Shame on the government: हम शर्मिंदा हैं यह कहते हुए कि यूपी में भाजपा की सरकार है। यह बात और कोई नहीं, भाजपा सांसद डॉक्टर महेश शर्मा कहते सुने गए। इस पर तुर्रा यह कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कह चुके हैं कि भविष्य में एक ही पार्टी रहेगी और वह है, भारतीय जनता पार्टी। यानी लोकतंत्र पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। किसी की समझ में नहीं आ रहा है कि भारत श्रीलंका के रास्ते पर है या चीन के। आज के आलेख में इसी को विस्तार से समझते हैं।
Shame on the government: गुंडागर्दी की सारी हदें पार
श्रीकांत सिंह
Shame on the government: घटना नोएडा की है। सेक्टर 93 की एक ग्रैंड ओमेक्स सोसायटी में श्रीकांत त्यागी नाम का व्यक्ति गुंडागर्दी की सारी हदें पार कर देता है। वह अपने को भाजपा का नेता बताता है। यह अलग बात है कि भाजपा ने उससे पल्ला झाड़ लिया है। सोसायटी में वह अपनी गुंडागर्दी के बल पर अतिक्रमण करता है। विरोध करने पर वह एक महिला से बदतमीजी भी करता है। उसका वीडियो बना कर किसी ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। और जाग गई जनता। सोसायटी के डरे हुए हजारों लोग जमा हो गए। इस बीच त्यागी के 15 और गुंडे सोसायटी में दाखिल हो जाते हैं और उपद्रव मचाने लगते हैं।
इसी बात से पूर्व मंत्री और अब मात्र सांसद डॉक्टर महेश शर्मा व्यथित हुए और एक शीर्ष अधिकारी से फोन पर बात करते हुए कहा, हमें शर्म आ रही है ये कहते हुए कि हमारी सरकार है। सोसायटी में 15 गुंडे बेरोकटोक घुस आते हैं। इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है। दरअसल, डॉक्टर महेश शर्मा की बात से ऐसा लग रहा था जैसे पुलिस उनकी सुन ही नहीं रही है। तभी तो मौके पर वह अत्यंत गुस्से में तमतमाए नजर आए। आरोप लगाए जाते हैं कि भाजपा ने अपने तमाम वरिष्ठ नेताओं के पर कतर दिए हैं, जिससे पुलिस भी उनकी नहीं सुनती।
जैसे भारत ने चीन पर विजय हासिल कर ली हो
इतना सब कुछ होने के बाद ही सिस्टम और प्रशासन जागता है। त्यागी के घर पर बुल्डोजर की कार्रवाई को मीडिया में कुछ इस तरह पेश किया जा रहा है, जैसे भारत ने चीन पर विजय हासिल कर ली हो। जबकि वर्ष 2019 में ही उसके खिलाफ शिकायत पुलिस को दे दी गई थी, लेकिन पुलिस ने ठीक उसी प्रकार कोई कार्रवाई करना उचित नहीं समझा, जिस प्रकार कुछ प्रिंट मीडिया घरानों ने अपने ही कर्मचारियों पर बाउंसरों के जरिये बल प्रयोग किया था, लेकिन आज तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया।
श्रीकांत त्यागी तो एक उदाहरण भर है। देश के शहर शहर और गांव गांव कितने लंपट भाजपा की आड़ लेकर अपराध को अंजाम दे रहे हैं, इसका एक विशद सर्वे हो तो पूरी पिक्चर सामने आ जाएगी। भाजपा भले ही ऐन मौके पर अपराधियों से पल्ला झाड़ लेती है, लेकिन हालात अनुमान से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं। शांतिप्रिय आम जनता जल्दी किसी की शिकायत से बचती है। उसी का फायदा उठाकर लफंगे लोगों को धमकाते हैं। और अपनी गुंडागर्दी चमका कर अवैध वसूली से गुरेज नहीं करते।
किस पार्टी को कौन देता है कितना चंदा?
Shame on the government: शहरों की बात करें, तो लोग बताते हैं कि वहां कुछ बिल्डर और माफिया भी लंपटों से मिले होते हैं। बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई करने से पुलिस इसलिए बचती है कि बिल्डर राजनीतिक दलों को चंदा देते हैं। इस प्रकार बिल्डरों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता है। और बिल्डर अपनी मनमानी करने के लिए गुंडों को पैदा करते हैं और उन्हें पालते भी हैं। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति यह है कि आप यह जान ही नहीं सकते कि किस पार्टी को कौन कितना चंदा दे रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें, तो वहां का हर शरीफ आदमी घर घर में पैदा हो रहे लंपटों से परेशान है। वे किसे कब धमका दें या मार दें, कुछ ठीक नहीं होता। ये लंपट बड़े गर्व से कहते हैं कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी का संरक्षण प्राप्त है। उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। सरकार यदि गांव गांव में इन लंपटों के चाल चलन का पता लगाए तो पता चल जाएगा कि भारतीय ग्रामीण समाज के हालात कितने चिंताजनक हैं। इन लंपटों को हतोत्साहित नहीं किया गया तो ग्रामीण समाज लंपटों की नर्सरी बन कर रह जाएगा।
अपराध की दुनिया में भविष्य तलाशता युवा
दरअसल, इस समस्या के मूल में बेतहाशा बढ़ रही बेरोजगारी और महंगाई है। गांव के जो बच्चे अपने को नौकरी की प्रतियोगिता से बाहर समझते हैं, वे जानबूझ कर गंभीरता से पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। उन्हें अपराध की दुनिया में अपना भविष्य नजर आ रहा है। क्योंकि इस दुनिया में पढ़ाई लिखाई की ज्यादा जरूरत नहीं है। और वह सब कुछ हासिल हो जाता है, जो अच्छी खासी नौकरी से भी हासिल नहीं हो पाता। इन हालात में आखिर बच्चे क्या करें? उनके पास दूसरा कोई चारा भी तो नहीं है। लेकिन इस राह में खतरे भी हैं।
भारतीय जनता पार्टी की आड़ उन्हीं खतरों के प्रति बेखौफ बनाती है। जब विकास दुबे को मारा गया था, तब तमाम ऐसे बच्चों ने अफसोस में खाना तक नहीं खाया था। उन्हें लग रहा था जैसे अपराध की कोई फैक्टरी ढहा दी गई हो। दूसरी घातक बात यह है कि समाज में गुंडागर्दी को एक स्टेटस सिंबल के रूप में देखा जा रहा है। जिसके पास बड़ी गाड़ी, गनर और गुंडों का तामझाम होता है, उसे लोग सलाम करने लगते हैं। भले ही ऐसा भयवश किया जाता हो। राजनीतिक पार्टियां भी इन लंपटों का भरपूर इस्तेमाल करती हैं और लाभ भी उठाती हैं।
लोकतंत्र जिस दिन समाप्त हो जाएगा?
Shame on the government: अब आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में लोकतंत्र जिस दिन समाप्त हो जाएगा और एक ही पार्टी का राज होगा तो समाज की कितनी दुर्दशा होने लगेगी। इस संदर्भ में जेपी नड्डा के बयान पर मजदूर नेता राघवेंद्र सिंह ने कहा है कि इसे कम शब्दों निपटाना कठिन है। लेकिन भारत में गुरूर किसी का नहीं चलता, स्वाभिमान सभी का चल जाता है। किसी भी शक्तिशाली पार्टी की इतनी औकात नहीं है कि वह लोकतंत्र को समाप्त कर दे।
उन्होंने कहा, विपक्ष कभी खत्म नहीं होगा। भाजपा के चाल चलन को देख कर ऐसा लग रहा है कि अभी और छोटी छोटी पार्टियों का उदय होगा। अगर कोई पार्टी खत्म होगी तो वह भाजपा होगी। क्योंकि लोकतंत्र अंबानी के जियो की तर्ज पर नहीं चलता। अंबानी भले ही पूरे भारत में छा गए हैं, लेकिन वह राज नहीं कर रहे हैं। भाजपा की समाज विरोधी मानसिकता चरम पर है। जो चरम पर होता है, उसका पतन अवश्यंभावी होता है। रही बात जेपी नड्डा की, तो वह अपने दम पर ग्राम पंचायत का चुनाव तक नहीं जीत सकते। उनका बयान उनके मानसिक दीवालिएपन का एक सबूत है। क्योंकि सामंतशाही लाना आज के भारत में असंभव है।