Television rating points: फेक न्यूज का मतलब गलत सूचना और फेक टीआरपी का मतलब किसी टेलीविजन चैनल की लोकप्रियता के स्तर को गलत ढंग से पेश करना।
Television rating points: सारा खेल लोकप्रियता तय करने वाली भीड़ के लिए
श्रीकांत सिंह
नई दिल्ली। Television rating points: टीआरपी स्कैम में रिपब्लिक टीवी का नाम आने से इसकी चर्चा काफी बढ़ गई है। जानते हैं कि टीआरपी होता क्या है? टेलिविजन रेटिंग पॉइंट को संक्षेप में टीआरपी कहते हैं।
टीआरपी एक ऐसा उपकरण या टूल है, जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि टीवी पर कौन सा प्रोग्राम या टीवी चैनल सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। इससे अनुमान लगाया जाता है कि एक न्यूज़ चैनल या कोई प्रोग्राम या मनोरंजन चैनल कितना लोकप्रिय है।
इंडियन टेलिविजन ऑडियंस मेजरमेंट एक ऐसी एजेंसी है जो टीवी चैनलों के टीआरपी का अनुमान लगाती है। यह एजेंसी विभिन्न फ्रीक्वेंसी की जांच करके पता करती है कि कौन सा टीवी चैनल किस समय पर सबसे ज्यादा देखा गया।
जाहिर है कि जिस चैनल को जितने ज्यादा लोग देखेंगे, उसे जितने ज्यादा समय तक देखा जाएगा उस चैनल की टीआरपी उतनी ही ज्यादा होगी। ज्यादा टीआरपी वाले चैनल को ज्यादा और महंगा विज्ञापन मिलता है। उसी से चैनल की कमाई होती है।
कैसे तय होती है टीआरपी रेटिंग?
टीआरपी मापने वाले यंत्र को पीपल मीटर कहते हैं। 20 मीटर की मदद से टीवी देखने वाले लोगों की आदतों पर नजर रखी जाती है। टीआरपी को मापने के लिए कुछ निर्धारित जगहों पर “पीपल मीटर” लगाया जाता है, जो एक फ्रीक्वेंसी के जरिये पता लगाता है कि कहां कौन सा सीरियल देखा जा रहा है और कितनी बार देखा जा रहा है।
टेलिविजन रेटिंग पॉइंट यानी टीआरपी के हिसाब से सबसे ज्यादा पॉपुलर चैनलों की लिस्ट बनाई जाती है। और फिर साप्ताहिक या महीने के हिसाब से टॉप 10 टीआरपी टीवी सीरियल, चैनल का डाटा सार्वजनिक किया जाता है।
टीआरपी का क्या महत्व है?
टीआरपी को इतना ज्यादा महत्व इसलिए दिया जाता है, क्योंकि इसका संबंध चैनल की कमाई से होता है। जिस चैनल को कम दर्शक देखते हैं, उसकी टीआरपी गिर जाती है। और उस चैनल को विज्ञापन कम मिलते हैं।
जाहिर है कि हर कोई अपने चैनल की टीआरपी बढ़ाने में लगा है। टीआरपी का पता करने के लिए आपसे आपके टेलीविजन या डिश में सेटअप बॉक्स लगाने के लिए कहा जाता है। इसी सेटअप बॉक्स के जरिये टीआरपी की गणना की जाती है।
टीआरपी के लिए फेक न्यूज का बोलबाला
टीवी न्यूज चैनल अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए कुछ ऐसा काम कर जाते हैं, जिससे सीधे आपका यानी दर्शकों का नुकसान होता है। वे फेक न्यूज चला कर समाज में घृणा और वैमनस्य फैलाते हैं। उसकी परिणति सामाजिक अशांति और दंगे के रूप में सामने आती है।
दरअसल, लोग चटपटी न्यूज को ज्यादा पसंद करते हैं। उनकी इसी पसंद को ध्यान में रख कर न्यूज चैनल चटपटी न्यूज तैयार करते हैं। चटपटी न्यूज तैयार करने के चक्कर में वे झूठी और समाज विरोधी बातें फैला देते हैं। क्योंकि सत्य तो कड़वा होता है। वे सोचते हैं कि सत्य कौन सुनना और देखना चाहेगा?
ध्यान रहे कि सत्य की अपनी टीआरपी होती है। लेकिन ज्यादातर न्यूज चैनल इसकी उपेक्षा कर रहे हैं। और आप तक झूठी खबरें फैला रहे हैं। जाहिर है कि आप टीवी न्यूज चैनलों पर सत्य जानने के लिए अपना कीमती समय बर्बाद करते हैं। आपको उसके बदले में झूठ परोसा जाता है।
रिपब्लिक टीवी का नाम सामने आया
अब हालत यह हो गई है कि झूठ देखने और सुनने के लिए दर्शकों को प्रलोभन तक दिया जा रहा है। उन्हें पैसा देकर न्यूज चैनल देखने के लिए लुभाया जा रहा है। ताकि चैनल की टीआरपी और कमाई बढ़ सके। अभी कुछ इसी तरह के आरोपों से घिरने वाले न्यूज चैनलों में रिपब्लिक टीवी का नाम सामने आया है। उसे मुंबई पुलिस ने समन भेजा है।
लेकिन कंपनी के सीएफओ शनिवार को मुंबई पुलिस के सामने पेश नहीं हुए। उनके मुताबिक चैनल ने इस केस में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। टेलीविजन रेटिंग पॉइंट्स (टीआरपी) हेरफेर रैकेट के सिलसिले में पुलिस ने मराठी चैनलों ‘फख्त मराठी’ और ‘बॉक्स सिनेमा’ के अकाउंटेंट और कुछ विज्ञापन एजेंसियों के लोगों को भी तलब किया है।
पुलिस ने इस मामले में फख्त मराठी और बॉक्स सिनेमा के मालिकों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया था। मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह ने दावा किया कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने टीआरपी में हेरफेर किया है। इस रैकेट का खुलासा तब हुआ, जब टीआरपी मापने वाले संगठन बार्क ने हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई।