इंफोपोस्ट न्यूज, मोतिहारी। shipra rajput dsp :
राष्ट्रीय पत्रकार ओम वर्मा से घूस मांगने और घूस नहीं देने पर फर्जी केस में फंसाने की धमकी के मामले में प्रशिक्षु पुलिस उपाधीक्षक शिप्रा राजपूत की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुनवाई करने को तैयार हो गया है। वहीं दूसरी ओर पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने इस मामले में जांच बिठाने का फैसला किया है। शिप्रा राजपूत पर विभागीय कार्रवाई भी होगी।
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यह है मामला
ज्ञात हो कि राष्ट्रीय पत्रकार ओम वर्मा एक प्लाट मोतिहारी से सटे पतौरा गांव के पछारी टोला में है। इसका खाता संख्या 282 और खेसरा संख्या 476, 490 है। इस प्लाट पर ओम वर्मा के छोटे भाई सिद्धार्थ कुमार वर्मा ने अवैध कब्जा कर रखा है। जब भी ओम वर्मा अपने प्लाट पर जाते तो सिद्धार्थ कुमार वर्मा कुछ गुंडों के साथ आ धमकता और तीन लाख रुपये की रंगदारी मांगता। इससे पूर्व सिद्धार्थ कुमार वर्मा व उसके गुर्गों ने ओम वर्मा की पत्नी पर हमला कर के उनका पैर तोड़ दिया था। साथ ही पुत्र को पीटा था। इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी कार्रवाई की थी।
20 हजार रुपये घूस की मांग की थी
shipra rajput dsp : इन सब मामलों को लेकर ओम वर्मा 13 सितंबर को आवेदन लेकर मुफ्फसील थाना गए थे। वहां पर उनकी मुलाकात शिप्रा राजपूत से हुई। उन्होंने सारे मामले को समझा और ओम वर्मा के प्रति सहमति जताई। एक दो बार अंदर बाहर आने के बाद उन्होंने एक जांच अधिकारी से मिलने के लिए कहा। जब ओम वर्मा ने उस जांच अधिकारी से मुलाकात की तो उन्होंने कहा कि मैडम यानी शिप्रा राजपूत ने 20 हजार रुपये की मांग की है। कहा है कि 20 हजार रुपये दे देंगे तो आपके भाई सिद्धार्थ कुमार वर्मा पर अच्छा केस लगाकर उसे भीतर कर देंगे। इस पर ओम वर्मा ने कहा कि उसके अंदर जाने से मेरा क्या फायदा। मेरी जमीन पर जो अवैध कब्जा है, उसे हटाना ही मेरा मकसद है। इतना कह कर वह लौट गए।
एसपी को किया था आवेदन
shipra rajput dsp : प्रशिक्षु डीएसपी शिप्रा राजपूत ने जब 10 दिन तक कोई कार्रवाई नहीं की तब ओम वर्मा ने एसपी को ईमेल किया। ईमेल करते ही राष्ट्रीय पत्रकार ओम वर्मा के पास 25 सितंबर को मुफ्फसील थाना से फोन आया। पुलिस अधिकारी ने उसी दिन पतौरा में ओम वर्मा के प्लाट का निरीक्षण किया और रिपोर्ट बनाकर दिया। साथ ही 28 सितंबर को मुफ्फसील थाना में जनता दरबार में आने को कहा। जब ओम वर्मा जनता दरबार में गए तो शिप्रा राजपूत हत्थे से उखड़ गईं। वह जोर जोर से ओम वर्मा पर चिल्लाने लगीं। वह इसलिए नाराज थीं कि ओम वर्मा ने उन्हें 20 हजार रुपये नहीं दिए थे, साथ ही एसपी से शिकायत कर दी थी।
अब मामला वरिष्ठ अधिकारियों के पास
अब यह मामला एसपी के साथ साथ राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के पास चला गया है। साथ ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। वह शिप्रा राजपूत और बिहार पुलिस को नोटिस जारी कर रहा है। मानवाधिकार आयोग के सूत्रों का कहना है कि इस मामले में दोषी पाए जाने पर शिप्रा राजपूत को बर्खास्त भी किया जा सकता है।
कड़ी कार्रवाई की मांग
shipra rajput dsp : ओम वर्मा ने शिप्रा राजपूत पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। ओम वर्मा ने यहां तक कहा कि प्रशिक्षु डीएसपी शिप्रा राजपूत को न तो ठीक से बैठने और न ही प्रोटोकॉल की कोई जानकारी है। थाना में बैठकर गुंडागर्दी करना ठीक नहीं। विभागीय कार्रवाई हर हाल में होना चाहिए। ओम वर्मा ने कहा कि वह इस मामले को बहुत आगे तक लेकर जाएंगे। चाहे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े।