॉरपोरेशन टैक्स को 19 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया। टैक्स फ्री पर्सनल अलाउंस में पांच साल के लिए रोक लगा दी।
और सुनक बन गए एक लोकप्रिय वित्त मंत्री
Rishi Sunak: जून 2021 के जी सेवेन शिखर सम्मेलन में, बहुराष्ट्रीय कंपनियों और ऑनलाइन कंपनियों पर वैश्विक न्यूनतम कर स्थापित करने के लिए एक कर सुधार समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। अक्टूबर 2021 में, उन्होंने अपना तीसरा बजट पेश किया। स्वास्थ्य अनुसंधान और नवाचार के लिए पांच बिलियन पाउंड और कौशल शिक्षा के लिए तीन बिलियन पाउंड आवंटित कर दिए गए। इस प्रकार सुनक एक लोकप्रिय वित्त मंत्री के रूप में स्थापित हो गए थे।
बोरिस जॉनसन सरकार में ऋषि सुनक की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह ज्यादातर प्रेस ब्रीफिंग में सरकार के चेहरे के तौर पर नजर आते थे। उन्होंने कोरोना काल में ब्रिटेन को आर्थिक तंगी से उबारने में पूरा जोर लगा दिया था। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि सभी वर्ग के लोग उनके कामकाज से खुश थे। उन्होंने कोरोना काल में चौपट हो चुकी टूरिज्म इंडस्ट्री को एक भारी भरकम पैकेज दिया था। कोरोना के दौर में अपनी जनहित की नीतियां लागू कर उन्होंने ब्रिटेन के लोगों की मजदूरी नहीं घटने दी। इसी ने उनकी लोकप्रियता में चार चांद लगा दिया।
जब सुनक की लोकप्रियता को लगा था बड़ा झटका
Rishi Sunak: इसी बीच ब्रिटेन में पार्टीगेट स्कैंडल हुआ। इस वजह से बोरिस जॉनसन की काफी किरकिरी हुई थी।उसकी आंच सुनक पर भी पड़ी। तभी तो सुनक पर भी पार्टीगेट स्कैंडल मामले में जुर्माना लगाया गया था। क्योंकि उन्हें फिक्स्ड पेनल्टी नोटिस जारी किया गया था। दरअसल कोविड प्रोटोकॉल के दौरान मई 2020 में प्रधानमंत्री के डाउनिंग स्ट्रीट आवास पर एक शराब पार्टी का आयोजन किया गया था।
इस पार्टी की तस्वीरें और कुछ ईमेल लीक हो जाने से मामला गरमा गया था। तभी तो बोरिस जॉनसन को सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी पड़ी थी। इस प्रकार सुनक की लोकप्रियता को बड़ा झटका लगा था। पत्नी अक्षता पर टैक्स चोरी के आरोपों की वजह से भी उनकी आलोचना हुई थी। भारत विरोधी बयान देने वाली महिला नेता को गृह मंत्री बनाने से भी उनकी छवि खराब हुई थी।
विश्व नायक संपूर्ण संसार के लोगों की नजरों में
Rishi Sunak: लेकिन अंत भला तो सब भला। सुनक अब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद तक पहुंच चुके हैं। दुनिया उनकी वैचारिक प्रतिबद्धता से वाकिफ है। तभी तो यह विश्व नायक संपूर्ण संसार के लोगों की नजरों में आ गया है। ऋषि सुनक ने हाल ही में कहा था कि भारत में बहुत अवसर हैं। क्योंकि भारत भविष्य को उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है। उन्होंने भारत की वकालत भी की थी और कहा था कि ब्रिटेन को भारत को कमतर आंकने से बचना होगा।
कई मौकों पर भारत की पैरवी कर चुके सुनक ने कहा था, हमें यानी ब्रिटेन को भारत की नजरों में विशेष स्थान अर्जित करना पड़ेगा। इसलिए हमें भारत के साथ संबंधों पर दोबारा काम करना होगा। इसलिए दोनों देशों के बीच बराबरी की साझेदारी होनी चाहिए। हमें ब्रिटेन आने वाले भारतीयों का जीवन आसान बनाना होगा। जाहिर है कि सुनक के प्रधानमंत्री बनने का लाभ उन भारतीयों को अवश्य मिलेगा, जो ब्रिटेन जाकर रोजी रोटी कमाना चाहते हैं।
भारतीय मीडिया और राजनीतिक गलियारों में सुनक पर विवाद
लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय मीडिया और राजनीतिक गलियारों में सुनक को लेकर व्यर्थ के विवाद पैदा किए गए। कई लोगों ने इसे गर्व और ख़ुशी का लम्हा बताया तो कुछ लोगों का कहना है कि जिस तरह से ब्रिटेन में एक अल्पसंख्यक हिंदू को प्रधानमंत्री बनने का मौक़ा दिया गया, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र होने के नाते भारत को भी इससे सीख लेने की ज़रूरत है।
सुनक के प्रधानमंत्री बनने की ख़बर पर भारत की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता अपनी ख़ुशी छिपा नहीं पा रहे हैं। बीजेपी नेता सोशल मीडिया पर ऋषि सुनक के हिंदू होने का ज़िक्र करते हुए गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऋषि सुनक को बधाई देते हुए ट्विटर पर लिखा, आपको अपनी हिंदू जड़ों पर गर्व है और हमें आपकी इस उपलब्धि पर। भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने भी ऋषि सुनक को बधाई संदेश में लिखा, दिवाली के दिन एक धर्मपरायण हिंदू ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बना। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऋषि सुनक को बधाई दी तो दिवाली का ज़िक्र करना नहीं भूले।
भारतीय नेताओं में चला तंज कसने का संग्राम
महबूबा मुफ्ती और शशि थरूर जैसे नेताओं ने ऋषि सुनक के बहाने भारत को लेकर कहा है कि हमारे यहां ऐसा कब होगा। तभी तो इस पर विवाद भी तेज हो गया। एक तरफ भाजपा ने अल्पसंख्यक समुदाय से पीएम और राष्ट्रपति बनने वाले नाम गिना दिए हैं तो कुमार विश्वास ने उलटे महबूबा मुफ्ती पर तंज कसा है कि जम्मू-कश्मीर में कब अल्पसंख्यक को सीएम बनाया जाएगा। साफ है कि ऋषि सुनक भले ही सात समंदर पार ब्रिटेन के पीएम बने हैं, लेकिन भारत में उनकी ताजपोशी मुद्दा बन गई।
आंकड़ों पर नजर डालें तो दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत में अब तक कई बार अल्पसंख्यकों को नेतृत्व का मौका मिल चुका है। पीएम के तौर पर सिख समुदाय से आने वाले मनमोहन सिंह का लगातार दो कार्यकाल का नेतृत्व था। इसी दौरान उपराष्ट्रपति पद पर हामिद अंसारी को मौका मिला था। देश की सत्ता के दो शीर्ष पदों पर अल्पसंख्यक थे। डॉ. जाकिर हुसैन, ज्ञानी जैल सिंह, एपीजे अब्दुल कलाम और अब आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया गया है। खुद कांग्रेस की लंबे समय तक अध्यक्ष रहीं सोनिया गांधी भी इटली मूल की ही हैं।
दुनिया के तमाम देशों में छाप छोड़ रहे हैं भारतवंशी
इसी प्रकार मॉरीशस, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन समेत दुनिया भऱ के तमाम देशों में भारतवंशी अपनी छाप छोड़ रहे हैं। कमला हैरिस अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं तो मॉरीशस में भी कई बार भारतीयों के हाथ नेतृत्व रहा है। इसी कड़ी में अब ब्रिटेन में भारतीय मूल के ही ऋषि सुनक पीएम बने हैं तो यह चर्चा का विषय बन गया है। ब्रिटेन में पहली बार किसी दक्षिण एशियाई मूल के हाथों में सत्ता है। ऋषि सुनक के पूर्वज अविभाजित भारत के पंजाब के गुजरांवाला में पैदा हुए थे, जो अब पाकिस्तान में है। यही वजह है कि भारत के अलावा पाकिस्तान में भी ऋषि सुनक से कनेक्शन की चर्चा हो रही है।
लोग भले ही ऋषि सुनक के हिंदू या भारतीय होने की चर्चा कर रहे हैं, लेकिन यह भूल जा रहे हैं कि उनकी योग्यता ही उन्हें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद तक ले जा पाई है। सिर्फ जाति, धर्म या समुदाय किसी व्यक्ति के आगे बढ़ने का आधार नहीं बन सकता। उसकी योग्यता ही उसे सफलता के शिखर पर पहुंचाती है। इस पर आप क्या सोचते हैं, कमेंट करके जरूर बताइएगा।
निष्कर्ष
Rishi Sunak: ऋषि सुनक की सफलता की कहानी से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। पहली बात उन्होंने आजीवन अपनी सभ्यता और संस्कृति के दामन को नहीं छोड़ा। अर्थव्यवस्था के मामले में कारपोरेट और आम जनता के हितों में संतुलन बनाए रखा। अपने देश के हित को सर्वोपरि रखा। देश से बाहर का होने के बावजूद ब्रिटेन के लोगों में मजबूत विश्वास स्थापित किया। इसलिए यदि कोई प्रधानमंत्री विश्व का नेता बनना चाहता है तो उसे अपना दिल बड़ा करना होगा, जैसा कि ऋषि सुनक ने किया।