
भरतनाट्यम नृत्य भारतीय संस्कृति कि एक ऐसी कला है जिसके विषय में कहा जाता है कि जिसको ये कला आती है वो कोई भी नृत्य कर सकता है फिर चाहे इंडियन हो या वेस्टर्न। इसी क्षेत्र में उभरता हुआ नाम है, आर्चा पिल्लई का, जिन्होंने मात्र 4 साल की उम्र से हीभरतनाट्यम सीखना शुरू कर दिया था और आज आठ साल में वह पूरी नृत्यांगना बन गई है अभी वो नौवीं कक्षा में है और कई मंच पर अपना सोलो परफॉरमेंस देने लगी है। हाल ही में दिल्ली तमिल संगम आर के पुरम में हुए प्रोग्राम में उनके नृत्य ने सभी का दिल जीत लिया, उनकी भाव भंगिमा उनका कौशल देखते ही बनता था और इस सब के पीछे उनके गुरु शिवदासन का हाथ है।
भरतनाट्यम के अलावाआर्चा की कथकली के क्षेत्र में बहुत रुचि है और वे पिछले 5 वर्षों से गुरु कलाश्रीइवोर राजेंद्रन से इस कला रूप को जारी रखे हुए है। आर्चाने अपने गुरु शिवदासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि गुरु जी का व्यवस्थित प्रशिक्षण, मूल्यवान मार्गदर्शन और प्रोत्साहन द्वारा ही आज में यहाँ तक पहुँच पायी हूँ। भरतनाट्यम के उनके गुरु शिवदासन एक सचित्र भरतनाट्यम नर्तक, शिक्षक और कोरियोग्राफर हैं। हाल ही में उन्हें नृत्य और नृत्यकला में राजीव गांधी उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा नृत्य शिक्षण के क्षेत्र में सराहनीय कार्य के लिए उत्कृष्ट शिक्षक चिह्न पुरस्कार 2020 के रूप में भी सम्मानित किया गया था।