
spirituality: जब समस्या अधिक जटिल हो तो समाधान अध्यात्म से ही निकलता है। उसी अध्यात्म को समझने के लिए देश दुनिया के जाने माने लोगों और धर्मगुरुओं ने नोएडा में विस्तार से मंथन किया। डॉक्टर संदीप मारवाह ने spirituality शब्द के एक एक अक्षर के निहितार्थों को रोचक ढंग से समझाया। उन्होंने कलाओं के विकास पर विशेष जोर दिया।
spirituality: अध्यात्म के ज्ञान में निहित हैं विकास के सूत्र
इंफोपोस्ट न्यूज
spirituality: प्रेम, शांति और एकता की बात तभी की जा सकती है, जब सभी धर्मों और संप्रदायों का पूरा सम्मान किया जाएगा। क्योंकि सभी पंथों के साहित्य में शांति और प्रेम की बात की गई है। तभी तो आज विश्व को अध्यात्म से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
यह चर्चा मारवाह स्टूडियो में आयोजित एक सेमिनार में की गई। सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने अपने अपने विचार रखे। सभी ने शांति के लिए शांति के मार्ग पर चलने की जरूरत पर बल दिया। इसके लिए देश में एकता की बहुत जरूरत है। क्योंकि हर इंसान एक ईश्वर की संतान है। ईश्वर ने हमें शुद्ध जीवन दिया है। हम जीवन कैसे जीते हैं, यह हम पर ही निर्भर करता है।
पेड़ पोधों और जानवरों में भी भाव का विशेष प्रभाव
आयोजन की अध्यक्षता ग्लोबल योग एलायंस के अध्यक्ष डॉक्टर गोपाल ने की। प्रो संदीप मारवाह ने आध्यात्मिकता के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हर धर्म हमें मानवता सिखाता है। हम इंसान तो क्या पेड़ पोधों और जानवरों में भी भाव का विशेष प्रभाव पड़ता है। इसलिए योग ध्यान और प्रेम को जीवन का आधार बनाया जाना चाहिए।
इस अवसर पर जगत गुरु दिलीप जी महाराज, आचार्य लोकेश मुनि, स्वामी रुद्रानंद जी महाराज, शंकराचार्य ओंकारानंद सरस्वती, योगी आशुतोष, चेयरमैन बंगला साहिब गुरुद्वारा परमजीत सिंह, सत्येंद्र नारायण, आस्था माँ और ब्रह्मा कुमार सुशांत भी उपास्थि हुए।
शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक, भावनात्मक विकास जरूरी
लोकेश मुनि ने कहा, इस जीवन में शारीरिक, बौद्धिक, मानसिक, भावनात्मक विकास होना जरूरी है, जो केवल अध्यात्म से आता है। आचार्य दिलीप ने कहा, खुद से खुद की मुलाकात होना यानि खुदा से मुलाकात होने जैसा है।
शंकराचार्य ओंकार आनंद सरस्वती ने कहा, हम हर समय अपने धर्म का अनुसरण करते हैं। भोजन करना हो या फिर सांस लेना, सभी किसी न किसी धर्म के अंतर्गत आता है। इस्कॉन मंदिर के आचार्य दिलीप ने कहा कि प्रेम ही ईश्वर है, ईश्वर ही प्रेम है।
अगर भारतीय होने की कीमत जानना चाहते हो तो एक बार विदेश जाओ और वहाँ देखो भारतीय होने पर गर्व क्या होता है। डॉक्टर गोपाल ने कहा, सत्य, असत्य, शांति, हिंसा के भेद को नहीं जान पाएंगे तो हम अध्यत्म को नहीं समझ पाएंगे। योगी आशुतोष जी महाराज जो कि 2016 से जेलों को आश्रम का रूप दे रहे हैं। अपराधियों को अध्यत्म से जोड़कर उनके अंदर से शैतान को खत्म कर रहे हैं।
लेकिन ध्यान को ध्यान से नहीं करते
spirituality: उन्होंने कहा कि हर काम हम ध्यान से करते हैं। लेकिन ध्यान को ध्यान से नहीं करते। मैं योग की बात कर रहा हूँ। इस्कॉन मंदिर से जुड़े विजेंद्र नंदन दास ने कहा, हमने देशभर की जेलों में गीता के उपदेशों को भौतिक जीवन से जोड़कर अपराधियों को सुधारने की कोशिश की है। हम लाखों गीता वितरित भी कर चुके हैं।
बहाई धर्म प्रचारक एम त्रिपाठी ने कहा, ईश्वर हमसे प्रेम करता है। इसलिए उसने हमारी रचना की है। इसलिए हमें ईश्वर का और एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। यहूदी धर्म प्रचारक ने कहा, जिस माँ ने आपको जन्म दिया है और जिस देश में आप पैदा हुए हैं, उसका सम्मान करना आपका दायित्व होना चाहिए। जिस्म का श्रृंगार बहुत हो चुका, अब आत्मा का श्रृंगार हो।