श्रमिक आंदोलन के अखिल भारतीय मसीहा पत्रकार-गैर पत्रकार जगत के श्रमिकों के नेता दिवंगत रूपचंद आजीवन पत्रकारिता जगत के श्रमिकों की अगुवाई करते रहे। ऐसे कामरेड गुरु को लाल सलाम! 5 सितंबर को श्रमिक आंदोलन के मंच से हंसते हंसते नजीबाबाद निवासी कामरेड रूपचंद ने मंच से ही हम सब से बिछड़ गए।
उन्होंने 45 वर्षों से अधिक पत्रकारिता जगत के श्रमिकों की अगुवाई की। उनके नेतृत्व में वेज बोर्ड का गठन संभव हो सका। उन्होंने श्रमिक समस्याओं को देश में ही नहीं, विदेशों में भी उठाया। जो उनसे मिल लेता था, वह उन्हीं का बनकर रह जाता था।
कमजोर, निर्धन, शोषित, पीड़ित की व्यक्तिगत और समूह में उनकी बात सुनना और समाधान करना उनकी जीवन शैली का अभिन्न अंग था। जब भी वह किसी से मिलते, उसे हंसते हंसते गले लगाना और दोस्तों से ज्यादा आम जनता को गले लगाना उनकी शख्सियत की एक पहचान थी।
उनके सहयोगी रह चुके राकेश जाखेटिया ने बताया कि उनके आंदोलन की अंतिम इच्छा पत्रकार गैर पत्रकारों को भारत सरकार से पेंशन दिलवाने की विचाराधीन है। वरना यह एक दिन जन आंदोलन का रूप ले लेगा। भारत सरकार से पत्रकार गैर पत्रकार मित्रों की हार्दिक इच्छा है कि देश हित में उनके कार्यों के लिए उन्हें श्रमिक आंदोलन के मसीहा के रूप में सम्मानित किया जाए।
जीवन पर्यंत उन्होंने बेरोजगारों को रोजगार दिलवाया। अस्वस्थ व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई और शिक्षा के लिए उनकी आवश्यकताओं को पूरा कराने में अनुकरणीय सहयोग दिया। अंत समय तक वह बिजनौर रवा राजपूत संगठन एवं बिजनौर मित्र मंडल से जुड़े रहे। एक संरक्षक के रूप में मार्गदर्शन करते रहे।