Satyapal Malik: कुछ लोग कह रहे हैं कि किसान आंदोलन घिसट—घिसट कर दम तोड़ देगा। और सरकार बदस्तूर इस आंदोलन को भी दबा ले जाएगी। लेकिन जिस तरह से दिल्ली की सीमा पर मोर्चे पक्के किए जा रहे हैं और समाज के हर तबके का किसान आंदोलन को समर्थन मिल रहा है, उससे नहीं लगता कि सरकार की जड़ता का उसे कोई लाभ मिलने वाला है। अलबत्ता मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की चेतावनी पर गौर करें तो किसान आंदोलन यूं ही चलता रहा तो सरकार को लेने के देने पड़ सकते हैं।
Satyapal Malik: किसानों को दिल्ली से खाली हाथ न लौटाए सरकार
नई दिल्ली। Satyapal Malik: मोदी सरकार किसानों के आंदोलन और उनकी ताकत का अंदाजा लगाने में चूक कर रही है। पीएम मोदी को इस बात का अंदाजा तक नहीं है कि किसानों का आंदोलन उनके लिए कितना घातक साबित हो सकता है।
दरअसल, मोदी के करीबी माने जाने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने किसानों के पक्ष में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा है कि सरकार को किसानों की बात सुननी चाहिए। उन्हें खाली हाथ न लौटाएं। एमएसपी पर कानून बने।
किसानों पर बल प्रयोग उचित नहीं
उन्होंने कहा कि किसानों पर बल प्रयोग करना उचित नहीं है। सिख कौम 300 साल तक किसी बात को नहीं भूलती। मैं भी किसान का बेटा हूं और किसानों का दर्द जानता हूं। यदि मेरी जरूरत पड़े तो मैं भी किसानों के साथ वार्ता करने के लिए तैयार हूं।
मलिक का दावा है कि उन्होंने जब किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी की सुगबुगाहट सुनी तो फोन करके उसे रुकवा दिया। मलिक रविवार को बागपत के अमीननगर सराय स्थित शीलचंद इंटर कालेज परिसर में आयोजित अपने अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिख चुके हैं मलिक
सत्यपाल ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिख चुका हूं। पत्र में लिखा है कि किसानों को खाली हाथ मत लौटाना। यदि ऐसा हुआ तो नुकसान होगा। एमएसपी को मान्यता दे देनी चाहिए। कृषि कानून किसानों के पक्ष में नहीं हैं।
जिस देश में किसान और जवान संघर्षशील होगा, वह देश कभी विकास नहीं कर सकता। मोदी को सरकार ताकत का घमंड नहीं करना चाहिए। किसान दिल्ली से खाली हाथ वापस जाने के लिए नहीं आए हैं। अगर एमएसपी को कानून की बाध्यता दे दें तो किसान भी कानूनी संशोधन पर सहमति देकर चले जाएंगे।
राज्यपाल का काम चुप रहना, हस्ताक्षर करना
अगर ये सब ज्यादा दिन चलता रहा तो पता नहीं इसका परिणाम क्या होगा? उन्होंने राकेश टिकैत की गिरफ्तारी के प्रयास और मथुरा में जयंत पर लाठीचार्ज का भी जिक्र किया और कहा कि राज्यपाल का काम चुप रहना, हस्ताक्षर करना और आराम करना होता है। लेकिन मेरे से चुप नहीं रहा जाता। इसलिए किस दिन मेरी छुट्टी हो जाए पता नहीं।
हां, इतना जरूर है कि रिटायरमेंट के बाद आपके बीच रहूंगा और किताब लिखूंगा। उम्मीद है कि आप सभी को मेरी लिखी हुई किताब पसंद आएगी। सत्यपाल मलिक बागपत के हिसावदा गांव के रहने वाले हैं। रविवार को जिस इंटर कालेज में उनका अभिनंदन समारोह हुआ, उन्होंने उसी स्कूल से पढ़ाई की है।
काफी भावुक हो गए मलिक
जब वह अपने संबोधन के लिए उठे तो काफी भावुक हो गए। उन्होंने समारोह में मौजूद लोगों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये सब जितने भी बैठे हैं सबको जानता हूं। किसका नाम लूं और किसका नहीं। सत्यपाल सिंह ने अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि का जिक्र किया।
Satyapal Malik: सत्यपाल मलिक का संकेत आप समझ गए होंगे। इंदिरा गांधी को भी चेताया गया था, लेकिन वह नहीं मानीं। उनका न मानना जरूरी भी था, क्योंकि उस समय देश की एकता और अखंडता का सवाल था। जबकि आज ऐसा कुछ भी नहीं है। प्रधानमंत्री के पद पर बैठे एक व्यक्ति की जिद का खामियाजा पूरा देश भुगत रहा है। आखिर कब खत्म होगी यह जिद। कहते हैं न। सबकुछ लुटा के होश में आए तो क्या हुआ।