Sushil Modi: क्या नीतीश कुमार केंद्र में देवगौड़ा-गुजराल जैसी सरकार चाहते हैं? हिम्मत हो, तो बताएं कि क्या-क्या बदलाव चाहता है विपक्ष। क्या बहाल कर दिया जाएगा अनुच्छेद 370 और वापस ले लिया जाएगा तीन तलाक पर रोक का कानून? क्या ऐसी सरकार चाहते हैं, जो सर्जिकल स्ट्राइक न कर सके? क्या खत्म कर देंगे ईडब्ल्यूएस कोटा और जन-धन खाता? यह सब पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा है।
Sushil Modi: सिर्फ “बदलाव” चाहते हैं नीतीश
ओम वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार
पटना। Sushil Modi: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि क्या नीतीश कुमार केंद्र की सत्ता वे दिन लौटाना चाहते हैं, जब देवगौड़ा-गुजराल जैसे कमजोर प्रधानमंत्री होते थे और सरकार छह-सात महीनों में बदल जाती थी?
श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार को यदि न कोई नाराजगी है, न वे विपक्षी मंच के संयोजक बनना चाहते हैं, बल्कि सिर्फ “बदलाव” चाहते हैं, तो उन्हें जनता को बताना चाहिए कि क्या-क्या बदलाव चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि क्या वे चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में फिर से धारा-370 प्रभावी कर दी जाए और अलगाववादी नेताओं को रिहा कर उन्हें वार्ता के लिए बुलाया जाए, बिरयानी खिलायी जाए? श्री मोदी ने कहा कि क्या विपक्ष दिल्ली में ऐसी सरकार चाहता है, जो सर्जिकल स्ट्राइक न कर सके?
नीतीश ने कई मुद्दों पर किया था केंद्र का समर्थन
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने तो धारा-370, सर्जिकल स्ट्राइक, नोट बंदी और जीएसटी के मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया था। अब क्या वे अपने फैसले को गलत मानते हैं?
श्री मोदी ने कहा कि क्या नीतीश कुमार किसान सम्मान निधि की शुरुआत, फौरी तीन तलाक पर रोक और सामान्य वर्ग के युवाओं को 10 फीसद आरक्षण (ईडब्लूएस कोटा) जैसे ऐतिहासिक फैसले भी बदल देना चाहते हैं?
उन्होंने कहा कि यदि हिम्मत हो, तो नीतीश कुमार ऐलान करें कि यदि उनके मन की सरकार बनी , तो वे जन-धन खाता, वन रैंक-वन पेंशन, गरीबों को मुफ्त राशन और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएँ बंद करा देंगे। क्या वे यही बदलाव चाहते हैं? श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार दरअसल अपनी कुर्सी में बड़ा बदलाव चाहते हैं और उसकी सम्भावना खत्म हो चुकी है। असली पीड़ा यही है।
प्रयोगशील रहने की एक रचनात्मक प्रक्रिया है विपक्ष
उमाशंकर सिंह परमार की मानें तो विपक्ष निरंतर प्रयत्नशील और प्रयोगशील रहने की एक रचनात्मक प्रक्रिया है। विपक्ष का ठीक उसी प्रकार अपना पक्ष होता है जैसा कि पक्ष का अपना पक्ष होता है। विपक्ष का पक्ष लोक है, जिसकी पक्षधरता सचेतन आंदोलन होते रहने का बोध कराती है। यह आंदोलन उस पक्ष के विरुद्ध सक्रिय होता है, जिसे हम विपक्ष लेकर उपस्थित होते हैं।
भूमंडलीकरण के इस दौर में प्रतिरोध आज की मानवीय जरूरत है। बदली हुई इस विश्व व्यवस्था का प्रतिरोध भले ही आम जनता ने न किया हो पर लेखन में इसका प्रतिरोध आरंभ से रहा है। वाम दलों ने बाकायदा अभियान चला कर इसका विरोध किया है। संगठन से जुड़े साहित्यकारों की रचनाएं आमतौर पर प्रतिरोध के पक्ष में रही हैं।
नाराज क्यों हो गए थे नीतीश कुमार
बेंगलुरु में मंगलवार को हुई विपक्षी दलों की बैठक के दौरान विपक्षी गठबंधन का नाम तय हो गया। इसकी अगली बैठक को लेकर भी फ़ैसला हुआ है। बीजेपी का दावा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बैठक के दौरान नाराज़ हो गए थे। बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद नहीं थे।
विपक्षी गठबंधन की पटना में हुई बैठक में 15 दलों ने भाग लिया था। बेंगलुरु में इन पार्टियों की संख्या 26 हो गई थी। लेकिन एक तरफ एकजुट हो रहे विपक्ष का कुनबा बड़ा हो रहा है तो दूसरी तरफ नेताओं की कथित नाराज़गी की ख़बरें भी सुर्खियां बटोर रही हैं।
क्या है बीजेपी के तंज़ की वजह?
Sushil Modi: वरिष्ठ पत्रकार नचिकेता नरायण के मुताबिक़, नीतीश की नाराज़गी के जो दावे सुशील मोदी कर रहे हैं उसमें सच्चाई कम और नीतीश को चिढ़ाने की बात ज़्यादा दिखती है।
नचिकेता नारायण कहते हैं, “एक तो संयोजक कोई ऐसा बड़ा पद नहीं है, दूसरा किसी और को अभी संयोजक बनाया नहीं गया है। इसलिए नीतीश कुमार का नाराज़ होना संभव नहीं दिखता। अगर आप बैठक की तस्वीरों को देखें तो नीतीश को बीच में जगह दी गई थी और उन्हें इस एकता का केंद्रीय नेता माना ही गया है।”