Solar Power Plant: राष्ट्रीय सौर मिशन और स्वच्छ तथा हरित ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए एनसीआरटीसी ने मार्च 2021 में एक सोलर पॉलिसी अपनाई थी। उसी के तहत एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने आरआरटीएस डिपो में स्थापित अत्याधुनिक सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन किया।
Solar Power Plant: आरआरटीएस डिपो बन जाएगा ग्रीन डिपो
इंफोपोस्ट न्यूज
Solar Power Plant: एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने शनिवार, 08 जुलाई 2023 को दुहाई स्थित आरआरटीएस डिपो में स्थापित एक अत्याधुनिक सोलर पावर प्लांट का उद्घाटन किया। यह नवीकरणीय ऊर्जा और सस्टेनेबल प्रक्रियाएँ अपनाने की एनसीआरटीसी की यात्रा में एक महत्वपूर्ण माइलस्टोन है।
इस सोलर पावर प्लांट की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 585 kWp है, जिसके लिए वर्कशॉप सहित डिपो की कई अन्य बिल्डिंग्स पर सौर पैनल इंस्टॉल किए गए हैं। इसके 25 वर्षों के अनुमानित जीवनकाल के दौरान यह अनुमान है कि यह सोलर पावर प्लांट प्रति वर्ष लगभग 6,66,000 यूनिट सौर ऊर्जा उत्पन्न करेगा। इस प्लांट से अनुमानित तौर पर सालाना 615 टन कार्बन उत्सर्जन कम होने की उम्मीद है, जिससे इसके कुल जीवनकाल में कार्बन उत्सर्जन में लगभग 15,375 टन की उल्लेखनीय कमी आएगी।
सोलर प्लांट के माध्यम से होगी उत्पादित सौर ऊर्जा की मॉनिटरिंग
इस सोलर प्लांट के माध्यम से उत्पादित सौर ऊर्जा की मॉनिटरिंग और ऑप्टिमाइज़ेशन एक अत्याधुनिक क्लाउड-आधारित एप्लिकेशन द्वारा किया जाएगा, जो निरंतर और नियमित तौर पर आउटपुट को ट्रैक करेगा। यह उन्नत तकनीक सौर ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर की पारदर्शिता, दक्षता और निर्बाध प्रबंधन सुनिश्चित करती है।
इस सोलर प्लांट द्वारा जिस मात्रा में सौर ऊर्जा उत्पादित होगी, वह न केवल डिपो की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरी तरह से पूरा करने में सक्षम होगी, बल्कि उसके बाद भी अतिरिक्त उपलब्ध होगी, जिसका उपयोग अन्य आरआरटीएस परिचालनों में भी किया जा सकेगा। अपने इस प्रयास से सौर ऊर्जा द्वारा संचालित दुहाई डिपो ‘नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन’ की उपलब्धि हासिल कर ‘ग्रीन डिपो’ बन जाएगा, जो सस्टेनेबिलिटी के प्रति एनसीआरटीसी की प्रतिबद्धता को बखूबी दर्शाता है।
कुल 11 मेगावाट सौर ऊर्जा का होगा उत्पादन
राष्ट्रीय सौर मिशन और स्वच्छ तथा हरित ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए एनसीआरटीसी ने मार्च 2021 में एक सोलर पॉलिसी अपनाई थी। इस पॉलिसी के अनुसार, एनसीआरटीसी अक्षय ऊर्जा में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने हेतु, अगले पांच वर्षों में गैर-कर्षण प्रयोजनों के लिए स्टेशनों, डिपो और अन्य भवनों की छतों पर कम से कम लगभग 11 मेगावाट पीक इन-हाउस सोर ऊर्जा का उत्पादन करेगा।
इसके अलावा, यह कर्षण उद्देश्यों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए ऊर्जा मिश्रण को भी अनुकूलित करेगा। साथ ही, एनसीआरटीसी एक निवेश के लिए एक उपयुक्त माहौल स्थापित करने का भी प्रयास करेगा, जो स्वच्छ विकास तंत्र (क्लीन डेवेलपमेंट मेकैनिज़म यानी सीडीएम) और नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (रीन्यूएबल एनर्जी सर्टिफिकेट यानी आरईसी) का लाभ उठा सके।
दीर्घकालिक रणनीतिक हस्तक्षेप
आरआरटीएस भारत सरकार और चार राज्य सरकारों, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भीड़भाड़ कम करने, वाहनों की भीड़ और वायु प्रदूषण को कम करने और संतुलित और सतत विकास को सक्षम बनाने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीतिक हस्तक्षेप है।
अपने परिचालन के बाद, यह पूरे एनसीआर के लिए परिवहन की रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करेगा। ऐसा अनुमानित है कि मात्र प्रथम आरआरटीएस कॉरिडोर से एक लाख से अधिक वाहनों की भीड़ सड़कों से कम हो जाएगी और वाहनों के होने वाले उत्सर्जन में 2.5 लाख टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड कम होने के साथ वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।