
Shaktipeeth of Maa Durga: शक्तिपीठों की पृष्ठभूमि रोचक हैं। माता सती के पिता दक्ष ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था। इस पर माता ने यज्ञ कुंड में कूद कर जान दे दी थी। इसी संदर्भ से जुड़ी है पूरी कथा।
Shaktipeeth of Maa Durga: शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं संकट
सत्य ऋषि
Shaktipeeth of Maa Durga: देश दुनिया में मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठ हैं। इन शक्तिपीठों के दर्शन मात्र से लोगों के संकट दूर हो जाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार जब माता सती के पिता दक्ष ने भगवान शिव का अपमान कर दिया तो माता ने यज्ञ कुंड में कूद कर जान दे दी।
तब भगवान शिव माता के शरीर को कंधे पर लेकर महातांडव करने लगे। और ब्रह्मांड का विनाश करने को आतुर हो गए। ब्रह्मांड को शिव के महातांडव से ब्रह्मांड को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के शव को अपने सुदर्शन चक्र से कई टुकड़ों में काट दिया।
जहां-जहां माता सती के शरीर के टुकड़े, वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ बने हैं। ये शक्तिपीठ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हैं। देवी पुराण में 51 शक्तिपीठ बताए गए हैं।
नेपाल में है गुह्येश्वरी शक्तिपीठ
मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ नेपाल में स्थित है। पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के किनारे गुह्येश्वरी शक्तिपीठ स्थित हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां माता के दोनों घुटने गिरे थे। इस मंदिर की रोचक बात यह है कि आज तक मंदिर में एक छिद्र से निरंतर पानी बहता रहता है। भारत से बड़ी संख्या में लोग मंदिर में माता के दर्शन करने पहुंचते हैं।
पाकिस्तान में हिंगलाज माता शक्तिपीठ
माता सती के 51 शक्तिपीठों में कई भारत के बाहर स्थित हैं। इसमें एक शक्तिपीठ पाकिस्तान में है। ये शक्तिपीठ है हिंगलाज माता का। हिंगलाज शक्तिपीठ पर ही माता सती का सिर गिरा था।
यहां मुस्लिम लोग इस मंदिर की देखरेख करते हैं। भारत से कई लोग दर्शन के लिए जाते हैं। दोनों देशों के रिश्तों की वजह से काफी लोग नहीं पहुंच पाते। इस मंदिर की पाकिस्तान में भी काफी मान्यता है।
श्रीलंका में शंकरी देवी शक्तिपीठ
माता सती के 51 शक्तिपीठों में एक श्रीलंका में है। इस शक्तिपीठ को शंकरी देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर श्रीलंका के कोलंबो से ढाई सौ किलोमीटर दूर त्रिकोणमाली में स्थित है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर माता सती के शरीर का संधि हिस्सा गिरा था। यही कारण है कि इस स्थान को शक्तिपीठ कहा जाता है। कहते हैं कि रावण सारी शक्तियां यहीं से प्राप्त करता था। नवरात्रि में नवमी पर बड़े मेले का आयोजन होता है।
कांगड़ा में ज्वाला माता शक्तिपीठ
कांगड़ा में ज्वाला देवी माता का मंदिर 51 शक्तिपीठों में एक है। ज्वाला देवी मंदिर को जोता वाली का मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार इस स्थल पर माता सती की जीभ गिरी थी।
इस मंदिर में माता के दर्शन ज्योति रूप में होते हैं। नवरात्रि में पूरे देश से श्रद्धालु यहां पर आकर देवी की कृपा प्राप्त करते हैं।
बांग्लादेश में भवानीपुर शक्तिपीठ
माता सती के 51 शक्तिपीठों में एक बांग्लादेश में है। वहां के करतोया तट स्थान पर माता की पायल गिरी थी। यह स्थान शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किलोमीटर दूर भवानीपुर में स्थित है। भवानीपुर में शक्ति की ‘अपर्णा’ और कालभैरव की ‘वामन’ के रूप में उपासना की जाती है।
बांग्लादेश में स्थित यह शक्तिपीठ हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ-स्थल है। यहां भी हर साल भक्तों का हुजूम उमड़ता है। चर्चा जारी रहेगी। मां के शक्तिपीठों के बारे में जानकारी देते रहेंगे।