
आर.के.तिवारी
नई दिल्ली। राजनीति की नीति रीति बन गई है आज, प्रीति की प्रतीति मेरे छंद लेकर आए हैं। यह पंक्तियां राजस्थान की वर्तमान राजनीति पर एकदम फिट बैठती हैं।
दरअसल राजनीति में अनित कोई नहीं चाहता लेकिन खुद अनीति करने से नहीं परहेज करता। शायद यही वजह है कि राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां डरी हुई हैं कि विधायक ना जाने किस और पलट जाएं। लेकिन इन विधायकों को पलटना सिखाया किसने…।
साम दाम दंड भेद कुछ भी अपना कर अपनी पार्टी की सरकार बनवाना हर राजनीतिक दल की फितरत बन गई है। जाहिर है जब अनैतिकता एक पक्ष की ओर से शुरू होती है तो दूसरा पक्ष भी उसी अनैतिकता की डगर पर चलने लगता है। कुछ ऐसा ही राजस्थान में हो रहा है।
सरकार बचाने की कोशिश में जुटे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लड़ाई अब अंतिम पड़ाव की ओर पहुंच गई है। 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाया गया है जहां विश्वास मत की तैयारी है। लेकिन इससे पहले विधायकों को तोड़ने की आशंका भी जताई जा रही है। यह डर न सिर्फ कांग्रेस को बल्कि बीजेपी को भी सताने लगा है। यही वजह है कि उसके 6 विधायक गुजरात में देखे गए हैं। वहीं कांग्रेस ने अपने विधायकों को जैसलमेर भेज दिया है। इससे पहले उन्हें काफी दिनों तक जयपुर के एक होटल में ठहराया गया।
उधर, बागी विधायकों के सामने भी शर्तें रखी गई हैं कि अगर वे मान लेते हैं तो उनको दोबारा शामिल करने पर विचार किया जा सकता है। इस पूरी कवायद के बीच रविवार को जैसलमेर में सीएम अशोक गहलोत ने विधायक दल की बैठक को संबोधित किया।
उनका अंदाज एक सेनापति की तरह था जो निर्णायक युद्ध की तरफ जाने की तैयारी में है। उन्होंने विधायकों को संबोधित करते हुए कहा कि सदन में सभी को एकता दिखानी है। हम सभी ‘लोकतंत्रिक योद्धा’ हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, हम इस लड़ाई को जीतने जा रहे हैं और साढ़े तीन साल बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव भी जीतेंगे। जिस तरह अभी तक आपने एकता दिखाई है उसी तरह सदन में एकता दिखाना है।
आपको यह मालूम ही होगा कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार सचिन पायलट की अगुवाई में 18 विधायकों की बगावत का सामना कर रही है। माना जा रहा है कि राज्य सरकार संकट में है। लेकिन सीएम अशोक गहलोत ने 14 अगस्त को विधानसभा सत्र बुला लिया है। इस दौरान वह विश्वास मत ला सकते हैं।
उधर पता चला है कि गुजरात आए राजस्थान BJP के 6 विधायक अज्ञात जगह के लिए रवाना कर दिए गए हैं। लेकिन भाजपा नेताओं ने इस संबंध में कोई जानकारी ना होने की बात कही है।
गहलोत ने अपने सभी विधायकों से कहा है कि वह अपने-अपने क्षेत्र में जाकर जन कल्याण के लिए उठाए गए कदमों की लिस्ट लोगों को सौपें और बताएं कि इन पर आगे भी काम होगा। विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह दोस्तारा, अजय माकन, रणदीप सिंह सुरजेवाला भी मौजूद थे।
इस मौके पर कांग्रेस महासचिव ने कहा कि कांग्रेस का इतिहास तो आजादी से पहले से ही संघर्ष का रहा है। उन्होंने दूसरी पार्टियों के विधायकों को भी धन्यवाद दिया जो इस संकट में साथ खड़े हैं।
आपने देखा कि राजनीति की अनीति भले ही किसी नेता अथवा पार्टी के लिए तात्कालिक रूप से अनुकूल हो सकती है लेकिन उससे अनित का जो सिलसिला चल पड़ता है वह समूची राजनीतिक व्यवस्था की जड़ें हिला देता है। इसका नुकसान जनता नेता और पार्टी सभी का होता है। भ्रष्टाचार जो जड़े जमा लेता है वह अलग बात है। यही स्थिति हमारे देश को खोखला कर रही है।